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बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election Results 2025) के फाइनल नतीजे आ गए हैं और तस्वीर पूरी तरह साफ है. एनडीए ने 200 से ज्यादा सीटों के साथ प्रचंड जीत दर्ज की है, जबकि महागठबंधन 35 के आसपास सिमट गया. इस भारी बहुमत के बीच अब बिहार की राजनीति किस दिशा में जाएगी, यही बड़ा सवाल है.
इस बीच, राज्य की कई हॉट सीटों पर मुकाबला पूरे दिन चर्चा में रहा. कहीं हाई-प्रोफाइल चेहरे थे, कहीं स्टार कैंडिडेट, तो कहीं राजनीतिक विरासत की साख दांव पर थी. अब सीट-दर-सीट जानते हैं किसने बाजी मारी?
राघोपुर सीट पर इस बार भी हाई प्रोफाइल मुकाबला देखने को मिला. यहां आरजेडी के तेजस्वी यादव का सीधा मुकाबला बीजेपी के सतीश कुमार से था. तेजस्वी पहले भी इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. शुरुआती कुछ राउंड में मामूली उतार–चढ़ाव के बाद तेजस्वी ने मजबूत बढ़त बना ली, जो अंतिम राउंड तक कायम रही.
बीजेपी के सतीश कुमार, जो पिछली बार भी तेजस्वी के सामने उतरे थे, इस बार भी उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे, लेकिन निर्णायक बढ़त नहीं बना सके.
तेजस्वी को 1,18,597 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे सतीश कुमार को 1,04,065 वोट हासिल हुए. तेजस्वी ने 14,532 वोटों के अंतर से यह सीट अपने नाम की.
महुआ सीट इस बार बेहद चर्चा में रही, क्योंकि आरजेडी से बाहर किए जाने के बाद लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ बनाकर यहां से चुनाव लड़ा. लेकिन तेज प्रताप इस मुकाबले में पिछड़ गए और तीसरे नंबर पर रहे.
महुआ में लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के संजय कुमार सिंह ने शुरुआत से ही मजबूत बढ़त बनाए रखी और आखिर तक इसे बरकरार रखा. संजय कुमार सिंह को 87,641 वोट मिले हैं.
आरजेडी के उम्मीदवार मुकेश कुमार रोशन, जो पिछली बार इस सीट से विधायक थे, 42,644 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. तेज प्रताप यादव को 35,703 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे.
तारापुर सीट पर इस बार सीधा मुकाबला बीजेपी के सम्राट चौधरी और आरजेडी के अरुण कुमार के बीच रहा. नीतीश कुमार की सरकार में बीजेपी कोटे से बने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पहली बार इस सीट से चुनाव मैदान में थे.
सम्राट चौधरी ने भारी बढ़त के साथ जीत दर्ज की है. उन्हें कुल 1,22,480 वोट मिले हैं.
आरजेडी के अरुण कुमार, जो 2021 के उपचुनाव में जेडीयू के राजीव कुमार सिंह से चार हजार से कम वोटों से हार गए थे, इस बार 76,637 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. तीसरे स्थान पर जनसुराज पार्टी के संतोष कुमार सिंह रहे, जिन्हें 3,898 वोट मिले.
लखीसराय सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा. नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता विजय कुमार सिन्हा लगातार चौथी बार इस सीट से चुनाव मैदान में थे. विजय कुमार सिन्हा को 95,000 से ज्यादा वोट मिले हैं वहीं कांग्रेस के अमरेश कुमार से करीब 75 हजार वोट मिले.
अलीनगर सीट पर इस बार मुकाबला खास रहा. लोकगायिका और हाल ही में बीजेपी में शामिल हुईं मैथिली ठाकुर को पार्टी ने दरभंगा की इस अहम सीट से मैदान में उतारा था. उनके सामने आरजेडी ने बिनोद मिश्र को टिकट दिया था.
चुनाव आयोग के मुताबिक मैथिली ठाकुर को कुल 84,915 वोट मिले हैं. जब्कि आरजेडी के बिनोद मिश्र को 73,185 वोट मिले. दिलचस्प बात यह है कि बिनोद मिश्र पिछली बार इस सीट पर वीआईपी उम्मीदवार से करीब तीन हजार वोटों से हार गए थे.
छपरा विधानसभा सीट पर इस बार सबसे अधिक चर्चा भोजपुरी गायक और अभिनेता खेसारी लाल यादव की रही, जो आरजेडी के टिकट पर शत्रुघ्न यादव नाम से चुनाव लड़ रहे थे. हालांकि भारी भीड़ और स्टार अपील के बावजूद नतीजे उनके पक्ष में नहीं गए.
चुनाव आयोग के मुताबिक खेसारी लाल यादव 7600 वोटों से चुनाव हार गए. खेसारी को 79245 वोट मिले.
बक्सर की कड़गहर सीट पर इस बार चर्चा भोजपुरी सिंगर और अभिनेता रितेश पाण्डेय, उर्फ रितेश रंजन, की उम्मीदवारी को लेकर थी. जन सुराज पार्टी से मैदान में उतरे रितेश रंजन को लेकर शुरू में काफी उत्साह देखा गया, लेकिन वोटों में यह उत्साह बदल नहीं सका.
इस सीट पर जेडीयू के बशिष्ठ सिंह भारी बढ़त के साथ पहले स्थान पर रहे. उन्हें 91,543 वोट मिले. दूसरे स्थान पर उदय प्रताप सिंह (बीएसपी) रहे, जिन्हें 56,178 वोट मिले. रितेश रंजन को 16,203 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहे.
मोकामा सीट इस चुनाव की सबसे चर्चित सीटों में रही, जहां बाहुबली छवि वाले दो बड़े नाम आमने-सामने थे. जेडीयू ने यहां से अनंत सिंह को उम्मीदवार बनाया था, जबकि आरजेडी ने सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी पर दांव लगाया.
अनंत सिंह ने 28,206 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. उन्हें कुल 91,416 वोट मिले. आरजेडी की वीणा देवी 63,210 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं. वहीं जन सुराज के प्रियदर्शी पियूष ने 19,365 वोट हासिल किए और तीसरे नंबर पर रहे.
इस सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान तनाव काफी बढ़ गया था. प्रचार के बीच दुलारचंद यादव की हत्या हुई थी और इस मामले में अनंत सिंह को गिरफ्तार किया गया था.
कुटुंबा सीट पर इस बार मुकाबला खास था क्योंकि कांग्रेस ने यहां से अपने प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार को फिर मैदान में उतारा था. लेकिन रुझानों से लेकर अंतिम गिनती तक वे लगातार पीछे रहे
एनडीए की तरफ से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने ललन राम को टिकट दिया था, जिन्होंने शुरू से ही बढ़त बनाई रखी और निर्णायक जीत हासिल की.
सिवान सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प रहा क्योंकि नीतीश सरकार में मंत्री रहे मंगल पांडे पहली बार यहां से बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे. उनका सीधा मुकाबला आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी से था. मंगल पांडे ने 92,379 वोटों के साथ जीत दर्ज की और 9,370 वोटों से विजयी रहे. आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी को 83,009 वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे.
सिवान के पूर्व सांसद और बाहुबली माने जाने वाले नेता शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब की राजनीति में एंट्री धमाकेदार रही है. रघुनाथपुर विधानसभा सीट से आरजेडी उम्मीदवार ओसामा ने अपने पहले ही चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है.
ओसामा के पिता शहाबुद्दीन की सिवान में एक समय गहरी राजनीतिक पकड़ थी, हालांकि उन्होंने कभी रघुनाथपुर सीट से चुनाव नहीं लड़ा. अब राजनीतिक विरासत को ओसामा ने आगे बढ़ाते हुए इस सीट पर निर्णायक जीत हासिल की है.
ओसामा शहाब को 88278 वोट मिले और 9248 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल हुई है. जेडीयू के विकास कुमार सिंह, जिन्हें 79,030 वोट मिले, दूसरे स्थान पर रहे.