Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Janab aise kaise  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पहलगाम आतंकी हमला: जम्मू-कश्मीर पर सरकार के दावे और हकीकत में बड़ा फासला

पहलगाम आतंकी हमला: जम्मू-कश्मीर पर सरकार के दावे और हकीकत में बड़ा फासला

साल 2014 से लेकर 2024 तक कितने आम लोग और जवान शहीद हुए?

शादाब मोइज़ी
जनाब ऐसे कैसे
Published:
<div class="paragraphs"><p>पहलगाम आतंकी हमला सरकार की नाकामी?</p></div>
i

पहलगाम आतंकी हमला सरकार की नाकामी?

Photo: The Quint/Vibhushita Singh 

advertisement

मीनी स्वीटजरलैंड कहे जाने वाले पहलगाम (Pahalgam Terror Attack) के बैसरन की हरी घांस पर पति का सुर्ख लाल लहू बह रहा है. आतंकियों ने विनय समेत देशभर से गए 26 लोगों की जिंदगी छीन ली. और इन सबके बीच नेता बड़े-बड़े बयान देंगे, बदले की मांग उठेगी, मीडिया और सोशल मीडिया पर बैठे जीरो जानकारी वाले एकस्पर्ट कभी लोकल कश्मीरी तो कभी किसी खास धर्म वालों को जिम्मेदार बताएंगे.

पाकिस्तान खुश होगा कि वो अपने मनसूबे में कामयाब हो गया.  आतंकी का मकसद पूरा हो गया- हमारे 26 लोगों की जान ले ली, और हम एक दूसरे का धर्म ढूंढ़ने के काम पर लग गए, कश्मीर के लोग हमसे फिर दूर हो गए.

ऐसे में सवाल है कि कश्मीर में नॉर्मलसी के दावों का क्या हुआ? जिस श्रीनगर में हर 200-300 मीटर पर सीआरपीएफ और सेना के जवान दिख जाते हैं, वहीं टूरिस्ट से भरे पहलगाम के बैसरन में कोई सुरक्षा क्यों नहीं थी? क्या खुफिया एजेंसियों के पास कोई इनपुट नहीं था? इस वीडियो में हम बताएंगे कि भारत में सेना में कितने पद खाली हैं, कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर के हालात कैसे हैं? साल 2014 से लेकर 2024 तक कितने आम लोग और जवान शहीद हुए?

जम्मू-कश्मीर में 'रक्तपात' का अंत कब?

"2014 के पहले वो भी एक वक्त था जब आतंकी आकर के जी चाहे वहां, जी चाहे वहां, जब चाहे वहां हमला कर सकते थे. 2014 के पहले निर्दोष लोग मारे जाते थे."
पीएम नरेंद्र मोदी

2 जुलाई 2024 को पीएम मोदी ने संसद में ये बयान दिया था, लेकिन इस बयान के 10 महीने भी नहीं बीते की  कश्मीर के पहलगाम के बैसरन यानी मिनि स्विटजरलैंड की हरी घांस को आतंकियों ने 27 लोगों की लहू से सुर्ख लाल कर दिया.

आतंकियों की गोलियों की आवाज, लोगों की चितकार... वहां मौजूद सैकड़ों लोगों की जहन में गूंज रही है. जमीन पर मौजूद जन्नत अब जहन्नुम लग रहा है. ऐसे में सवाल यही है कि 2014 और 2025 में क्या बदल गया? नोटबंदी से तो एक ही झटके में देश के आतंकियों की कमर टूट गई थी न फिर इन आतंकियों ने कैसे हमारे 27 लोगों को सांसे रोक दीं?

6 दिसंबर 2023, लोकसभा में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, "इसी सदन में रहकर, सारी मर्यादा तोड़कर कहते थे कि अगर धारा 370 खत्म हुई तो खून की नदियां बह जाएंगी.. खून की नदियां छोड़ो कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है किसी की..."

वहीं 5 अगस्त 2019 को अमित शाह ने कहा था,

"मैं मानता हूं कि जम्मू-कश्मीर में लंबे रक्तपात का अंत आर्टिकल 370 समाप्त होने से होगा.
अमित शाह , गृह मंत्री

हालांकि, 6 साल बाद भी इस रक्तपात का अंत नहीं हो सका. सवाल यही है कि क्या सिर्फ बयानों में हम सुरक्षित हैं?

