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पहलगाम हमले का बदला कश्मीरी, मुसलमान और सवाल पूछने वालों से?

पहलगाम हमले को लेकर कथित आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर सिंगर नेहा राठौड़ और प्रो. काकोटी के खिलाफ FIR.

शादाब मोइज़ी
जनाब ऐसे कैसे
Published:
<div class="paragraphs"><p>'पहले धर्म पूछा' नाम का ये गाना पहलगाम हमले के अगले दिन यानी 23 अप्रैल को रिलीज किया गया था.</p></div>
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'पहले धर्म पूछा' नाम का ये गाना पहलगाम हमले के अगले दिन यानी 23 अप्रैल को रिलीज किया गया था.

(फोटो: विभूषिता सिंह/ द क्विंट)

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पहलगाम हमले के बाद देश में क्या हो रहा है? आगे लिखी लाइन पढ़िए और समझिए-

"हमने बड़ी ये गलती कर दी तुमको यहां पनाह देकर

देश बना था अलग तुम्हारा क्यों गए नहीं परिवार लेकर"

"बने रहो सेुकुलर तुम अभी भाईचारे की बात करो

धर्म पूछकर पर मार दी गोली धरे हाथ पे हाथ रहो"

जहां कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश को एक साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ उठ खड़ा होना था वहां आतंकी हमले के 24 घंटे के अंदर यूट्यूब की दीवार पर इस तरह के भड़काऊ गाने लिखे जाने लगे. सोशल मीडिया नाम के चौक-चौराहे पर बैठे communal (सांप्रदायिक) animal अपनी खुराक ढूंढ़ने लगे. कोई कश्मीर के लोगों को 24 घंटे में उत्तराखंड छोड़ देने का अल्टीमेटम देने लगा, तो किसी डॉक्टर पर मुस्लिम मरीज को धर्म के आधार पर इलाज न करने का आरोप लगा. और तो और सरकार से सुरक्षा में चूक पर सवाल पूछने के बदले कहीं देशद्रोह का मुकदमा मिला तो कहीं नौकरी से निकाले जाने की धमकी.

इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि कैसे पहलगाम हमले के बाद आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने की जगह सवाल पूछने वाले निशाने पर हैं, कैसे देश को बांटने की कोशिश हो रही है, ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन दुनिया में भारत की लाइफ लाइन यानी यूनिटी की लाइन मिटाने की कोशिश हो रही है.

भड़काऊ गाने

वीडियो की शुरुआत में हमने आपको एक भड़काऊ गाने के बोल सुनाए थे. 'पहले धर्म पूछा' नाम का ये गाना पहलगाम हमले के अगले दिन यानी 23 अप्रैल को रिलीज किया गया था. गायक कवि सिंह अपने गाने में बिना मुसलमानों का नाम लिए इस बात पर जोर देती हैं कि 1947 में देश के बंटवारे के बाद मुसलमानों को भारत में रहने देना "एक गलती" थी. सेकुलरजिम से इन्हें दिक्कत है. लेकिन इनके वीडियो से किसी प्रशासन को दिक्कत नहीं है.

वहीं दूसरी तरफ भोजपुरी सिंगर नेहा सिंह राठौड़ हैं. 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सोशल मीडिया पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर नेहा सिंह राठौड़ के खिलाफ 'देशद्रोह' सहित बीएनएस की 11 धाराओं में FIR दर्ज हुई है. जी हां देशद्रोह.

हिंदू राष्ट्र, भगवाधारी से लेकर पीएम मोदी को 2024 में जिताने के लिए गाने बनाने वाली कवि सिंह के यूट्यूब चैनल पर एक मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. नेहा सिंह राठौड़ के करीब डेढ़ मिलियन सब्सक्राइबर हैं.  

यहां एक अहम बात समझ लीजिए. नेहा राठौड़ मोदी सरकार के खिलाफ बोलती रही हैं, पहले भी उन्हें यूपी में का बा गाने के लिए यूपी पुलिस की तरफ से नोटिस भेजा गया था. लेकिन इस बार मामले में नया एंगल आया है पाकिस्तान का. दरअसल, 25 अप्रैल को नेहा का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पाकिस्तानी अकाउंट से शेयर किया गया. बस फिर क्या था. नेहा ने पहलगाम हमले के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी के बिहार में रैली करने पर सवाल उठाया था.

एफआईआर में नेहा सिंह राठौड़ पर "राष्ट्रीय अखंडत पर प्रतिकूल प्रभाव डालने" और लोगों को "धर्म और जाति" के आधार पर उकसाने के भी आरोप लगाए गए हैं.

