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उत्तर प्रदेश के कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट की वजह से 6 महीने में 2 युवकों की मौत का मामला सामने आया है. दोनों मामलों में कानपुर के एक डॉक्टर का नाम सामने आया है. दोनों केस में मौत हेयर ट्रांसप्लांट के करीब 24 से 48 घंटे के अंदर हुई. क्लीनिक का नाम एम्पायर और डॉक्टर का नाम अनुष्का तिवारी है. पुलिस को इस बात का शक है कि डॉक्टर अनुष्का की डिग्री सही है या फर्जी? एक युवक की मौत के मामले में पुलिस ने FIR दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है. हालांकि, एफआईआर दर्ज होने लगभग 18 दिन बाद डॉक्टर अनुष्का ने एडीजी कोर्ट कानपुर में सरेंडर कर दिया.
कानपुर के इंजीनियर विनीत दुबे की मौत 15 मार्च 2025 को हो गई. इस मामले में विनीत की पत्नी जया दुबे ने रावतपुर थाने में FIR दर्ज कराई है, जिसके मुताबिक, 13 मार्च को डॉक्टर अनुष्का तिवारी के वराही क्लीनिक (पुराना नाम एम्पायर क्लिनिक) में हेयर ट्रांसप्लांट करवाया. इसी दौरान उनके पति का चेहरा सूजना शुरू हो गया. धीरे-धीरे पूरा चेहरा सूज गया. कुछ घंटों के बाद उनकी मौत हो गई. मौत से पहले उन्हें दर्द हो रहा था.
हेयर ट्रांसप्लांट से पहले और बाद (मौत) विनीत की तस्वीर
(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
विनीत दुबे की पत्नी जया दुबे द्वारा दर्ज FIR कॉपी
(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
विनीत के चाचा वेद प्रकाश के मुताबिक, हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान ही विनीत का चेहरा सूज गया था और उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी. यह देखते हुए डॉक्टर ने उन्हें दूसरे अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी. इसके बाद वेद प्रकाश ने विनीत को कानपुर के रीजेंसी हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां उन्हें आईसीयू में 5 घंटे तक ऑब्जर्वेशन में रखा गया. हालांकि, उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 15 मार्च की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया.
वेद प्रकाश ने यह भी बताया कि वे यह नहीं कह सकते कि रीजेंसी में विनीत का इलाज किस डॉक्टर ने किया था.
इस मामले में एडीजे कोर्ट कानपुर में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए डॉ. अनुष्का ने कहा, 'मैंने हेयर ट्रांसप्लांट नहीं किया था." उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि बर्रा निवासी डॉ. मनीष सिंह ने हेयर ट्रांसप्लांट किया था, जिसके बाद इंजीनियर विनीत दुबे की मौत हो गई थी.
कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरि दत्त नेगी ने बताया कि विनीत दुबे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है, इसलिए अब विसरा जांच के लिए सैंपल भेजा जाएगा. विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारण का पता चल सकेगा.
विनीत की तरह ही करीब 6 महीने पहले इंजीनियर मयंक कटियार की भी मौत हुई थी. फतेहगढ़ के इंजीनियर मयंक कटियार ने 18 नवंबर 2024 को कानपुर के एम्पायर क्लीनिक (नया नाम वराही क्लीनिक) में हेयर ट्रांसप्लांट कराया. परिवार का आरोप है कि प्रक्रिया के दौरान लापरवाही और गैर-पेशेवर तरीके से इलाज किया गया. जिसकी वजह से मयंक को रातभर स्वेलिंग और असहनीय दर्द हुआ.
मयंक के भाई कुशाग्र कटियार ने बताया कि हेयर ट्रांसप्लांट कराने से पहले मयंक की सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल थी, लेकिन इस प्रक्रिया के अगले दिन ही उनकी मौत हो गई.
मयंक की मां प्रमोदिनी ने बताया, "रातभर हमारा बेटा दर्द से तड़पता रहा. सुबह उसकी हालत और खराब हो गई, लेकिन डॉक्टर ने मदद करने के बजाय हमें ब्लॉक कर दिया और क्लीनिक बंद कर फरार हो गईं."
मृतक मयंक के भाई कुशाग्र ने बताया, "हम अपने भाई के तेरहवीं संस्कार के बाद अनुष्का के क्लिनिक गए, लेकिन क्लिनिक बंद मिला. लगातार 10-12 दिनों तक वहां गए, फिर भी क्लिनिक बंद ही था. मजबूर होकर पुलिस को शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने पोस्टमॉर्टम न होने का हवाला देकर कार्रवाई से इनकार कर दिया, क्योंकि हमने भाई का पोस्टमॉर्टम नहीं करवाया था. अब विनीत दुबे की मौत के बाद पुलिस ने बयान दर्ज कर जांच शुरू करने की बात कही है."