नोटबंदी से आतंक की एक झटके में कमर टूट गई थी फिर अब वो आतंकी अपने पांव पर चलकर पहलगाम कैसे पहुंचे?

कोई कह सकता है कि कश्मीर में आतंकी हमले पहले से कम हुए हैं, लेकिन सवाल यही तो है कि पुलवामा, ऊरी से लेकर पहलगाम के हमले फिर क्या है? 20 अक्टूबर 2024 को जम्मू कश्मीर के गांदरबल में आतंकवादी हमला हुआ था, बिहार के 3 मजदूरों सहित 7 लोगों की मौत हुई थी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
पहलगाम के बैसरन तक पहुंचने के लिए पैदल या फिर घोड़े पर जाया जाता है. ऐसे में सवाल है कि जहां हजारों टूरिस्ट पहुंचते हैं वहां पर एग्जिट के लिए कोई प्लानिंग क्यों नहीं थी? वहां सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं थे? क्या सराकर और सुरक्षा एजेंसी निश्चिंत हो गई थीं?  

कश्मीर की लाइफ लाइन टूरिज्म है. कहा जाता है कि आर्टिकल 370 के निरस्त होने और कोविड-19 लॉकडाउन के बाद, टूरिज्म इंडस्ट्री में बूम देखने को मिल रहा था.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2023 में, रिकॉर्ड तोड़ 2.1 करोड़ पर्यटक जम्मू कश्मीर गए थे. 2024 में, यह बढ़कर 2.36 करोड़ तक पहुंच गई.

2024 में जम्मू में 2,00,91,379 पर्यटक आए, जिनमें 94,55,605 वैष्णो देवी तीर्थयात्री शामिल थे, जबकि कश्मीर में 34,98,702 पर्यटक आए, जिनमें 5,11,922 अमरनाथ तीर्थयात्री शामिल थे.

कश्मीर में इस आतंकी हमले के खिलाफ आम लोग सड़कों पर हैं, कैंडिल मार्च से लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. लोकल कश्मीरियों को लेकर अलग-अलग खबरें आ रही हैं कि वो घायलों से लेकर  आम टूरिस्ट की मदद के लिए सामने आ रहे हैं.

मतलब साफ है कि कश्मीर के लोग भी सुकून की जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यहां मतलब ये भी साफ है कि आतंकियों ने बिहार, यूपी, हरियाणा, ओडिशा, कर्नाटक और देशभर में कश्मीर के लिए लोगों के दिलों में डर पैदा करा दिया है, साथ ही सोशल मीडिया पर बैठी एक भीड़ भी कश्मीर और कश्मीरियों के लिए नफरत फैला रही है.

कानपुर के शुभम द्विवेदी की पत्नी कह रही हैं,

"हम लोग हंसी-खुशी बैठे थे, इतने में आतंकी आए और बंदूक रख के शुभम को पूछा कि हिंदू है कि मुसलमान, पहले हम लोग को समझ नहीं आया , फिर उन्होंने दोबारा पूछा कि हिंदू है कि मुसलमान. हमने जवाब दिया कि हिंदू तो तुरंत गोली मार दिया."

आतंकी धर्म देखकर मार रहे थे ये भी सच है तो ठीक इसी तरह सोशल मीडिया पर भी धर्म के नाम पर अटैक हो रहा है. फिर दोनों में क्या फर्क है?

इस धर्म की बहस के बीच पहलगाम में टूरिस्ट के लिए घोड़ा चलाने वाले सैयद आदिल शाह की भी मौत हुई है.

यहां एक बात समझ लीजिए, चाहे कथित गौ रक्षा के नाम पर लिंचिंग हो या पहलगाम में धर्म पूछकर गोली मारना ये सब आतंकी हैं. इसमें इफ बट नहीं हो सकता. दोनों यही चाहते हैं कि धर्म के नाम पर भारत में आपसी लड़ाई जारी रहे..

