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हरिद्वार भगदड़: 'करंट की अफवाह' या हकीकत? चश्मदीदों ने उठाए प्रशासन पर सवाल

हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर मार्ग में मची भगदड़ में आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 30 लोग घायल हैं.

अवनीश कुमार
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>हरिद्वार भगदड़: 'करंट की अफवाह' या हकीकत? चश्मदीदों ने उठाए प्रशासन पर सवाल</p></div>
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हरिद्वार भगदड़: 'करंट की अफवाह' या हकीकत? चश्मदीदों ने उठाए प्रशासन पर सवाल

Photo: The Quint

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"प्रशासन झूठ बोल रहा है. मनसा देवी में वाकई वायर टूटा था और कई लोगों को करंट लगा. खुद मेरी पत्नी को भी करंट लगा था. इस भगदड़ में मेरी साली भी घायल हुई, जिसका इलाज अभी एम्स ऋषिकेश में चल रहा है."

यह कहना है बरेली निवासी रवि का, जो 27 जुलाई को अपने परिवार के साथ हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर दर्शन के लिए गए थे. रवि ने बताया कि यह घटना सुबह करीब 9 बजे हुई, जब मनसा देवी के मंदिर तक जाने वाले संकरे रास्ते पर वे अपने परिवार के साथ मौजूद थे.

रविवार सुबह हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में मची भगदड़ (Haridwar Stampede) में 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 घायल हो गए. हादसा उस वक्त हुआ जब हजारों श्रद्धालु मंदिर के मुख्य द्वार से करीब 100 मीटर पीछे एक संकरे रास्ते पर जमा थे. प्रशासन का कहना है कि भगदड़ बिजली के करंट फैलने की अफवाह के कारण मची, लेकिन रवि जैसे प्रत्यक्षदर्शियों के बयान प्रशासन की कहानी पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

मनसा देवी मंदिर मार्ग 

 द क्विंट द्वारा प्राप्त 

'पहले अफरा-तफरी फिर करंट लगा'

द क्विंट से बातचीत में रवि बताते हैं कि मंदिर तक जाने वाली सीढ़ियों पर चढ़ने और उतरने दोनों का रास्ता एक ही होने के कारण वहां भारी भीड़ जमा हो गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर का मुख्य दरवाजा कर्मचारियों ने बंद कर रखा था और बाहर तैनात कुछ कर्मचारी और एक-दो पुलिसकर्मी डंडों से भीड़ को पीछे धकेल रहे थे. इसी धक्का-मुक्की के बीच कुछ लोग गिर गए और अफरा-तफरी मच गई.

रवि के मुताबिक, अफरा-तफरी के दौरान कोई दीवार पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था तो कोई पास से गुजर रहे बिजली के तारों को पकड़ रहा था. इसी दौरान एक वायर टूट गया, जिससे कई लोगों को करंट लग गया. उन्होंने बताया कि उनके परिवार के कई सदस्य इस हादसे में घायल हुए हैं और कुछ को गंभीर चोटें भी आई हैं.

उत्तर प्रदेश के रामपुर से मनसा देवी मंदिर दर्शन के लिए आए 19 वर्षीय विशाल सैनी की भगदड़ में मौत हो गई. उनके चचेरे भाई विपिन सैनी ने द क्विंट को बताया, "पहले अफरा-तफरी मची, फिर एक वायर टूटा, जिससे कई लोगों को करंट लगा. लोग घबराकर भागने लगे और भगदड़ में कई लोग दब गए. हम दोनों भीड़ में अलग हो गए. मैं किसी तरह निकल पाया, लेकिन विशाल की मौत हो गई."

भगदड़ में घायल 4 साल की बच्ची  

सोर्स: X/@DIPR_UK

करंट लगने से हुई मौत?

