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"महाकुंभ भगदड़ में मौत लेकिन हार्टअटैक पर साइन कराया", पुलिस बोली मुआवजे का लालच

मृतक कामता प्रसाद के परिजनों का दावा- "UP पुलिस ने जबरदस्ती कागज पर यह लिखकर साइन करवाया की मौत हार्ट अटैक से हुई."

आशुतोष कुमार सिंह
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>ग्वालियर के रहने वाले कामता प्रसाद बघेल की महाकुंभ मेला में मौत हुई</p></div>
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ग्वालियर के रहने वाले कामता प्रसाद बघेल की महाकुंभ मेला में मौत हुई

(फोटो- कामरान अख्तर, द क्विंट)

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परिजनों का दावा- "मेरे भाई की महाकुंभ में भगदड़ के दौरान मौत हो गई. लेकिन पुलिस ने हमसे उस कागज पर जबरदस्ती साइन करवाया जिसपर लिखा था कि मौत भगदड़ में नहीं बल्कि हार्ट अटैक से हुई थी."

पुलिस का दावा- "उसके परिजनों में मुआवजे वाले 25 लाख वाला कीड़ा रेंगने लगा है. मौत भगदड़ में नहीं महानिर्वाणी अखाड़े के शिविर के पास हार्ट अटैक से हुई थी."

मध्यप्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले कामता प्रसाद बघेल प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में गंगा स्नान करने गए थे. लेकिन वहां उनकी मौत हो गई. मौत 29 जनवरी को ही हुई थी, जिस दिन संगम नोज और झूंसी में भगदड़ मचने से कम से कम 30 लोगों (सरकारी आंकड़ा) को जान गंवानी पड़ी थी.

ऐसे में क्विंट हिंदी से बात करते हुए कामता प्रसाद के परिजनों ने दावा किया है कि उनकी मौत भी भगदड़ की चपेट में आने से हुई है लेकिन पुलिस ने उनपर दबाव बनाकर जबरदस्ती एक कागज पर यह लिखकर साइन करवाया कि मौत हार्ट अटैक आने से हुई है. वहीं दूसरी तरफ जिस पुलिस थाना प्रभारी पर यह आरोप लगे हैं, उन्होंने क्विंट हिंदी से बात करते हुए इससे साफ इंकार किया है और कहा कि मौत हार्ट अटैक से ही हुई है. परिजन सरकारी मुआवजे की राशि पाने के लिए यह झूठा दावा कर रहै हैं.

"यह यूपी सरकार है, एमपी सरकार नहीं. कागज पर साइन करो"

मृतक कामता प्रसाद बघेल

(फोटो- एक्सेस बाई क्विंट हिंदी)

कामता प्रसाद बघेल मौनी अमावस्या से दो दिन पहले, यानी 27 जनवरी को 5 और लोगों के साथ महाकुंभ के लिए निकले थे. पहले उन लोगों ने 28 जनवरी को गंगा में स्नान किया और फिर उनका प्लान था कि 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान भी करेंगे.

उनके साथ महाकुंभ में उनके फूफेरे भाई मानसिंह बघेल भी गए थे. उन्होंने क्विंट हिंदी से बात करते हुए दावा किया कि संगम नोज के पास मची भगदड़ की चपेट में कामता प्रसाद भी आ गए.

"उनका शरीर थोड़ा भारी था. हम तो साइड हो गए थे लेकिन वो भीड़ के बीच दब गए. जब भीड़ कम हुई तो हम उनको उठाकर 2-2.5 किमी दूर अखाड़े (महानिर्वाणी) के पास लेकर आए. उनकी हालत बहुत सीरियस थी. हमने मालिश की, एक डॉक्टर भी वहीं आए लेकिन उनके कुछ करने के पहले ही भाई की मौत हो गई. फिर वहां पुलिस आई और उनकी बॉडी को उठाकर थाने ले गई."
मानसिंह बघेल

मानसिंह बघेल का कहना है कि इसके बाद पुलिस ने उनपर दबाव बनाया कि वह एक कागज पर यह लिखकर साइन करें कि कामता प्रसाद की मौत हार्ट अटैक आने से हुई है. मानसिंह के अनुसार जब उन्होंने पुलिसकर्मियों से यह कहा कि उनके भाई की मौत भगदड़ की चपेट में आने से हुई है, तो पुलिस ने कहा कि बॉडी तो अखाड़े के पास मिली थी.

मानसिंह का दावा है कि पुलिस ने ही सादे कागज पर उनके हवाले से लिखा कि कामता प्रसाद की मौत हार्ट अटैक से हुई है. और पुलिस आवश्यक कार्रवाई करे. पुलिस ने धमकी दी कि अगर इसपर साइन नहीं किया तो बॉडी वापस नहीं दी जाएगी. कथित तौर पर उनसे कहा गया कि "यह यूपी सरकार है, एमपी सरकार नहीं." उन्होंने पुलिस के लिखे कागज पर साइन किया.

