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"100 नंबर पर न जाने कितनी बार कॉल किया लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला. उस समय पत्नी की बॉडी में थोड़ी जान बची थी. मैंने रेलवे पुलिस के जवानों से रिक्वेस्ट किया कि वो उसे देखें. मैंने कहा कि जिसमें जान बची है उसको तो कम से कम देख लो. जब तक स्ट्रेचर आया, बहुत देर हो चुकी थी."
यह कहना है लोकनायक हॉस्पिटल में भर्ती 52 साल के उमेश गिरी का जिन्होंने अपनी पत्नी शीलम देवी को हमेशा के लिए खो दिया है. शीलम देवी की मौत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की रात मची भदड़द में हुई है. स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 14-15 पर हुए इस हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई है. इनमें 14 महिलाएं हैं और यह सरकारी आंकड़ा है. इस हादसे में उमेश गिरी जैसे कई लोग घायल भी हैं जिनका इलाज लोकनायक हॉस्पिटल में चल रहा है.
रेल मंत्रालय ने मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है. मंत्रालय ने यह भी घोषणा की है कि गंभीर चोटों वाले पीड़ितों को 2.5 लाख रुपये मिलेंगे जबकि मामूली चोटों वाले लोगों को 1 लाख रुपये मिलेंगे. इस बीच दिल्ली पुलिस ने मृतकों के नाम के साथ एक लिस्ट जारी की है.
डीसीपी, रेलवे, केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, “जब प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर थी, तो बहुत सारे लोग इकट्ठा हो गए थे… स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी देरी से चल रही थीं, और इन ट्रेनों के यात्री भी प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर मौजूद थे. हमारी जानकारी के अनुसार, 1,500 जेनरल टिकट बेचे गए थे, यही वजह है कि भीड़ बेकाबू हो गई. प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर और प्लेटफॉर्म नंबर 1 के पास एक एस्केलेटर के पास भगदड़ जैसी स्थिति थी.
उमेश गिरी अपनी पत्नी शीलम देवी और दो बच्चों के साथ महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज जा रहे थे. उनकी ट्रेन प्रयागराज स्पेशल रात के 10.10 बजे निकलने वाली थी. उन्हें 16 नंबर प्लेटफॉर्म से ही भीड़ मिलनी शुरू हो गई लेकिन उन्हें लगा कि महाकुंभ को लेकर इतनी भीड़ तो होगी है. लेकिन जैसे ही वो 14 नंबर प्लेटफॉर्म पर पहुंचे, भीड़ ने भयानक रूप ले लिया था. क्विंट हिंदी ने जब उनसे बात की तो उनका दर्द साफ चेहरे पर दिख रहा था. जख्मी पैरों से अधिक दर्द अपनी पत्नी को हमेशा के लिए खोने का था.
शीलम देवी ने भगदड़ में अपनी जान गंवा दी.
(फोटो- एक्सेस बाई क्विंट हिंदी)
उन्होंने कहा
उमेश गिरी के पैरों में चोट आई है
(फोटो- आशुतोष कुमार सिंह, क्विंट हिंदी)
35 साल की ललिता देवी अपने भांजे गिरधारी के साथ पटना से पानीपत के लिए निकली थीं. पहले वो ट्रेन पकड़कर आनंद बिहार आईं और फिर वहां से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंची थीं. यहां वो पानीपत के लिए ट्रेन लेने वाली थीं. लेकिन नई दिल्ली रेवले स्टेशन पर मची भगदड़ में उन्हें जान गंवानी पड़ी.
मौके पर ललिता देवी के साथ मौजूद उनसे भांजे गिरधारी ने कहा कि उसे भगदड़ के समय प्लेटफॉर्म के पास एक पुलिसकर्मचारी जरूर दिखा था लेकिन उसने मदद नहीं की क्योंकि उसे भी जान का खतरा था.
गिरधारी ने यह भी दावा किया कि उसकी मामी के बेड के बगल में एक बच्चा भी था. वो भी बिना ऑक्सीजन के मर गया.
वहीं मृतका के दूसरे भांजे सूरज ने क्विंट हिंदी से बातचीत में दावा किया कि भीड़ के बीच भगदड़ में दबने के बावजूद उसकी मामी की सांसे चल रही थीं लेकिन स्टेशन पर उनको देखने वाला और उन्हें प्राथमिक उपचार देने वाला कोई नहीं था, न पुलिस थी न कोई प्रशासनिक अधिकारी.
ललिता देवी के पति संतोष कबाड़ी का काम करते हैं. उन्हें सबसे पहले यह खबर मिली थी कि उनकी पत्नी भगदड़ में बुरी तरह घायल हो गई हैं और उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है. लेकिन उनके लिए बिना किसी प्लानिंग के दिल्ली आना इतना आसान नहीं था. उन्हें गाड़ी का इंतजाम करने के लिए अपने मालिक से विनती करनी पड़ी और फिर तेल के लिए पैसे का इंतजाम करना पड़ा.
संतोष ने अपनी पत्नी ललिता देवी को हमेशा के लिए खो दिया है.
(फोटो- शादाब मोइज़ी, क्विंट हिंदी)