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"मैं 12वीं पास हूं. दिलीप जयसवाल ने मेरा फर्म खुलवाया था. सब कुछ वही देखता था. कागज सहित लेन देन का पूरा काम. मुझे महीने के 20 हजार रुपए मिलते थे."
ये कहना है बादल आर्या का. आरोप है कि बादल आर्या उस नेक्सेस (codeine-based cough syrup) का छोटा सा मोहरा था, जिसके जरिए उत्तर प्रदेश सहित झारखंड और पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश तक फर्जी फर्म के जरिए कोडीन युक्त कफ सिरप की तस्करी की जाती थी. इस केस में उत्तर प्रदेश सरकार ने SIT का गठन किया है. 128 FIR दर्ज हुई है. 32 लोग गिरफ्तार हुए. FSDA (खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन) ने 280 दवा लाइसेंस रद्द करने के लिए नोटिस भेजे हैं. प्रदेश पुलिस, STF और FSDA की संयुक्त कार्रवाई के बाद यह नेटवर्क हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, झारखंड, असम और त्रिपुरा तक जुड़ा पाया गया.
कोडीन युक्त कफ सिरप की सप्लाई में सबसे बड़ा खेल फर्जी फर्मों के जरिए किया गया. डीजीपी राजीव कृष्ण के मुताबिक, जांच में सामने आया कि कागजों पर जिन मेडिकल स्टोर या डिस्ट्रीब्यूटर्स को कोडीन कफ सिरप भेजा हुआ दिखाया गया था, वे अस्तित्व में ही नहीं थे. कई जगह न दुकान थी, न स्टोरेज. न किसी तरह का लाइसेंस या दस्तावेज. कुछ मामलों में तो नाम महज ठेले वालों या फर्जी पहचान के आधार पर जोड़ दिए गए थे.
कोडीन कफ सिरप मामले में आजमगढ़ में भी केस दर्ज हुआ है. द क्विंट से बात करते हुए आजमगढ़ में एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया, दीदारगंज के जेठारी नर्वे में रहने वाले बीपेंद्र सिंह की ए एस फार्मा है. पूरे प्रदेश में कार्रवाई के क्रम में जब 28 नवंबर को फार्मा का निरीक्षण किया गया तो दुकान बंद मिली. मौके पर मौजूद दुकान मालिक रंजना मिश्रा ने बताया,
कई फर्मों में तो कोडीन कफ सिरप खरीदने और खरीदने वाला एक ही व्यक्ति निकला. जैसे- रांची की मेसर्स-शैली ट्रेडर्स फार्मा और वाराणसी में मेसर्स न्यू वृद्धि फार्मा पर एक ही समय पर शुभम जायसवाल को कम्पीटेंट परसन के रूप में दिखाया गया है. पुलिस के मुताबिक ये नियम के खिलाफ है. कागज पर दिखाया गया कि रांची की मेसर्स-शैली ट्रेडर्स ने वाराणसी स्थित फार्मा को भारी मात्रा में कोडीन युक्त कफ सिरप बेची.
इस केस की पड़ताल में कुछ ऐसे भी फर्म मिले जिनका पता एक ही जगह दिखाया गया था. वाराणसी के DCP सरवणन टी ने बताया, वाराणसी में मेसर्स-डीएसए फार्मा और मेसर्स-महाकाल मेडिकल स्टोर का एड्रेस एक ही मिला.
FIR का स्क्रीनशॉर्ट
झारखंड की फर्म मेसर्स शैली ट्रेडर्स के प्रोपराइटर भोला प्रसाद के जरिए वाराणसी सहित यूपी के कई जिलों में भारी मात्रा में कोडीन युक्त कफ सिरप बेचा गया. जिन फर्मों को दवा बेची गई उनकी जांच की गई तो वाराणसी में फर्म मेसर्स जीटी इण्टरप्राईजेज, मेसर्स-शिवम फार्मा और मेसर्स-हर्ष जैसे कई अन्य फर्म बंद मिले. लेकिन आरोपी शुभम जायसवाल (आरोपी भोला प्रसाद का बेटा) के जरिए दिखाया गया कि इन फर्मों को जून से लेकर अगस्त तक दवाएं बेची गईं.
वाराणसी के रोहनिया में हाइवे किनारे स्थित एक गोदाम से कोडीन युक्त कफ सिरप की 93,750 शीशियां बिना लाइसेंस बरामद की गईं. जिन्हें मालिक महेश कुमार सिंह, सहयोगी आजाद जायसवाल और माल मालिक शुभम जायसवाल द्वारा छिपाकर रखा गया था.
