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Akshay Kumar ने छोड़ा तंबाकू का ऐड, डॉक्टर्स से जानिए कितना हानिकारक ?

तंबाकू सेवन से शरीर के जो अंग सीधे जुड़े हुए नहीं हैं, वो भी कैंसर या दूसरी गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं

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बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार (Akshay Kumar) गुटखा बनाने वाली कंपनी विमल (Vimal) का ऐड करने के बाद सोशल मीडिया पर बुरी तरह से ट्रोल हुए. जिसके बाद उन्होंने ब्रांड के एंबेसडर के तौर पर हटने का फैसला लिया. इस ऐड में उनके साथ शाहरुख खान और अजय देवगन भी हैं.

अक्षय कुमार हाल ही में इस ब्रांड से जुड़े थे, फिर उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने कभी तंबाकू का प्रचार नहीं किया और न ही कभी करेंगे. साथ ही इस ब्रांड के साथ जुड़ने के लिए अक्षय कुमार ने अपने फैंस से माफी भी मांगी है.

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मशहूर हस्तियों को फॉलो करते हैं किशोर और युवा वयस्क 

“सिलेब्रिटीज को ऐसे जानलेवा उत्पादों का प्रचार करने से पहले सोचना चाहिए और साथ ही ऐसे उत्पादों के लिए अच्छी तरह से परिभाषित कानून होना जरूरी है.”
डॉ मनोज गोयल, निदेशक, पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुरुग्राम

भारत की एक बड़ी आबादी हमेशा मशहूर हस्तियों, जिसमें फिल्म स्टार और क्रिकेटर शामिल हैं, को मानते हैं और उनकी ही तरह बनने की कोशिश करते हैं.

यह मशहूर हस्तियों को अत्यधिक लोकप्रिय बनाता है और इसलिए उन्हें विज्ञापन के लिए चुना जाता है. लेकिन इस लोकप्रियता के साथ-साथ उन पर उसी स्तर की जिम्मेदारी भी होनी चाहिए.

यह जानते हुए कि लोग ब्रांड और उत्पादों के उनके समर्थन से बहुत प्रभावित होंगे. इसलिए इन उत्पादों को खरीदेंगे और उनका उपयोग करेंगे.

ऐसे में मशहूर हस्तियों को उत्पादों और ब्रांडों का समर्थन करने से पहले बहुत सावधानी बरतनी चाहिए.

तंबाकू जैसे, आदत बनाने वाले पदार्थों और जानलेवा बीमारियों का कारण के बनने वाले उत्पादों के लिए यह दोगुना सच है.

इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि किशोर और युवा वयस्क जो बहुत आसानी से प्रभावित होते हैं, वे तंबाकू और इसी तरह की आदत बनाने वाले पदार्थों को अपनाएंगे क्योंकि उन्हें उनकी पसंदीदा हस्तियों द्वारा समर्थन दिया गया था.

तंबाकू का सेवन करने वाली महिलाओं में कैंसर होने की संभावना पुरुषों के मुकाबले अधिक होती हैं.

वैसे बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार इकलौते एक्टर नहीं हैं, जो तंबाकू या पान मसाला बनाने वाले ब्रांड से जुड़े हों. अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख खान तक और प्रियंका चोपड़ा से लेकर अनुष्का शर्मा तक जैसे तमाम बड़े स्टार इन ब्रांड्स का प्रचार कर चुके हैं.

आईए जानते हैं, तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के नुकसान और उससे बचने के उपायों के बारे में विशेषज्ञ से.

“तंबाकू का सेवन 2 तरह से किया जाता है. एक को चबा कर खाते हैं और दूसरे को स्मोक यानी धुएं के रूप में सांस के द्वारा अपने शरीर के अंदर लिया जाता है. इन दोनों का बुरा प्रभाव पड़ता है हमारे पूरे शरीर पर. यहां एक बात और बता दूं, इसका कुप्रभाव सिर्फ सेवन करने वाले पर ही नहीं पड़ता है बल्कि परिवार, दोस्तों और समाज पर भी पड़ता है.”
डॉ मनोज गोयल, निदेशक, पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुरुग्राम

तंबाकू से जुड़ी हैं ये गंभीर बीमारियां

तंबाकू सेवन में शरीर के जो अंग सीधे तौर पर जुड़े हुए नहीं हैं, वो भी कैंसर या दूसरी गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. ऐसा खून के जरिए तंबाकू के टॉक्सिक पदार्थों का शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंचने से होता है. जैसे पैंक्रियास, ब्लैडर, पेट हैं.
  • कैंसर

