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बिहार चुनाव: 2020 के कितने वादे NDA ने पूरे किए? नौकरी, AIIMS, IT हब बना क्या?

बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर NDA ने 1 करोड़ सरकारी नौकरी और रोजगार का वादा किया है.

मोहन कुमार
राजनीति
Published:
<div class="paragraphs"><p>बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए ने संकल्प पत्र जारी किया है.</p></div>
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए ने संकल्प पत्र जारी किया है.

(फोटो: X)

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बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है. जनता को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों की ओर से तरह-तरह के वादे किए जा रहे हैं. सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में एक करोड़ नौकरी और रोजगार सहित विकास से जुड़े कई बड़े वादे किए हैं. हालांकि, प्रदेश के लिए जारी मेनिफेस्टो में केंद्र सरकार की योजनाओं की छाप देखने को मिलती है.

इस पर बात करेंगे, लेकिन उससे पहले बात 2020 के चुनावी वादों की करते हैं. क्या 2020 में एनडीए यानी कि नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी ने जो घोषणापत्र में ऐलान किए थे वो पूरे हुए? उनकी जमीनी हकीकत क्या है?

2020 में 19 लाख नौकरी-रोजगार का वादा, कितना दिया?

एनडीए की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने 2020 में अलग-अलग घोषणा पत्र जारी किया था. बीजेपी ने '5 सूत्र, 1 लक्ष्य, 11 संकल्प' और जेडीयू ने 'निश्चय पत्र 2020' के नाम से चुनावी वादे किए थे.

बीजेपी ने 19 लाख नौकरी और रोजगार का वादा किया था. एक साल में 3 लाख नए शिक्षकों की भर्ती और स्वास्थ्य विभाग में 1 लाख नौकरी देने का ऐलान किया था. इसके अलावा पार्टी ने आईटी हब बनाकर 5 साल में 5 लाख रोजगार के ‘अवसर उपलब्ध कराने’ और खेती-किसानी और औषधीय पौधों की सप्लाई चेन बनाकर 10 लाख रोजगार के ‘अवसर सृजित करने’ का वादा किया था.

इस साल जुलाई में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया कि "10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी और लगभग 39 लाख लोगों को रोजगार दिया जा चुका है."

बिहार के स्कूलों में शिक्षकों के पौने तीन लाख से ज्यादा पोस्ट खाली हैं. इसके अलावा राज्य द्वारा स्वीकृत पदों के अनुसार SCERT में 31% और DIET में 19.69% शैक्षणिक पद खाली हैं. ये जानकारी समग्र शिक्षा को लेकर इस साल अप्रैल में आयोजित बैठक में पेश की रिपोर्ट में सामने आई.

दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 5 लाख सरकारी नौकरी देना का दावा करते हैं. गौरतलब है कि अगस्त 2022 से जनवरी 2024 तक बिहार में महागठबंधन की सरकार थी.

2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 1 करोड़ नौकरी और रोजगार का वादा किया है.

नौकरियों के तमाम वादों के बीच पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, FY-24 में बिहार का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) बड़े राज्यों में सबसे कम है. बिहार का LFPR 55% है, जिसका मतलब है कि वहां की कामकाजी उम्र की आबादी (15-59 साल) में से आधे से ज्यादा लोग या तो काम कर रहे हैं या काम ढूंढ रहे हैं.

स्वास्थ्य विभाग में करीब 40 हजार पोस्ट खाली

2020 में बीजेपी ने स्वास्थ्य विभाग में 1 लाख नौकरी का वादा किया था. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में रेगुलर डॉक्टर, ग्रेड ए नर्स और एएनएम के 59,834 स्वीकृत पदों में से 27,835 पद खाली हैं. वहीं कॉन्ट्रैक्चुअल पोस्ट की बात करें तो डॉक्टर, ग्रेड ए नर्स, एएनएम और आशा वर्कर्स के डॉक्टर, ग्रेड ए नर्स और एएनएम के 114,612 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 12,138 पोस्ट खाली हैं.

बिहार में स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या

(स्क्रीनशॉट: बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25)

  • बीजेपी ने 5 साल में बिहार को नेक्स्ट जेनरेशन आईटी हब के रूप में विकसित कर 5 लाख रोजगार का वादा किया था. हालांकि, ये वादा भी पूरा नहीं हो पाया. बिहार सरकार ने पिछले साल ही आईटी नीति 2024 को मंजूरी दी है.

  • बीजेपी ने स्वयं सहायता समूहों और माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के जरिए 1 करोड़ नई महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का वादा किया था. बिहार आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, एक्टिव लोन की संख्या 31 मार्च, 2022 तक 13 लाख से बढ़कर 31 मार्च, 2024 तक 88 लाख हो गई है.