ऐसा ही मामला लखनऊ विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी के खिलाफ भी देखने को मिला है. डॉ. मेडुसा के नाम से मशहूर डॉ. माद्री काकोटी के खिलाफ  BNS की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना) सहित 6 अन्य धाराओं और आईटी एक्ट के तहत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेता जतिन शुक्ला की शिकायत के आधार पर लखनऊ के हसनगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.

काकोटी ने ट्वीट किया था-

सवाल यही है कि आतंक के एक रूप पर बात होती है, तो दूसरे पर क्यों नहीं?

जिस वजह से डॉक्टर मेदुसा पर एफआईआर हुई है, वो वजह बाकियों के लिए क्यों नहीं. सोशल मीडिया पर 22 पहलगाम हमले के बाद से लगातार आतंकवाद का धर्म बता रहे हैं, एक खास धर्म को और उनके मानने वालों को निशाना बनाकर पोस्ट कर रहे हैं, उनपर एक्शन क्यों नहीं होता है?

जब देश को एक साथ मिलकर आतंकवाद पर एक्शन लेना चाहिए तब हम अपने ही लोगों को सवाल पूछने पर देशद्रोही कह रहे हैं. क्यों? यही तो आतंकी चाहते थे. फिर हम उनके मकसद को कामयाब होने क्यों दे रहे हैं?

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आप इन घटनाओं को देखिए-

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में आतंकी हमला और फिर उसके बाद:

  • 23 अप्रैल- उत्तराखंड में कश्मीरी छात्रों को देहरादून छोड़ने की धमकी

  • 23 अप्रैल- उत्तराखंड के मसूरी में 2 कश्मीरी शॉल बेचने वाले पर हमला, 16 शॉल बेचने वालों ने हमले की वजह से मसूरी छोड़ा

  • 23 अप्रैल- हरियाणा के अंबाला जिले के साहा में हिंदूवादी संगठन के लोगों ने मुस्लिम समुदाय के दुकानों पर किया हमला, तोड़फोड़, आगजनी. लगाए धार्मिक नारे

  • 24 अप्रैल- कोलकाता gynecologist डॉ. चंपाकली सरकार पर आरोप है कि उन्होंने एक गर्भवती मुस्लिम मरीज का इलाज करने से इंकार कर दिया. आरोप के मुताबिक, पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए डॉ. सरकार ने कहा: आपके पति को हिंदुओं द्वारा मार दिया जाना चाहिए, ताकि आप हिंदुओं के दर्द को महसूस कर सकें. आपको अपने इलाज के लिए केवल मदरसों और मस्जिदों में जाना चाहिए, जहां मुसलमानों को आतंकवादी बनना सिखाया जाता है."

  • 24 अप्रैल को ही हरियाणा में एक मुस्लिम व्यक्ति को लात-घूंसों से मारा गया, थप्पड़ मारे गए, पीटा गया और उसे गांव छोड़ने को कहा गया.

  • हरियाणा के रोहतक के एक गांव से मुसलमानों को 2 मई तक गांव छोड़ देने का फरमान जारी  

  • हाथरस में कुछ लोगों ने श्री बालकेश्वर महादेव मंदिर में मुस्लिम पेंटर पर verbally assault किया और उन्हें मंदिर परिसर में तुरंत काम करना बंद करने को कहा. उन पेंटर को उनके धर्म की वजह से अपशब्द कहा गया.

  • आगरा के ताजगंज में मनोज चौधरी नाम के एक कथित गौरक्षक ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि उसने मुसलमानों की हत्या की है और वह पहलगाम में मारे गए 26 लोगों का बदला लेगा. हालांकि पुलिस दावा कर रही है कि हत्या व्यक्तिगत रंजिश का नतीजा थी. आरोपियों ने पहलगाम अटैक और महाराणा सांगा विवाद का फायदा उठाने के लिए एक वीडियो बनाया था.

यही नहीं सोशल मीडिया पर मुसलमानों को और आम कश्मीरियों के खिलाफ कैंपेन भी चलाया जा रहा है.

आप ये पोस्ट देखिए-

आतंकियों ने धर्म पूछकर मारा, तो आप क्या कर रहे हैं, आप भी तो मुसलमानों को उनके धर्म के नाम पर बदनाम कर रहे हैं, भारत का मुसलमान को us vs them में बांटा जा रहा है.

सवाल यही है कि नेहा, मेडुसा और दूसरे लोगों पर सरकार से सवाल पूछने के नाम पर एफआईआर हो सकता है, 7.3 मिलियन सब्सक्राइबर वाले यूट्यूब न्यूज चैनल '4 PM' को 'national security or public order' का हवाला देते हुए सरकार बंद करा सकती है, तो फिर मुसलमानों और कश्मीर के लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने वालों पर एक्शन क्यों नहीं? ये डबल स्टैंडर्ड क्यों?

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