मानसिंह के अनुसार इसी कागज पर पुलिस ने उनसे जबरदस्ती साइन करवाया

(फोटो- एक्सेस बाई क्विंट हिंदी)

पुलिस के मना करने के बावजूद मानसिंह ने बॉडी का पोस्टमार्टम करवाया. रिपोर्ट लिखे जाने तक परिवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली थी.

"हम चाहते थे पुलिस लिखे कि मेरे भाई की मौत संगम घाट पर भगदड़ में हुई है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. हमें कोई डेथ सर्टिफिकेट नहीं दिया गया. वहां से हमें कोई सरकारी एम्बुलेंस नहीं मिली. वो तो एमपी सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से बात करने के बाद उन्होंने एम्बुलेंस का इंतजाम कराया."
मानसिंह बघेल
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"इनमें मुआवजे के ₹25 लाख का कीड़ा रेंगने लगा है"

पुलिस पर लगे इस गंभीर आरोप पर क्विंट हिंदी ने पुलिस प्रभारी अखाड़ा (सेक्टर 18) भास्कर मिश्र से बात की. उन्होंने दावा किया कि भगदड़ वाली जगह से करीब 2-2.5 किमी दूर मौजूद महानिर्वाणी अखाड़े में ही कामता प्रसाद की मौत हुई थी.

"करीब 11-12 लोगों के ग्रुप के साथ ये लोग महानिर्वाणी अखाड़े में रुके थे. रात करीब 3.30 बजे (29 जनवरी) कामता प्रसाद को अखाड़े में ही हार्ट अटैक आया. वहां एक डॉक्टर भी थे जिन्होंने सीपीआर देने की भी कोशिश की. लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. हमें 4.30 बजे सूचना मिली तो मैंने आवश्यक कार्रवाई की. अब इनको भगदड़ वाली बीमारी लग गई है. इनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है, स्वाभाविक हुई है, महानिर्वाणी अखाड़े में हुई है.
भास्कर मिश्र, पुलिस प्रभारी

पुलिस प्रभारी भास्कर मिश्र ने क्विंट हिंदी से आगे कहा, " वो (परिजन) कहना क्या चाह रहे हैं. मैं क्यों लिखवाउंगा कि मौत भगदड़ से नहीं, हार्ट अटैक से हुई है. वो एप्लीकेशन देते हैं, और मैं कार्रवाई करता हूं."

"पुलिस बॉडी लेकर क्या करेगी. हम लोग रोज यहां 4-5 लोगों का पोस्टमार्टम करते हैं. इनको ₹25 लाख का कीड़ा रेंगने लगा है."
भास्कर मिश्र, पुलिस प्रभारी

पुलिस प्रभारी भास्कर मिश्र के अनुसार उन्हें कामता प्रसाद की स्थिति के बारे में  महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महंत यमुना पूरी महाराज ने कॉल पर जानकारी दी थी. जब इस बारे में क्विंट हिंदी ने  महंत यमुना पूरी महाराज से बात की तो उन्होंने कहा, "वो लोग अखाड़े में नहीं ठहरे थे बल्कि पास की सड़क से गुजर रहे थे और वहीं से आए थे. हमारे यहां एक डॉक्टर ठहरे हुए थे. उन्होंने उसे (कामता प्रसाद को) सीपीआर देने की कोशिश की थी. मौत सामान्य रूप से हुई थी. मौत भगदड़ से नहीं हुई थी. संगम यहां से 2-2.5 किमी दूर है. मैंने बॉडी नहीं देखी थी. हो सकता है परिजन पैसे के लिए ऐसा बोल रहे हों."

"पापा ही घर में अकेले कमाने वाले थे"

50 साल के कामता प्रसाद इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाते थे. उनके घर में उनकी पत्नी के अलावा 3 बेटियां और एक बेटा है. तीनों बेटियों की शादी हो गई है जबकि सबसे छोटा बेटा अभी पढ़ाई करता है.

पत्नी के साथ कामता प्रसाद की तस्वीर

(फोटो- एक्सेस बाई क्विंट हिंदी)

क्विंट हिंदी से बात करते हुई उनकी सबसे बड़ी बेटी रजनी पाल ने कहा, "घर में सिर्फ पापा ही कमाने वाले थे. अब कोई नहीं है. मुझे नहीं पता अब घर कैसे चलेगा. 5 महीने पहले ही बहन की शादी की थी, उसका भी ₹10 लाख का कर्जा चुकाना है. भाई तो अभी छोटा है. हम तीनों बहनें कुछ सहारा देंगे. मेरी मम्मी अभी भी अंदर बेहोश पड़ी हैं. पापा को गुजरे 5 दिन हो गए हैं. मां ने न कुछ खाया है न पिया है.

"पापा को हार्ट अटैक आने वाली बात बिल्कुल झूठ है. वो संगम के पास सो रहे थे तभी भगदड़ में पैरों के नीचे आ गए. उन्हें उठने का मौका भी नहीं मिला. वहां हमारा भाई (मानसिंह) पुलिस के बीच अकेला पड़ गया और उससे जबरदस्ती उन्होंने कागज पर साइन करा लिया."
रजनी पाल, मृतक की बेटी

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