  • हालांकि, इसके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिले हैं. अक्टूबर, 2025 में द वायर ने "कर्ज से मौत तक: कैसे माइक्रोफाइनेंस कंपनिया बिहार में गरीबों को कुचल रही हैं" शीर्षक से एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें कर्जदारों के उत्पीड़न और सुसाइड से मौत की घटनाओं के बारे में बताया गया है.

कोरोना वैक्सीन का वादा

  • बीजेपी के 11 संकल्पों में से पहला था, चुनाव जीतने के बाद सभी प्रदेशवासियों का मुफ्त कोरोना टीकाकरण. देश में फेज वाइज टीकाकरण शुरू हुआ था. जून, 2021 में पीएम मोदी ने 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों के लिए फ्री वैक्सीनेशन की घोषणा की थी.

    यहां ये जान लीजिए कि कोरोना का टीका पूरे देश में मुफ्त देने का ऐलान हुआ था, लेकिन फिर भी इसे बिहार चुनाव के घोषणा पत्र में लिखा गया.

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई

  • हिंदी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का बीजेपी ने वादा किया था. पिछले साल जुलाई में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने घोषणा की थी कि आने वाले एकेडमिक सेशन से मेडिकल स्टूडेंट्स के पास हिंदी में MBBS की पढ़ाई करने का ऑप्शन होगा. हालांकि, हिंदी में MBBS की पढ़ाई शुरू हुई या नहीं, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है.

5 साल में दरभंगा AIIMS भी चालू नहीं हुआ

बीजेपी ने 2024 तक दरभंगा AIIMS शुरू करवाने का वादा किया था. हैरत की बात है कि 2024 तक जिस AIIMS को शुरू करने का वादा किया गया था, उसका पिछले साल 2024 के नवंबर महीने में शिलान्यास हुआ है. इसके लिए बिहार सरकार ने 187 एकड़ जमीन मुहैया करवाई है. 2015 में दरभंगा AIIMS की घोषणा हुई थी, 10 साल बीत जाने के बाद भी लोगों को AIIMS का इंतजार है. बीजेपी अपना ये वादा पूरा नहीं कर पाई.

नवंबर, 2024 में पीएम मोदी ने किया था दरभंगा AIIMS का शिलान्यास.

(स्क्रीनशॉट)

15 दुग्ध प्रोसेसिंग उद्योग का वादा, 5 का चुनाव से पहले ऐलान

बीजेपी ने 2020 में दो सालों में 15 दुग्ध प्रोसेसिंग उद्योग की स्थापना का ऐलान किया था. ये दो साल में तो नहीं हो पाया, लेकिन चुनाव से ठीक पहले बिहार कैबिनेट ने लगभग 316 करोड़ की लागत से पांच नए डेयरी प्लांट, जिसमें दो मिल्क पाउडर प्रोसेसिंग यूनिट भी शामिल हैं, के स्थापना की मंजूरी दी है.

दरभंगा और वजीरगंज (गया) में प्रत्येक 2 लाख लीटर प्रतिदिन (LPD) की क्षमता वाले दो डेयरी प्लांट स्थापित किए जाएंगे, जबकि तीसरा 1 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता वाला प्लांट गोपालगंज जिले में लगाया जाएगा.

वहीं डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास) और सीतामढ़ी में 30 मीट्रिक टन प्रतिदिन (एमटीपीडी) क्षमता वाले दो दूध पाउडर संयंत्र को मंजूरी मिली है.

  • बीजेपी ने 2020 में धान और गेहूं के बाद दलहन की खरीद एसएमपी निर्धारित दरों पर करने का ऐलान किया था. जिसके बाद इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने NCCF, नेफेड आदि से समन्वय कर दलहन की खरीद की घोषणा की.

इस बार के मेनिफेस्टो में 2030 तक दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की बात कही गई है. साथ ही सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी भी दी गई है.

मकान का वादा

बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में पिछले 6 साल में 28.33 लाख घर बनाने का दावा किया था. वहीं 2022 तक ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के और 30 लाख लोगों को पक्का मकान देने का वादा किया. जब 6 सालों में सरकार 28 लाख घर बनवा पाई तो अगले दो सालों में 30 लाख और लोगों को घर कैसे देगी? ये बड़ा सवाल है. बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) और शहरी के तहत लोगों को पक्का मकान के लिए आर्थिक मदद दी जाती है.