वहीं, इलाके के निवासी यशवर्धन तिवारी ने बताया कि दिसंबर महीने में क्लिनिक 10 से 15 दिनों के लिए बंद रहा था, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से चालू हो गया. हालांकि, अब विनीत दुबे की मौत के बाद ये लोग फरार हो गए थे.
यशवर्धन तिवारी आगे कहते हैं, "इनके क्लिनिक में रोजाना दो से चार लोग इलाज के लिए आते थे. हमें यही जानकारी थी कि यहां दांतों का इलाज होता है. यहां डॉक्टर सौरभ त्रिपाठी और उनकी पत्नी, दोनों इलाज करते थे. लेकिन मैडम बालों और त्वचा का भी इलाज करती थीं."
हेयर ट्रांसप्लांट के बाद मयंक की हालत
(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
डॉ. अनुष्का तिवारी का क्लीनिक कानपुर के केशव नगर इलाके में स्थित है. उन्होंने एक चार मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर दो कमरों में क्लीनिक खोला हुआ था. वहीं बाहर बोर्ड पर डेंटल, हेयर और एस्थेटिक्स लिखा था.
एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. जिसमें पता चला कि डॉ. अनुष्का के पास न तो सर्जरी का अनुभव था और न ही उनके पास हेयर ट्रांसप्लांट करने की कोई वैध योग्यता थी.
एम्पायर क्लिनिक
(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
अभिषेक पांडेय ने आगे बताया कि डॉक्टर अनुष्का ने फरीदाबाद के मानव रचना डेंटल कॉलेज से बीडीएस किया था. वहीं उनके पति सौरभ ने कानपुर के महाराणा प्रताप डेंटल कॉलेज से बीडीएस और फिर एमडीएस किया है. डॉक्टर अनुष्का या उनके वकील की ओर से ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है जिससे साबित हो सके कि उनके पास हेयर ट्रांसप्लांट करने की वैध योग्यता है.
डॉ. अनुष्का तिवारी
(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
नेशनल मेडिकल काउंसिल के अनुसार, केवल त्वचा विशेषज्ञ, प्लास्टिक सर्जन या सामान्य सर्जन जिन्हें हेयर ट्रांसप्लांट में प्रशिक्षण प्राप्त है, उन्हें ही ऐसा करने की अनुमति है.
मृतक विनीत दुबे की पत्नी जया त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि डॉक्टर अनुष्का तिवारी एक ही पते पर दो अलग-अलग नामों से क्लीनिक चलाती थीं— पहले 'एम्पायर क्लीनिक' और बाद में 'वारही क्लीनिक'.
जया त्रिपाठी ने बताया, "डॉक्टर अनुष्का तिवारी पहले एम्पायर क्लिनिक के नाम से यह क्लीनिक चलाती थीं. मयंक कटियार की मौत के बाद इसे वारही क्लिनिक के नाम से चलाने लगीं. फिर क्लीनिक का नाम बदलकर एम्पायर क्लीनिक कर दिया."
द क्विंट के पास विनीत और मयंक दोनों के प्रिस्क्रिप्शन मौजूद हैं, जिनमें क्रमशः 'एम्पायर क्लीनिक' और 'वारही क्लीनिक' का नाम लिखा है. हालांकि, किसी भी पर्चे पर डॉक्टर का नाम या उनकी जानकारी नहीं दी गई है.
आरोपी डॉक्टर अनुष्का तिवारी ने 18 दिन की फरारी के बाद एडीजी कोर्ट, कानपुर में सरेंडर कर दिया. उनकी तलाश में कानपुर पुलिस ने उत्तर प्रदेश के कई शहरों के साथ दिल्ली और हरियाणा में दबिश दी थी। अनुष्का ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी थी, जिस पर 2 जून को सुनवाई होनी है.
डीजीसी क्राइम दिलीप अवस्थी ने बताया कि अनुष्का तिवारी एक दंत चिकित्सक थीं, लेकिन उन्होंने अपने क्षेत्र से हटकर हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी की, जिससे जुड़ी FIR दर्ज की गई. पुलिस जांच में उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद डीजे कोर्ट में एंटीसिपेट्री बेल की अर्जी खारिज हो गई.
सरेंडर के बाद सीजेएम कोर्ट ने अनुष्का को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. अब अगर वह जमानत के लिए आवेदन करती हैं, तो उस पर आगे सुनवाई होगी.
कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरि दत्त नेगी ने क्लीनिक की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है. पैनल इस बात की जांच करेगा कि क्लीनिक कैसे संचालित होता था, कितने मरीजों का इलाज करता था और क्या सर्जरी योग्य पेशेवरों द्वारा की जाती थी.