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"उन लोगों ने हमसे पूछा कि क्या हमारा संगठन नक्सली संगठनों से जुड़ा है? क्या हम नक्सली हैं? हमें फंडिंग कहां से मिलती है? क्या हम किसी पार्टी से जुड़े हैं? हम से ऐसे सवाल पूछे जा रहे थे जैसे हम कोई माओवादी फ्रंट चला रहे हों."
छत्तीसगढ़ के बस्तर में 'ऑपरेशन कगार' के खिलाफ वॉल पेंटिंग के आरोप में दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के चार छात्रों को दिल्ली पुलिस ने 4 फरवरी की सुबह करीब 5 बजे हिरासत में लिया था. चारों स्टूडेंट्स भगत सिंह छात्र एकता मंच (BSCEM) के सदस्य हैं, जो जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में वॉल पेटिंग कर रहे थे.
डीयू के छात्र गौरव कुमार, गौरांग मोहन, अविनाश सत्यपति उर्फ किरण और राहुल को पुलिस ने हिरासत में लिया था.
BSCEM की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है, "छात्र ऑपरेशन कगार के खिलाफ वॉल पेंटिंग कर रहे थे. यह ऑपरेशन बीजेपी सरकार द्वारा बस्तर में चलाया गया एक नरसंहारक सैन्य अभियान है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह माओवादी विद्रोह का "अंतिम समाधान" है, लेकिन इसके तहत बड़ी संख्या में आदिवासियों के साथ-साथ क्रांतिकारी कम्युनिस्टों की भी हत्या की जा रही है."
छात्रों द्वारा की गई वॉल राइटिंग
(फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त)
दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के छात्र गौरव कुमार बताते हैं, "हम जेएनयू में वॉल राइटिंग कर रहे थे. इस दौरान हमें वहां के सुरक्षाकर्मी पकड़ लेते हैं और हमारा फोन छीन लेते हैं. इसके बाद पुलिस को बुलाया जाता है. 5-6 गाड़ियों में पुलिस आती है."
वो आगे बताते हैं, "पुलिसवाले गार्ड्स से हमारा फोन लेते हैं और पासवर्ड पूछते हैं. नहीं बताने पर वो हमें बहुत पीटते हैं. वे साढ़े पांच बजे के करीब हमें वसंत कुंज थाने ले जाते हैं. वहां भी हमसे मारपीट की जाती है."
हिंदू कॉलेज से बीए कर रहे गौरांग मोहन उस दिन की घटना को याद करते हुए बताते हैं, "वसंत कुंज थाने में एक एसआई आते हैं. थोड़ी पूछताछ के बाद, वो एक लाइन से हमें मारने लगते हैं. हमसे जबरदस्ती हमारा फोन अनलॉक करवाते हैं. मेरे फोन की गैलरी में जितनी फोटो रहती है, उसके बारे में पूछते हैं. गैलरी में मेरी फैमिली और दोस्तों की फोटो थी. जिनका इस मामले से कुछ लेना देना नहीं है."
गौरांग मोहन का आरोप है कि पुलिस की पिटाई से उनके कान से खून निकलने लगा था.
(फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त)
BSCEM की सदस्य रबजोत कौर ने द क्विंट से बातचीत में पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि "उन्होंने हमसे हिरासत की बात भी छिपाई. पुलिस ने हमसे कहा कि वे हमारे साथियों को लेकर थाने आई ही नहीं है."
डीयू के एसजीबीटी खालसा कॉलेज से बीएससी कर रहे अविनाश सत्यपति उर्फ किरण को भी पुलिस ने जेएनयू में वॉल पेटिंग बनाने के आरोप में हिरासत में लिया था. वो आरोप लगाते हुए कहते हैं, "थाने में पुलिस ने हमें थप्पड़ मारे, गालियां दी. कोहनी से मेरी पीठ पर मारा."
द क्विंट से बातचीत में वसंत कुंज सब डिवीजन के एसीपी सत्यजीत सरीन ने भी इन आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "ये सब बकवास है. हमारी पुलिस बहुत संवेदनशील है. हमारे थानेदार इतने पढ़े लिखे हैं कि वे इस तरह का काम कभी कर ही नहीं सकते."
एक छात्र के कान से खून निकलने की बात पर वो कहते हैं, "जब उन लोगों ने पुलिस को देखा तो वो झाड़ियों की ओर भागे. वहां से उन्हें निकाला गया. कांटे लगने की वजह से उन्हें खरोच आई है. पुलिस की मारपीट से कुछ नहीं हुआ है."
करीब 15 घंटे तक हिरासत में रखने के बाद छात्रों को मंगलवार शाम करीब 8 बजे छोड़ दिया गया.
गौरव बताते हैं, "पुलिस हमसे कई तरह के सवाल करती है. हमसें पूछा जाता है कि चुनाव के समय आप बस्तर की बात क्यों कर रहे हैं? आप जेएनयू में क्यों घुसे थे?"
वो आगे कहते हैं, "हम पर नक्सलियों का समर्थन करने और हमारे संगठन पर अर्बन नक्सल होने का आरोप लगाया जाता है. हमें मानसिक रूप से टॉर्चर किया जाता है. हम पर संगठन छोड़ने के लिए दबाव बनाया जाता है. हमसे वे कहते हैं कि आप लोग बस्तर की बात करना छोड़ दें."
छात्रों द्वारा की गई वॉल राइटिंग
(फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त)
गौरव बताते हैं कि सुबह 9-साढ़े 9 बजे के बीच सिविल ड्रेस में कुछ लोग थाने आते हैं. उनके चेहरे पर मास्क लगा रहता है. हम उनसे उनके बारे में पूछते हैं, लेकिन वो अपना परिचय नहीं देते हैं.
किरण कहते हैं कि "उन्होंने हमसे लगातार तीन घटों तक सवाल-जवाब किया. हम से ऐसे सवाल पूछे जा रहे थे जैसे हम नक्सली ही हैं. सिविल ड्रेस में आए लोगों ने भी हमारे साथ गाली-गलौज की."
गौरांग बताते हैं कि मास्क में आए लोगों ने उनसे उनके घर परिवार के बारे में पूछा. घरवालों की डिटेल मांगी थी. वो आगे कहते हैं, "वो लोग बार-बार हमसे कह रहे थे कि हमारा संगठन किसी प्रतिबंधित संगठन से जुड़ा हुआ है. वो हमसे पूछ रहे थे कि आपको पैसे कहां से आते हैं. इसी तरह के सवाल हमसे पूछे जा रहे थे."
गौरांग आगे कहते हैं, "हमने उन्हें बताया कि ऐसा कुछ नहीं है, जो वॉल पेटिंग का फैसला था वो हमने खुद लिया था और इसके लिए हमने अपनी जेब से पैसे लगाए थे. वो हमसे लगातार फंडिंग के बारे में और ये कौन करवा रहा है, इसको लेकर सवाल पूछते हैं."
बता दें कि भगत सिंह छात्र एकता मंच (BSCEM) दिल्ली यूनिवर्सिटी का एक स्वतंत्र छात्र संगठन है, जिसकी स्थापना साल 2018 में हुई थी.
छात्रों द्वारा की गई वॉल राइटिंग को पुलिस ने मिटा दिया था.
(फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त)
छात्रों के खिलाफ कार्रवाई के सवाल पर डीसीपी (साउथ-वेस्ट) सुरेन्द्र चौधरी ने कहा, "छात्रों के खिलाफ डिफेसमेंट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. हम इसमें चार्जशीट फाइल करेंगे." इसके साथ ही छात्रों के आरोपों पर उन्होंने कहा, "उन्हें (छात्रों) जो आरोप लगाने हैं तो वो लगाएं, हमारे पास जवाब हैं."
हिरासत में लिए गए छात्रों का कहना है कि उन्हें एफआईआर की कॉपी तक नहीं दी गई. इस पर डीसीपी (साउथ-वेस्ट) ने कहा कि वो इसके बारे में वो पता कर रहे हैं.