आजाद ने स्वीकार किया कि गोदाम का कोई लाइसेंस व विक्रय अभिलेख नहीं है. जांच में प्रस्तुत क्रय बिल (आर.एस. फार्मा, गाजियाबाद से 01.08.2025 को चंदौली के सिंह मेडिकोस के नाम) में दर्ज बैच नंबर बरामद माल से मेल नहीं खाए.
FIR का स्क्रीनशॉर्ट
दरअसल, इन दवाओं को फर्जी फर्मों के जरिए सिर्फ कागजों पर खरीद-बिक्री दिखाई जाती थी. असल में इन दवाओं को गाजियाबाद, वाराणसी, सोनभद्र, लखनऊ, लखीमपुर खीरी जैसे जिलों में वेयरहाउस और गोदाम बनाकर भंडारण किया जाता था. फिर ट्रकों के जरिए कोडीन को रांची, कोलकाता सहित बांग्लादेश तक भेजा जाता था.
DGP राजीव कृष्ण ने बताया, अब तक मिले सबूतों के आधार पर आगे की जांच की जा रही है. नेपाल और बांग्लादेश तक जाने के सबूत मिले हैं. वित्तीय लेन-देन की पुष्टि की जा रही है और बैंकिंग चैनलों के जरिए उनकी सत्यापन प्रक्रिया जारी है.
कमिश्नर एफएसडीए रोशन जैकब ने कहा, "कोडीन युक्त कफ सिरप प्रतिबंधित दवा नहीं है. यह अनुसूची एच के अंतर्गत आता है और इसे केवल डॉक्टर के पर्चे पर ही बेचा जाना चाहिए. इसे कानूनी रूप से रखने या बेचने में कुछ भी गलत नहीं है. समस्या तब उत्पन्न होती है जब बिना किसी सहायक दस्तावेज और उचित खरीद-बिक्री रिकॉर्ड के भारी मात्रा में आपूर्ति की जाती है."
विभिन्न थानों में दर्ज एफआईआर के अनुसार, कोडीन युक्त कफ सिरप का वितरण और बिक्री गैर-चिकित्सकीय उद्देश्यों, विशेषकर नशे के प्रयोजन के लिए की जा रही थी.
इस केस में 12 मुख्य साजिशकर्ता बताए गए हैं. एसआईटी के मुताबिक, विभोर राणा, सौरभ त्यागी, विशाल राणा, पप्पन यादव, शादाब, मनोहर जायसवाल, अभिषेक शर्मा, विशाल उपाध्याय, भोला प्रसाद, शुभम जायसवाल, आकाश पाठक, विनोद अग्रवाल पर नशीली कफ सिरप के डिस्ट्रीब्यूशन या बिक्री में साजिश रचने का आरोप लगा है.
8 दिसंबर को पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने बताया था कि अब तक की जांच में प्रमुख सुपर स्टॉकिस्ट के एक नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जो कोडीन आधारित सिरप के अवैध लेनदेन में शामिल थे.
DGP के अनुसार पांच बड़े सुपर स्टॉकिस्ट की पहचान की गई है. इनमें से तीन को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है— वाराणसी से भोला प्रसाद, सहारनपुर से विभोर राणा और गाजियाबाद से सौरभ त्यागी. दो अन्य सुपर स्टॉकिस्ट अभी जांच के दायरे में हैं और कार्रवाई जारी है.
ऑनलाइन सर्कुलेट हो रहे एक वीडियो में शुभम जायसवाल कथित तौर पर अपराध में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार करते दिख रहे हैं. क्लिप में, वह दावा करते हैं कि उसे कुछ लोगों ने गलत तरीके से फंसाया है.
आरोपी शुभम जायसवाल के विदेश भाग जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर राजीव कृष्ण ने कहा, "जरूरत पड़ने पर हम प्रत्यर्पण का प्रयास करेंगे."
इस केस में SIT गठित होने से पहले यूपी एसटीएफ ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें बर्खास्त पुलिस कांस्टेबल सहित एक अन्य आरोपी अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा है. इन
दोनों की गिरफ्तारी के बाद से सोशल मीडिया पर जौनपुर के पूर्व बीएसपी सांसद धनंजय सिंह के साथ उनकी तस्वीरें सामने वायरल हुईं. हालांकि, पुलिस ने साफ किया कि धनंजय सिंह को इस मामले से जोड़ने वाला कोई सबूत अब तक नहीं मिला है.
वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने इस मामले को संसद में भी उठाया. अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, अब जब भाजपाइयों के जानलेवा कुकृत्यों का भंडाफोड़ हुआ है तो क्या बुलडोज़र कफ सिरप पीकर बेसुध पड़ा है या उसको चलानेवाले. 'सत्ता और काले कारोबारियों’ का आज तो ये एक ही गोरखधंधा खुला है कल को न जाने और कितने खुलेंगे.