कश्मीर में पिछले कुछ वक्त से सिविलिन को निशाना बनाया जा रहा है.  20 अक्टूबर 2024 को जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग इलाके के गुंड में एक निर्माणाधीन सुरंग के पास आतंकी हमला हुआ था, 7 लोगों को आतंकियों ने मार डाला था, मरने वालों में 4 मुसलमान थे, 2 हिंदू और एक सिख. बिहार से लेकर एमपी, पंजाब, जम्मू-कश्मीर के लोग भी थे.

पिछले कई वर्षों से कश्मीर में आतंकी हमले जारी 

कश्मीर में आतंकी हमले बंद नहीं हुए हैं...

  • 2014 से 2018- 339 जवान शहीद

  • 2019 से 2024 - 270+ जवान शहीद

  • 2014 से 2024- 600+ जवान शहीद

वहीं अगर सिवीलियन यानी आम लोगों की मौत की बात करें तो...

  • 2014 से 2018- 155 लोगों की हत्या

  • 2019 से 2024- 191 लोगों की हत्या

  • 2014 से 2025- 370+ लोगों की हत्या

2019 से 2024 के बीच आतंकी हमले में आम लोगों के मारे जाने की संख्या बढी है.

सेना में एक लाख जवानों की कमी

रक्षा मंत्रालय के तरफ से संसद की स्थायी समिति को दी जानकारी के मुताबिक 1 अक्टूबर, 2024 तक सेना की मौजूदा पद 11,05,110 थी, जबकि स्वीकृत पद 11,97,520 है, जिससे जूनियर कमीशन अधिकारियों (जेसीओ) और गैर-कमीशन अधिकारियों (एनसीओ) के लिए 92,000 से अधिक पद खाली रह गए. लगभग 7.72% की कमी.

ऑफिसर रैंक की बात करें तो 1 जुलाई, 2024 तक सेना में 50,538 स्वीकृत पदों के मुकाबले 42,095 अधिकारी (मेडिकल कोर, डेंटल कोर और मिलिट्री नर्सिंग सर्विस को छोड़कर) थे, मतलब 16.71% की कमी.

यह कमी LOC और LAC पर तैनाती के दौरान चुनौतीपूर्ण है.

कश्मीर में सामान्य स्थिति का दावा: क्या यह केवल एक भ्रम है?

हमें एक बात समझनी होगी. इस हमले का मकसद शांति को बाधित करना और डर पैदा करना था, जिसमें आतंकी सफल रहे. और हम पिछली गलतियों से सबक लेने में फिर विफल रहे. ये हमला कश्मीर की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की भी एक कोशिश है.

ये हमला इंटेलिजेंस फेलियर, और पॉलिसी प्लैनर की दूरदर्शिता की कमी को भी उजागर करता है, जो समझते हैं कि आर्टिकल 370 हटा देने से सब ठीक हो जाएगा. बदला लेते रहिए, एयर स्ट्राइक के नाम पर वोट मांगते रहिए, लेकिन आतंकियों को रोकने में नाकाम हुए हैं, ये सच छिप नहीं सकता है. जिन परिवार ने अपनों को खोया है वो बदले से भी वापस नहीं आ सकेंगे. इसलिए हमें ऐसे आतंकी हमले होने से पहले ही एक्शन लेना होगा.

भारत सरकार ने हमले के बाद पाकिस्तान के साथ इंडस वॉटर ट्रीटी (सिंधु जल समझौता) रोक दिया है. भारत में पाकिस्तान हाई कमिशन के सेना, नेवी और एयरफोर्स के सलाहकार को तत्काल प्रभाव से भारत छोड़ने के आदेश दिया है. वाघा अटारी इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट बंद किया गया है. वीजा लेकर भारत आए पाकिस्तान के नागरिकों का भारत छोड़ने के आदेश दिया गया है. लेकिन ये सब बाद के एक्शन हैं.

सुरक्षा में चूक ही क्यों हुई? भाषणों में दावे सुनकर लोग कश्मीर पहुंचने लगे थे. अब फिर से लोगों के दिलों से डर निकलने में सालों लग जाएंगे. आतंकियों को सजा मिले लेकिन साथ ही उन लोगों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए जिनके दावों और वादों को देख लोग कश्मीर बिना डर कर जाने लगे थे.

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT