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"आदमी सवाल पूछे तो पूछे किससे? मैंने क्या किया है? मैंने सिर्फ सवाल पूछा है."
ये कहना है भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौड़ (Neha Singh Rathore) का. 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सोशल मीडिया पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर सिंगर नेहा सिंह राठौड़ के खिलाफ 'देशद्रोह' सहित बीएनएस की 10 धाराओं में FIR दर्ज हुई है.
द क्विंट से बातचीत में नेहा सिंह राठौड़ कहती हैं,
नेहा सिंह राठौड़ के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में रविवार, 27 अप्रैल को कवि अभय प्रताप सिंह उर्फ अभय सिंह निर्भीक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई है.
FIR पर बात करते हुए नेहा सिंह राठौड़ बताती हैं कि उन्हें इसके बारे में सोशल मीडिया से पता चला. वो कहती हैं, "सोशल मीडिया से ही मुझे पता चला कि एफआईआर दर्ज हुई है और देशद्रोह की धारा लगाई गई है. 11 धाराओं में एफआईआर हुई है. मुझे हंसी भी आ रही है और दुख भी हो रहा है. ये चल क्या रहा है. चाहिए था आतंकवादियों का सिर लाना तो इधर मेरे ऊपर एफआईआर हो रही है."
इसके साथ ही नेहा कहती हैं,
वहीं उनके पति हिमांशु सिंह ने द क्विंट को बताया कि "अभी फोन या किसी तरह की सूचना नहीं दी गई है. जो भी जानकारी हमें मिली है, वो सोशल मीडिया के जरिए मिली है. एफआईआर की कॉपी भी हमें सोशल मीडिया के जरिए ही मिली है. आधिकारिक रूप से पुलिस का हमसे कोई संपर्क नहीं हुआ है."
इस सवाल पर नेहा राठौड़ कहती हैं, "ये सब बहाना है. 'यूपी में का बा' जब मैंने गाया था तो किस पाकिस्तानी ट्विटर हैंडल ने शेयर किया था. ऐसा बिल्कुल नहीं है. ये तो एक बहाना है, मेन बात मुझे डराना है. मुद्दों से भटकाना और मुझे डराना है."
गौरतलब है कि 25 अप्रैल को नेहा का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पाकिस्तानी अकाउंट से भी शेयर किया गया था.
नेहा आगे कहती हैं, "सोशल मीडिया की कोई सीमा नहीं है. वहां कोई किसी का वीडियो शेयर कर सकता है. आपको याद होगा पिछली बार 'दिल ये पुकारे' गाने पर डांस करते हुए एक पाकिस्तानी लड़की इंडिया में काफी ट्रेंड कर रही थी. तब लोग कह रहे थे कि लता मंगेशकर जी का गाना ट्रेंड कर रहा है. सोशल मीडिया पर कुछ भी, कहीं भी ट्रेंड कर सकता है. कोई किसी भी देश में वायरल हो सकता है. यह मेरे वश में नहीं है."
अब उनका अगला कदम क्या होगा? इस सवाल पर वो कहती हैं, "मैं वकील ढूंढ रही हूं. हम लोग बहुत साधारण लोग हैं. मेरा ऐसा ही एक मामला एमपी में चल रहा है, जिसको लेकर कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ रहा है. फिर एक और एफआईआर हो गया है. मेरी सारी ऊर्जा वकील ढूंढ़ने में जा रही है. मैं काम क्या करूंगी."
एफआईआर में नेहा सिंह राठौड़ पर "राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने" और लोगों को "धर्म और जाति" के आधार पर उकसाने के भी आरोप लगाए गए हैं. एफआईआर में कहा गया है, "दो समुदाय के विरुद्ध आपसी सौहार्द बिगाड़ने, शांति व्यवस्था को भंग करने हेतु नेहा सिंह राठौड़ लगातार पहलगाम हमले को लेकर देशविरोधी बातें कर रही हैं और अपने ट्विटर हैंडल से लगातार आपत्तिजनक पोस्ट कर रही हैं."
एफआईआर में राठौड़ के तीन ट्वीट और एक पाकिस्तानी हैंडल का जिक्र है. पहले ट्वीट में सवाल किया गया है कि क्या किसी आतंकी हमले की पहले से आशंका थी, जिसकी वजह से पीएम मोदी का दौरा रद्द कर दिया गया.
ट्वीट में लिखा है, "मोदी जी 19 अप्रैल को जम्मू जाने वाले थे, लेकिन उनकी यात्रा स्थगित कर दी गई. तीन दिन बाद 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ और 27 पर्यटक मारे गये. मोदीजी की जम्मू यात्रा किस बहाने से स्थगित की गई? क्या किसी आतंकी हमले की आशंका थी?"
FIR में दर्ज दूसरे ट्वीट में वो कहती हैं, "इस तरह का हमला किसने करवाया होगा? किसे फ़ायदा होगा? सोचिये-सोचिये! कॉमन सेंस लगाकर बताइये!"
इसी तरह की बात बात वो एक अन्य ट्वीट में भी करती हैं.
एफआईआर में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी से जुड़े पीटीआई_प्रमोशन नामक हैंडल के ट्वीट का भी जिक्र किया गया है. इस हैंडल से राठौड़ का एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें वो कह रही हैं, "भाजपा का आईटी सेल मुझे देशद्रोही बता कर ट्विटर पर ट्रेंड चला रहा है, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं देश के प्रधानमंत्री से सवाल पूछती हूं."
वीडियो में वो आगे कहती हैं, "पहलगाम में 2000 सैलानियों के लिए सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं थी. कौन जिम्मेदारा है इसका? आतंकी हमले के बाद बिहार में रैली करना इतना जरूरी था?"
FIR के मुताबिक, नेहा सिंह राठौड़ के खिलाफ BNS की धारा 196(1)(a) [विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना], 196(1)(b) [विभिन्न समूहों के बीच सौहार्द और शांति भंग करना], 197(1)(a-d) [राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप, दावे- बोले या लिखित या संकेतों द्वारा या दृश्य अभ्यावेदन द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से या अन्यथा] और 353(1)(c) [झूठी जानकारी, अफवाह या गलत रिपोर्ट बनाया या प्रकाशित करना] के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस मामले पर डीसीपी सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव ने कहा, "तहरीर के आधार पर सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया है. अभियोग की विविचेना थाना प्रभारी हजरतगंज के द्वारा की जा रही है. गुण-दोष के आधार पर इसमें कार्रवाई की जाएगी."
पहलगाम आतंकी हमले से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी के खिलाफ भी BNS की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना) सहित 6 अन्य धाराओं और आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. प्रोफेसर माद्री डॉ. मेडुसा के नाम से एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी हैं.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेता जतिन शुक्ला की शिकायत के आधार पर लखनऊ के हसनगंज थाने में काकोटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. काकोटी पर भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को कमजोर करने का आरोप लगाया गया है.
पहलगाम हमलों के बाद काकोटी ने एक्स पर कई वीडियो पोस्ट शेयर किए, जिसमें उन्होंने सरकार पर सवाल उठाए हैं और गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की भी मांग की है. एक वीडियो में वो कहती हैं, "इंटेलिजेंस और आतंरिक सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हो गई और गृहमंत्री को पता तक नहीं था. अगर सरकार इनसब चीजों के लिए जिम्मेदार नहीं है तो फिर सरकार करती क्या है?"
एक दूसरे वीडियो में वो कश्मीर के बाहर रहने वाले कश्मीरी लोगों की सुरक्षा की बात कर रही हैं.
डॉ. काकोटी के खिलाफ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है. पांच दिन में उनसे मामले में जवाब मांगा गया है.
नोटिस में लिखा है, "आपका संदेश व वीडियो पाकिस्तान द्वारा संचालित एक्स हैंडल पर भी रिपोस्ट जा रहा है, जिससे लखनऊ विश्वविद्यालय और राष्ट्र की छवि धूमिल होने की संभावना है. आपके इस कृत्य से देश व समाज के प्रति गलत संदेश गया है."
डॉ. काकोटी ने मामले पर स्पष्टीकरण दिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "मेरे द्वारा किए गए ट्वीट और बनाए गए वीडियो में आतंकवादी/आतंकी शब्द सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान द्वारा समर्थित और प्रायोजित आतंकवादियों के लिए है, जिन्होंने पहलगाम में धर्म पूछकर भारतीयों की निर्मम हत्या को अंजाम दिया. इन सभी आतंकवादियों की और ऐसे पाकिस्तान समर्थित हमले की जितनी निंदा की जाए कम है."
वो आगे कहती हैं,
लखनऊ विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरव बनर्जी को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. डॉ. बनर्जी पर सोशल मीडिया पर राजनीतिक और आपत्तिजनक पोस्ट के आरोप लगे हैं. विश्वविद्यालय ने पोस्ट्स को शिक्षक की गरिमा और टीचर्स के कोड ऑफ कंडक्ट के खिलाफ बताया है. डॉ. बनर्जी को 5 कार्य दिवस के अंदर लिखित स्पष्टीकरण देना है.
30 अप्रैल को कुलसचिव की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, "आप द्वारा सोशल मीडिया पर इस्तेमाल की गई भाषा पूर्णतया राजनैतिक है और एक शिक्षक की मर्यादा के अनुकूल नहीं है."
इसके साथ ही नोटिस में लिखा है, "आपका यह कृत्य देश व समाज के प्रति नफरत फैलाने जैसा है."
(इनपुट- अशहर असरार)