advertisement
11 अगस्त को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में कोतवाली थाना क्षेत्र के अबू नगर मोहल्ले में बजरंग दल सहित हिंदुत्व संगठनों के लगभग 1,000 सदस्यों ने नवाब अब्दुस समद खान के मकबरे पर धावा बोल दिया. भीड़ का नेतृत्व बीजेपी जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने किया. उनका दावा था कि यह मकबरा "ठाकुर जी का एक पुराना मंदिर" है.
सोमवार को माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया, जब लाठियों से लैस दक्षिणपंथी भीड़ मकबरे में तोड़फोड़ करने लगी, परिसर में भगवा झंडे गाड़े गए और जमकर हंगामा हुआ. चौंकाने वाली बात यह रही कि यह सब स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में हुआ.
घटना से पहले मुखलाल पाल ने आरोप लगाया था कि यह मकबरा एक पुराना मंदिर है, क्योंकि इसके परिसर में कथित तौर पर एक "त्रिशूल" मौजूद है.
FIR में लगाए गए आरोप
एफआईआर में 10 लोगों के नाम हैं, लेकिन पाल का नाम सूची से गायब है।
द क्विंट की पड़ताल में सामने आया कि पुलिस ने इस मामले में एफआईआर तो दर्ज की है, लेकिन उसमें मुखलाल पाल का नाम नहीं है. एफआईआर में 10 नामजद आरोपियों और 150 अज्ञात लोगों का जिक्र है. एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें गैर-कानूनी जमावड़ा, दंगा, कब्रगाह में अतिक्रमण और अलग-अलग समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने जैसी धाराएं शामिल हैं.
एफआईआर में समाजवादी पार्टी के नेता पप्पू सिंह चौहान का भी नाम दर्ज है. फतेहपुर घटना के बाद समाजवादी पार्टी ने चौहान को "पार्टी विरोधी गतिविधियों" के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया है.
वहीं दूसरी ओर, अब तक मुखलाल पाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. एक वीडियो में उन्हें स्थानीय पुलिस को धमकाते हुए भी देखा गया. फतेहपुर एसपी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा- "यह मुलायम सिंह की सरकार नहीं है जो तुम गोली चला सको. अगर हिम्मत है तो आज गोली चलाकर दिखाओ."
क्विंट से बात करते हुए एसपी अनूप कुमार सिंह ने कहा, "हमने भीड़ से बात की और उन्हें शांत कराया. कुल 160 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है."
मुखलाल पाल ने 11 अगस्त को मकबरे पर जाने की अपील करते हुए अपने इंस्टाग्राम पर भी एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने भड़काऊ टिप्पणी की और लोगों को उकसाया.
घटना से दो दिन पहले पोस्ट किए गए इस वीडियो में उन्होंने दोहराया कि यह मकबरा दरअसल मंदिर है और कहा— "हम किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अपने मंदिर को इस तरह मस्जिद के रूप में इस्तेमाल होते बर्दाश्त नहीं करेंगे," साथ ही लोगों को चेतावनी दी कि कोई भी हिंदू की आस्था में दखल न दे.
हालांकि, हालात बिगड़ने के बाद मुखलाल पाल ने एक और वीडियो जारी कर यू-टर्न ले लिया.
विडंबना यह रही कि इस बार उन्होंने कहा— "कुछ लोग माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं, किसी के बहकावे में मत आएं," और 'सनातनी भाइयों' व संगठनों से अपील की कि किसी भी भड़काऊ आवाज पर ध्यान न दें और ऐसा कुछ भी पोस्ट न करें जिससे भाईचारे को नुकसान पहुंचे.
चूंकि फतेहपुर स्थित मकबरे के खिलाफ गलत सूचना पर आधारित ये आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन आर्काइवल रिकॉर्ड में इसका जिक्र मिलता है.
फतेहपुर गजेटियर, 1906 के एक अंश में इस मकबरे का उल्लेख इस तरह है—
इस मकबरे का उल्लेख 1906 के अभिलेख में मिलता है।
(फोटो: फतेहपुर गजेटियर, 1906 से स्क्रीनशॉट)
फतेहपुर के मकबरे पर हुए हमले को लेकर कई नेताओं ने एक्स पर प्रतिक्रिया दी.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा— "बीजेपी जिला अध्यक्ष और कुछ शरारती संगठनों ने नवाब अब्दुल समद के मकबरे को नापाक करने की कोशिश की. अब पूरे मकबरे के चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी गई है. क्या योगी बाबा यहां लाठीचार्ज नहीं करवाएंगे? क्या ये 'लातों के भूत' नहीं हैं?"
इसी बीच समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी इस घटना की निंदा की. अखिलेश यादव ने कहा कि फतेहपुर की यह घटना बीजेपी की सत्ता के पतन का प्रतीक है.
उन्होंने ने लिखा— "जब भी बीजेपी और उनके सहयोगियों का असली चेहरा सामने आने लगता है, तब माहौल बिगाड़ने की साजिश रची जाती है. जनता अब बीजेपी की इस चाल को समझ चुकी है. अब जनता न तो ऐसे हथकंडों में फंसेगी और न ही इन घटनाओं से प्रभावित होगी."
Published: undefined