  • पेट के अंदर अल्सर होना

  • एसिडिटी बनाना

  • तेजाब बनाना

  • गैस्ट्रिक अल्सर होना

  • क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या सीओपीडी होना

  • गर्भपात होना

  • नपुंसकता

कुछ बीमारियों के बारे में जानते हैं विस्तार में,

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या सीओपीडी

डॉ मनोज गोयल के अनुसार, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या सीओपीडी, फेफड़ों का एक ऐसा रोग (Lung Disease) है, जिसमें मरीज सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता. सामान्य तौर पर हमारे फेफड़े बहुत स्पंजी होते हैं. जब हम सांस के जरिए हवा अंदर लेते हैं, तो ऑक्सिजन हमारे खून के अंदर मिल जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर चली जाती है, लेकिन सीओपीडी होने पर इस प्रक्रिया में बाधा आती है.

हृदय रोग

पूरी दुनिया में हृदय रोग से मरने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है. तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति को हृदय रोग होने की संभावना सेवन न करने वाले से कहीं अधिक होती है. यह वक्ति के मौत का भी हो जाती है.

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डायबिटीज

तंबाकू का सेवन और स्मोकिंग डायबिटीज के प्रमुख कारणों में से है. यहां ये भी बता दें, ​डायबिटीज कई दूसरी बीमारियां का कारण बनता है जो, ​डायबिटीज होने पर व्यक्ति को आसानी से अपना शिकार बना लेती है.

फेफड़ों का कैंसर

तंबाकू को फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण माना जाता है. इसका सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को रहता है, जो स्मोकिंग करते हैं. स्मोकिंग से फेफड़ों की कार्यप्रणाली बुरी तरह प्रभावित होती है. जिसकी वजह से व्यक्ति धीरे-धीरे कैंसर की चपेट में आ जाता है.

मुंह का कैंसर

भारत में मुंह के कैंसर से पुरुष और महिलाएं दोनों प्रभावित हैं. केवल तंबाकू का सेवन करने वाले ही मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं, बल्कि जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनमें भी मुंह का कैंसर होने की संभावना बनी रहती है. यह व्यक्ति के बोलने की क्षमता को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है.

तंबाकू चबा कर खाने के आदि हो चुके लोगों का मुंह पूरी तरह से नहीं खुल पता है और यह लक्षण कैंसर की ओर इशारा करता है.

प्रेगनेंसी में समस्या

प्रेगनेंसी में तंबाकू का सेवन न केवल मां के लिए बल्कि पेट में पल रहे बच्चे के लिए भी खतरनाक है. वहीं दूसरी ओर प्रेग्नेंट महिला के आसपास स्मोक करने से, होने वाली मां और अजन्मे बच्चे दोनों को भारी नुकसान होता है.

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लिवर कैंसर

लिवर कैंसर के कारण भारत में हजारों लोग अपनी जान गंवाते हैं और इस कैंसर के कई कारणों में से एक कारण तंबाकू का सेवन करना भी है. लिवर को शरीर का वर्कहाउस भी कहा जाता है, जो हमारे शरीर में खून को साफ करने से लेकर दूसरे अंगों तक पोषण पहुंचाने का काम करता है. यह हमारे खाने में मौजूद फैट और कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मदद करता है. इसमें समस्या आना खतरनाक साबित होता है.

कोलन कैंसर

मशहूर भारतीय अभिनेता इरफान खान की मौत कोलन कैंसर के कारण हुई थी. कोलन कैंसर के प्रमुख कारण इस बात की ओर इशारा करते हैं कि तंबाकू का सेवन करने के कारण इसका जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.

तंबाकू छोड़ने के लिए क्या करना चाहिए

“स्थिति के अनुसार इसके लिए दृढ़ निश्चय के साथ-साथ आत्मविश्वास की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा करना इतना मुश्किल भी नहीं होता है. तंबाकू छोड़ने को लेकर मरीज के अपने विचार क्या हैं, यह भी बहुत महत्वपूर्ण है. सालों से इसका सेवन कर रहे लोगों को इसकी ऐसी लत लग जाती है कि तंबाकू खाना छोड़ने के बाद उसके बाद के असर को भी झेलना पड़ता है. ऐसे में मनोचिकित्सक मददगार होते हैं" ये कहना है, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ मनोज गोयल का.

डॉ मनोज गोयल ने बताए तंबाकू छोड़ने में मदद करने वाले कुछ उपाय:

  • दृढ़ संकल्प हो

  • परिवार का साथ मिले

  • ध्यान, योग और व्यायाम करें

  • मानसिक चिकित्सक की सहायता लें

  • कुछ निकोटीन (nicotine) की दवाएं आती हैं, जो डॉक्टर की सलाह से ली जाती हैं

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