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"मशीन रीडेबल डाटा वर्जित", चुनाव आयोग ने वोट चोरी, SIR और आधार पर क्या-क्या कहा?

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि देश में 10 से ज्यादा बार SIR हुए हैं.

मोहन कुमार
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के "वोट चोरी" के आरोपों को मुख्य चुनाव आयुक्त ने निराधार बताया और 7 दिन के अंदर हलफनामा देने को कहा.</p></div>
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कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के "वोट चोरी" के आरोपों को मुख्य चुनाव आयुक्त ने निराधार बताया और 7 दिन के अंदर हलफनामा देने को कहा.

(फोटो: स्क्रीनशॉट)

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बिहार में जारी SIR यानी वोटर लिस्ट रिवीजन और विपक्ष के "वोट चोरी" के आरोपों के बीच रविवार, 17 अगस्त को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा, "चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है, न तो कोई पक्ष है, सब समकक्ष हैं."

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के "वोट चोरी" के आरोपों को मुख्य चुनाव आयुक्त ने निराधार बताया और 7 दिन के अंदर हलफनामा देने को कहा.

"हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी"

राहुल गांधी का नाम लिए बगैर CEC ने कहा, "मेरे सारे मतदाताओं को अपराधी बनाना और चुनाव आयोग शांत रहे? ये संभव नहीं है. हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी. तीसरा विकल्प नहीं है. अगर 7 दिन में हलफनामा नहीं मिला तो इसका अर्थ है कि सारे आरोप निराधार हैं. और हमारे मतदाताओं को जो भी फर्जी कह रहा है, उसे माफी मांगनी चाहिए."

इसके साथ ही उन्होंने कहा,

"अगर कोई सोचता है कि एक पीपीटी देकर, जो कि चुनाव आयोग के आंकड़े नहीं है. चुनाव आयोग ने मतदाता सूची जरूर दी है, लेकिन पीपीटी में गलत तरीके से एनलाइज करना, गलत आंकड़े देना और ये कहना कि ये पोलिंग ऑफिसर ने कहा है कि इस महिला ने दो बार वोट दिया है. इतने संगीन विषयों पर बिना हलफनामे के चुनाव आयोग को काम नहीं करना चाहिए. ये संविधान और कानून दोनों के विरुद्ध होगा."

बता दें कि राहुल गांधी ने 7 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वोट चोरी का आरोप लगाया था. उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र की महादेवपुरा विधानसभा सीट का उदाहरण पेश किया था. इसके साथ ही उन्होंने मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट नहीं देने की भी बात कही थी.

"मशीन रीडेबल डाटा वर्जित है"

मशीन रीडेबल मतदाता सूची के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट 2019 में ही कह चुका है कि इससे मतदाता की निजता का हनन हो सकता है. मतदाता की गोपनीयता भंग हो सकती है."

इसके साथ ही उन्होंने कहा,

"हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की फोटो उनकी अनुमति के बिना मीडिया के सामने पेश की गईं. उनके ऊपर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया. क्या अपनी माताओं, बहुओं, बेटियों सहित किसी भी मतदाता का सीसीटीवी फुटेज चुनाव आयोग को साझा करनी चाहिए क्या?"

CEC ने आगे कहा, "लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में एक करोड़ से भी अधिक कर्मचारी, 10 लाख से भी अधिक बूथ लेवल एजेंट, 20 लाख से भी अधिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट चुनाव के लिए काम करते हैं. इतने सारे लोगों के सामने, इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई भी मतदाता वोट की चोरी कर सकता है?"

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"मतदाता सूची में दो जगह नाम होने पर वोट चोरी कैसे?"

मीडिया को संबोधित करते हुए CEC ने कहा कि मतदाता सूची और मतदान दो अलग-अलग चीज है. "जब कोई वोटर वोट करने जाता है और वो बटन दबाता है तो एक ही बार दबा सकता है. मतदाता सूची में अगर दो जगह नाम हो तो वोट चोरी कैसे? नहीं हो सकता. वोट तो एक मतदाता एक ही बार डाल सकता है."

इसके साथ ही उन्होंने कहा,

"मतदाता सूची और मतदान दो अलग विषय हैं और इन दोनों को अलग-अलग ही देखा जाता है. दोनों के कानून भी अलग हैं. मतदाता सूची का कानून है- लोक प्रतिनिधित्व कानून 1950 और मतदान करने का कानून है- लोग प्रतिनिधित्व कानून 1951. दोनों के नियम अलग हैं, दोनों के लोग अलग हैं."

SIR करवाने में हड़बड़ी क्यों?

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि देश में 10 से ज्यादा बार SIR हुए हैं.

बिहार में चुनाव से ठीक पहले SIR यानी वोटर लिस्ट रिवीजन क्यों किया जा रहा है, इसपर CEC ने जवाब देते हुए कहा कि लोक प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक हर चुनाव से पहले मतदाता सूची शुद्ध करनी होती है. ये चुनाव आयोग का कानूनी दायित्व है.

वहीं बिहार में मॉनसून सीजन में SIR करवाने और इसकी समय सीमा को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा,

"ये बात आई कि 7 करोड़ से ज्यादा बिहार के मतदाताओं तक क्या चुनाव आयोग पहुंच पाएगा? हकीकत आपके सामने है. जब 24 जून से ये कार्रवाई शुरू हुई तो पूरी प्रक्रिया लगभग 20 जुलाई तक समाप्त हो गई. फिर ये बात आई कि जुलाई में ही क्यों? उस वक्त मौसम अच्छा नहीं होता. आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि बिहार में इसके पहले भी 2003 में SIR हुआ था और उसकी तारीख थी 14 जुलाई से 14 अगस्त. तब भी सफलता पूर्वक हुआ था और इस बार भी सफलतापूर्वक सबके एन्यूमरेशन फॉर्म वापस आ गए हैं."

SIR में आधार कार्ड लेने पर क्या बोले CEC?

क्या बिहार में जारी SIR में आधार कार्ड को शामिल किया जाएगा? इस सवाल पर CEC ने कहा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि जो लोग ड्राफ्ट सूची से एग्रीव्ड हैं वो लोग अपने एन्यूमरेशन फॉर्म को आधार के साथ जमा कर सकते हैं. और चुनाव आयोग उस बात को मानता भी है और उसका पालन भी करता है."

बता दें कि 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार SIR से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया था कि ड्राफ्ट रोल से बाहर किए गए मतदाता अंतिम सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए दावा करते समय, आधार कार्ड जमा कर सकते हैं.

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