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2025 के संकल्प पत्र की बड़ी बातें

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान समेत गठबंधन के प्रमुख नेताओं ने घोषणापत्र जारी किया. एनडीए के घोषणा पत्र में राज्य के मतदाताओं को लुभाने के लिए रोजगार, उद्योग, कृषि और कल्याण से जुड़े कई बड़े वादे शामिल हैं:

  • हर जिले में मेगा स्किल सेंटर

  • हर जिले में फैक्ट्री और 10 नए औद्योगिक पार्क का निर्माण

  • एग्री-इंफ्रास्ट्रक्चर में 1 लाख करोड़ का निवेश

  • यूजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा

  • उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले सभी अनुसूचित जाति वर्ग छात्रों को हर महीने 2000 रुपये

  • 5000 करोड़ से जिला स्कूलों का कायाकल्प

  • गरीब परिवारों के छात्रों को केजी से पीजी तक मुफ्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

  • विश्वस्तरीय मेडिसिटी और हर जिले में मेडिकल कॉलेज का निर्माण

  • पटना, दरभंगा, पूर्णिया और भागलपुर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और 4 नए शहरों में मेट्रो

घोषणापत्र में केंद्रीय योजनाओं की छाप

बिहार एनडीए के संकल्प पत्र में केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं की छाप दिखती है, जैसे- लखपति दीदी, किसान सम्मान निधि. घोषणा पत्र में मिशन करोड़पति के साथ ही पक्का मकान, मुफ्त राशन, केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा की बात की गई है. ये घोषणाएं पिछले चुनावों में भी सुनने को मिली थी.

प्रदेश के किसानों पर फोकस करते हुए एनडीए ने 'कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि' का ऐलान किया गया है. इसके तहत पीएम-किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाली 6000 रुपये की राशि को बढ़ाकर 9000 करने का वादा किया गया है.

2019 में मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि की शुरुआत की थी, जो उस साल हुए लोकसभा चुनाव में मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ था. अब तक इस योजना की 20 किस्त जारी हो चुकी है.

मतस्य पालकों की सहायता राशि भी 4500 रुपये से बढ़ाकर 9000 रुपये करने की घोषणा की गई है.

एनडीए ने बिहार में 1 करोड़ महिलाओं को 'लखपति दीदी' बनाने का वादा किया है. लखपति दीदी का मतलब है- प्रति वर्ष 1 लाख रुपये कमाने वाली महिलाएं. मोदी सरकार ने 2023 में इस योजना की शुरुआत की थी. PIB की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, जुलाई 2025 तक देशभर में 1.48 करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं.

इसके अलावा, महिलाओं को स्वरोजगार के लिए 2 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करना. महिला उद्यमियों को करोड़पति बनाने में मदद करने के लिए 'मिशन करोड़पति' की शुरुआत करने का वादा किया गया है.

एनडीए ने अतिपिछड़ा वर्ग के विभिन्न व्यावसायिक समूहों को 10 लाख रुपये की सहायता देना का भी वादा किया है. EBCs के लिए कल्याणकारी योजनाओं को तैयार करने के लिए एक समर्पित समिति के गठन का भी ऐलान किया गया है.

गौरतलब है कि 2023 में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत 18 कामगार जातियों के लोगों को ट्रेनिंग और आर्थिक सहायता मुहैया कराया जा रहा है.

एनडीए ने गरीबों के लिए 'पंचामृत' गारंटी के तहत मुफ्त राशन, 125 यूनिट फ्री बिजली, 5 लाख तक मुफ्त इलाज, 50 लाख नए पक्के मकान, सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने का वादा किया है.

पिछड़ा वोट बैंक पर नजर

2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के तहत केंद्र सरकर गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का कैशलेस हेल्थकेयर ट्रीटमेंट दे रही है. प्रदेश की नीतीश सरकार ने इस साल चुनाव से पहले सामाजिक सुरक्षा पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दिया था.

आयुष्मान भारत हो या फिर पीएम आवास योजना, बीजेपी को पिछले चुनावों में इनसे फायदा मिला है. एनडीए इन योजनाओं के जरिए गरीब, दलित, अति पिछड़े वर्ग को टारगेट कर रही है, जो चुनावों में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं.

बिहार में 36 फीसदी अति पिछड़ा आबादी है, जो नीतीश कुमार का कोर वोटर माना जाता है.

राम के बाद सीता के नाम पर राजनीति?

केंद्र की मोदी सरकार ने 2024 के बजट में विष्णुपद मंदिर और बोधगया स्थित महाबोधि कॉरिडोर के निर्माण की घोषणा की थी. अब इसी घोषणा को मैनेफेस्टो में भी डाला गया है. 2025 के मैनिफेस्टो में मां जानकी मंदिर और विष्णुपद, महाबोधि कॉरिडोर के निर्माण का वादा किया गया है.

चुनावी वादों से इतर बिहार दो चरणों में 6 और 11 अक्टूबर को वोट करेगा. नतीजे 14 नवंबर को आएंगे.

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