मृतकों में उत्तर प्रदेश के रामपुर के 18 वर्षीय विक्की सैनी और उनके रिश्तेदार विपिन सैनी शामिल थे. उनके एक रिश्तेदार सचिन सैनी ने हादसे के समय की भयावह स्थिति को याद करते हुए कहा,

"करंट लगने की बात सुनते ही लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे. कई लोग जमीन पर गिर गए और उठ नहीं पाए. करीब 100 से 150 लोग गिरे थे. हम चारों भी गिर पड़े थे, लेकिन किसी तरह मैं और मेरा एक साथी बाहर निकल पाए. बाद में विपिन और विक्की को बाहर निकाला, लेकिन तब तक उनकी सांसें थम चुकी थीं."

सचिन ने आगे बताया कि विपिन और विक्की के शरीर पर करंट लगने के कई निशान थे. उन्होंने कहा, "विपिन की गर्दन पर काले निशान थे, जबकि विक्की के पेट और सिर पर करंट लगने के साफ निशान दिखाई दे रहे थे."

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स्थानीय दुकानदार ने भी किया करंट का दावा

स्थानीय दुकानदार लवकुश ने भी करंट की पुष्टि करते हुए कहा, "भीड़ बहुत ज्यादा थी. कई भक्त दीवार पर चढ़ने लगे थे, तभी कुछ लोगों ने चिल्लाना शुरू किया कि करंट आ रहा है. यह बात तेजी से फैली और भगदड़ मच गई. अफरातफरी में सभी लोग एक ही जगह पर गिर पड़े."

स्थानीय दुकानदार दीवार दिखाते हुए

 द क्विंट द्वारा प्राप्त 

"प्रशासनिक लापरवाही से हुआ हादसा"

भगदड़ को लेकर बाराबंकी से आए श्रद्धालु कन्हैया ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने द क्विंट को बताया, "मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत ज़्यादा थी, लेकिन वहां किसी भी तरह की प्रशासनिक व्यवस्था नहीं थी. न तो भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी थे और न ही कोई बैरिकेडिंग या लाइन लगाने की व्यवस्था."

कन्हैया का कहना है कि अगर प्रशासन पहले से सतर्क होता और श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए उचित इंतजाम करता, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था. उन्होंने यह भी कहा कि मार्ग बहुत संकरा था, लेकिन फिर भी हजारों लोग एक साथ उसी रास्ते से ऊपर जाने की कोशिश कर रहे थे.

प्रशासन ने करंट लगने की बात को बताया अफवाह

मनसा देवी मंदिर में भगदड़ के बाद सामने आए करंट लगने के दावों पर प्रशासन ने अपनी सफाई दी है. हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा,

"हमने तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से पाया कि किसी ने बिजली के तार टूटने की अफवाह फैलाई, जबकि घायलों या मृतकों को देखकर हमें ऐसा कोई संकेत नहीं मिला. हम जांच करेंगे कि किसने अफवाह फैलाई."
हालांकि, हरिद्वार कोतवाली थाना प्रभारी ने द क्विंट से बातचीत में कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लिया जा रहा है और उनकी पूरी जांच की जा रही है.

हादसे को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए हैं. आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को ऋषिकेश स्थित एम्स रेफर कर दिया गया है. अन्य का हरिद्वार के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है.

सुमन ने कहा कि मंदिरों में भीड़ नियंत्रण के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे. उन्होंने कहा, "हम संवेदनशील आबादी को ध्यान में रखते हुए बैरिकेडिंग में सुधार करेंगे और एक साथ प्रवेश करने वाले लोगों की संख्या सीमित करेंगे."

उन्होंने कहा कि हमने कांवड़ यात्रा का अच्छा प्रबंधन किया था, तब मंदिर में मौजूदा संख्या से कई गुना ज्यादा भीड़ उमड़ी थी."

भगदड़ में सबसे ज्यादा यूपी के श्रद्धालु मारे गए

मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ में सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश से हुई हैं. इस दर्दनाक हादसे में यूपी के छह लोगों की जान गई, जिनमें बदायूं के राम भरोसे और उनकी पत्नी शांति, बाराबंकी के वकील, रामपुर के विशाल और विक्की, और बरेली के आरुष शामिल हैं. इसके अलावा बिहार के शकलदेव और उत्तराखंड के विपिन सैनी की भी मौत हुई है.

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