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बिहार में जारी SIR यानी वोटर लिस्ट रिवीजन और विपक्ष के "वोट चोरी" के आरोपों के बीच रविवार, 17 अगस्त को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा, "चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है, न तो कोई पक्ष है, सब समकक्ष हैं."
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के "वोट चोरी" के आरोपों को मुख्य चुनाव आयुक्त ने निराधार बताया और 7 दिन के अंदर हलफनामा देने को कहा.
राहुल गांधी का नाम लिए बगैर CEC ने कहा, "मेरे सारे मतदाताओं को अपराधी बनाना और चुनाव आयोग शांत रहे? ये संभव नहीं है. हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी. तीसरा विकल्प नहीं है. अगर 7 दिन में हलफनामा नहीं मिला तो इसका अर्थ है कि सारे आरोप निराधार हैं. और हमारे मतदाताओं को जो भी फर्जी कह रहा है, उसे माफी मांगनी चाहिए."
इसके साथ ही उन्होंने कहा,
बता दें कि राहुल गांधी ने 7 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वोट चोरी का आरोप लगाया था. उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र की महादेवपुरा विधानसभा सीट का उदाहरण पेश किया था. इसके साथ ही उन्होंने मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट नहीं देने की भी बात कही थी.
मशीन रीडेबल मतदाता सूची के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट 2019 में ही कह चुका है कि इससे मतदाता की निजता का हनन हो सकता है. मतदाता की गोपनीयता भंग हो सकती है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा,
CEC ने आगे कहा, "लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में एक करोड़ से भी अधिक कर्मचारी, 10 लाख से भी अधिक बूथ लेवल एजेंट, 20 लाख से भी अधिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट चुनाव के लिए काम करते हैं. इतने सारे लोगों के सामने, इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई भी मतदाता वोट की चोरी कर सकता है?"
मीडिया को संबोधित करते हुए CEC ने कहा कि मतदाता सूची और मतदान दो अलग-अलग चीज है. "जब कोई वोटर वोट करने जाता है और वो बटन दबाता है तो एक ही बार दबा सकता है. मतदाता सूची में अगर दो जगह नाम हो तो वोट चोरी कैसे? नहीं हो सकता. वोट तो एक मतदाता एक ही बार डाल सकता है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा,
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि देश में 10 से ज्यादा बार SIR हुए हैं.
बिहार में चुनाव से ठीक पहले SIR यानी वोटर लिस्ट रिवीजन क्यों किया जा रहा है, इसपर CEC ने जवाब देते हुए कहा कि लोक प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक हर चुनाव से पहले मतदाता सूची शुद्ध करनी होती है. ये चुनाव आयोग का कानूनी दायित्व है.
वहीं बिहार में मॉनसून सीजन में SIR करवाने और इसकी समय सीमा को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा,
क्या बिहार में जारी SIR में आधार कार्ड को शामिल किया जाएगा? इस सवाल पर CEC ने कहा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि जो लोग ड्राफ्ट सूची से एग्रीव्ड हैं वो लोग अपने एन्यूमरेशन फॉर्म को आधार के साथ जमा कर सकते हैं. और चुनाव आयोग उस बात को मानता भी है और उसका पालन भी करता है."
बता दें कि 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार SIR से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया था कि ड्राफ्ट रोल से बाहर किए गए मतदाता अंतिम सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए दावा करते समय, आधार कार्ड जमा कर सकते हैं.