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‘सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सिर्फ महिलाओं का मुद्दा नहीं है’

सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के मामले में आज भी हमारे सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं.

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पिछले कई दशकों में, भारत ने महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. भारत 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश था. 1971 में गर्भपात को वैध बनाने वाले कुछ देशों में से भी एक था. फिर भी, आज लाखों भारतीय महिलाओं के पास गुणवत्तापूर्ण यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है.

यह चुनौती अनचाही प्रेग्नेंसी के मामले में अबॉर्शन और फैमिली प्लानिंग, दो महत्वपूर्ण यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के मामले में बहुत अधिक है. उदाहरण के लिए, भारत में 15-49 साल के बीच दो-तिहाई विवाहित महिलाएं परिवार नियोजन चाहती हैं, जो कपल और परिवारों को गर्भनिरोधक तरीकों के उपयोग के जरिये अपने वांछित परिवार के आकार को प्राप्त करने की अनुमति देता है. हालांकि, 30% तक इनकी पहुंच की कमी है. इसी तरह, एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रोवाइडर की देखरेख में और कुछ शर्तों के तहत कानूनी रूप से गर्भपात पूरी तरह से सुरक्षित है. हालांकि, कई महिलाएं अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने के असुरक्षित तरीके अपनाती हैं, जिससे हर दिन लगभग 10 मौतें होती हैं.

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जागरुकता की कमी और स्टिग्मा इन मामलों को और बढ़ा देता है. पुरुष इस स्थिति को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. साथ ही यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी बातचीत को सामान्य बना सकते हैं.

हालांकि, एक स्त्रीरोग विज्ञान और प्रसूति विशेषज्ञ के रूप में मेरी नौकरी में, मैं अक्सर पुरुषों को यह कहते सुनता हूं: जब यह पूरी तरह से महिलाओं से जुड़ा मामला है तो मैं यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में क्या कर सकता हूं?

मैं पहले इस धारणा को चुनौती देना चाहता हूं कि यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सिर्फ महिलाओं का मुद्दा है. यह बार-बार साबित हो गया है कि जब महिलाओं को स्वयं अपने शरीर के बारे में निर्णय लेने के लिए सशक्त किया जाता है तो यह परिवारों, समुदायों और पूरे राष्ट्र को आगे बढ़ने में मदद करता है. मैं इस सवाल का जवाब देना भी पसंद करता हूं कि पुरुष क्या कर सकते हैं: साधारण, मूलभूत कदम जो कोई भी पुरुष अपनी महिला भागीदारों और समुदायों का समर्थन करने के लिए उठा सकता है.

सेवाओं और सूचनाओं तक पहुंच

यह सहजबोध के विपरीत लग सकता है, लेकिन पहला कदम है कि आप स्वयं के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए तैयार हों. अपने प्रोवाइडर से उन विकल्पों की जानकारी के बारे में पूछें जो आपके लिए उपलब्ध हैं. उदाहरण के लिए, महिला नसबंदी सबसे पसंदीदा गर्भनिरोधक विधि है.

पुरुष नसबंदी के कई तुलनात्मक लाभ हैं: यह कम इनवेसिव व अधिक प्रभावी है. इसमें हेल्थ रिस्क भी कम है.

यह भी महत्वपूर्ण है कि यौन संचारित रोगों (sexually transmitting diseases) के लिए पुरुषों का टेस्ट किया जाता है ताकि अनजाने में वे इससे प्रभावित न हों. मौजूद विकल्पों को समझना यह सुनिश्चित करेगा कि हम पुरुष के रूप में सूचित विकल्प बना सकते हैं और अपने पार्टनर को भी ऐसा करने में मदद कर सकते हैं.

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मिथक और गलत धारणाएं खत्म करें

उदाहरण के लिए, आठ में से तीन भारतीय पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक महिलाओं का काम है और पुरुषों को इसके बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए. 20% भारतीय पुरुष मानते हैं कि गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिला के अन्य पुरुषों के साथ संबंध हो सकते हैं. हालांकि, गर्भनिरोधक की वास्तविकता यह है कि ये केवल यह सुनिश्चित करता है कि पुरुष और महिला सुरक्षित सेक्स कर सकते हैं, सेक्सुअली ट्रांसमिटिंग डिजीज और अनचाही प्रेगनेंसी को रोक सकते हैं. यह अक्सर महिलाओं द्वारा उन कारणों के लिए भी उपयोग किया जाता है, जिनका सेक्स से कोई लेना-देना नहीं है: उदाहरण के लिए, मासिक धर्म से संबंधित नकारात्मक लक्षणों को नियंत्रित करना.

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एक और गलत धारणा है कि कई महिलाओं और पुरुषों को लगता है गर्भपात अवैध है, इस तथ्य के बावजूद कि यह 50 से अधिक वर्षों से कानूनी है.

यह महिलाओं को गर्भपात कराने से नहीं रोकता है - यह केवल उन्हें गर्भपात को लेकर सुरक्षित करता है. देश भर में हर साल असुरक्षित गर्भपात की संख्या बहुत अधिक है.

मिथकों को खत्म करने और सटीक जानकारी को बढ़ावा देने के लिए पुरुष के रूप में हमारी उठाई आवाज महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर बातचीत को सामान्य करेगा, नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों के जोखिम को कम करेगा और अधिक न्यायसंगत समुदायों का निर्माण करेगा.

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महिलाओं को चुनने के अधिकार की दरकार

अपने पार्टनर के लिए और साथ ही अपने आसपास की महिलाओं के लिए एक सपोर्टिव माहौल बनाएं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपने शरीर के संबंध में जानकारी का विकल्प चुन सकें– ऐसा विकल्प जो उनकी पसंद का हो. अपने शरीर को लेकर क्या करना है, यह निर्णय उस महिला का अपना होना चाहिए. इनमें फैमिली प्लानिंग के कौन से तरीके उसके लिए सबसे अच्छा काम करते हैं और चाहे प्रेग्नेंसी की जारी रखने की बात हो.

पुरुष महिला की बात सुनकर उसके निर्णय लेने में सपोर्ट कर सकता है, उन स्थानों के बारे में सुझाव दे सकता है जहां वह क्वालिटी इंफोर्मेशन और रिसोर्स प्राप्त कर सकती है, इस बात की पुष्टि करते हुए कि यह उसकी चॉइस है.
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जब हम एक ऐसे युग की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के बारे में निर्णय लेने के संबंध में सशक्त किया जा रहा है और वे स्वायत्त रूप से जीवन जी सकती हैं. यह समय है कि पुरुष इस बदलाव में योगदान दें. एक बेहतर समाज की दिशा में आगे बढ़ने के लिए, यह आवश्यक है कि हम सभी के लिए समान स्वास्थ्य की वकालत करें. पुरुषों और महिलाओं को यह सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए कि महिलाओं और लड़कियों को वो देखभाल मिले जो उन्हें ऊंचाई पर पहुंचने और उनके सपनों को साकार करने के लिए जरूरी है.

(डॉ बसब मुखर्जी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. इनके पास दो दशक से अधिक का अनुभव है. डॉ.मुखर्जी कोलकाता में द बंगाल ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी के सेवारत सचिव हैं.)

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