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अंग्रेजी में एक मुहावरा है-
Cut your coat according to your cloth
मतलब 'जितनी चादर हो उतना पैर फैलाना चाहिए'
ये बात पाकिस्तान में पनप रहे आतंकी, आर्मी और पाकिस्तानी सरकार समझ नहीं सकी. बदले में क्या मिला. सिर्फ 25 मिनट और 9 आतंकी ठिकाने स्वाहा.
6-7 मई की दरमियानी रात इंडियन आर्मड फोर्स ने पाकिस्तान के 9 टेरर कैंप को निस्तेनाबूद, तबाह, खाक कर दिया. मुहावरे की जुबान में कहें तो टिट फॉर टैट. जहां पाकिस्तान दिन में सिंधू नदी के सूखते पानी का वीडियो बनाता रह गया वहां 6-7 मई की दरमियानी रात ऑपरेशन सिंधु की जगह ऑपरेशन सिंदूर हो गया. आसमान से एक नहीं दो नहीं दर्जनों गोले बरसाए गए. मतलब एक ऐसा अटैक जो पाकिस्तान के लिए आउट ऑफ सिलेबस था. इस अटैक के बाद भारत सरकार, सेना और देश के लोगों का रिस्पॉन्स भी एक खास विचारधारा वालों के लिए भी आउट ऑफ सिलेबस था. अब दोनों ही परेशान हैं कि आखिर करें तो करें क्या बोले तो बोले क्या?
एक मुहावरा है न- “OLD HABITS DIE HARD”. इसका उर्दू या हिंदी में मतलब कुत्ते की दुम सीधी नहीं हो सकती. हुआ भी यही.. पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ का बयान देखिए,
अब कोई पाकिस्तान के पीएम को उनके ही देश का नक्शा दिखाए और बताए कि समुंदर तो पीओके से लेकर लाहौर या इस्लामाबाद में नहीं है, हां कराची के पास है, तो क्या उन्हें डर था कि भारत की फौज कराची तक पहुंच जाएगी? कमाल तो ये देखिए कि 9 जगहों पर हमला हुआ उसके बाद भी शहबाज शरीफ पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में चांदनी रात, जंग फतह करने जैसी बात कह रहे हैं.
जब एक कार्यक्रम में CNN के पत्रकार ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से पूछा कि पाकिस्तान के पास फाइटर जेट मारने का क्या सबूत है. तब उन्होंने कहा- ये सब सोशल मीडिया पर है. हद है. इस जवाब से आप पाकिस्तान के दावों की गंभीरता को समझ सकते हैं.
ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के शिकार मासूम नागरिकों और उनके परिवारों को न्याय देने के लिए लॉन्च किया गया था. सवाई नाला से लेकर बहावलपुर के बीच 21 आतंकवादी कैंप हैं. भारतीय सेना ने पीओजेके में 5 और पाकिस्तान में 4 आतंकी कैंपों पर कार्रवाई की है.
मरकज सुभान अल्लाह, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था. बॉर्डर से दूरी 100 किलोमीटर. यहां पर रिक्रूटमेंट, ट्रेनिंग और indoctrination का केंद्र भी था. हाफिज सईद के परिवार के 10 लोग यहीं मारे गए हैं.
सवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद में है, ये कैंप PoJK के लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर था. यह लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर था. सेना के मुताबिक, 20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग में, 24 अक्टूबर 2024 को गुलमर्ग में और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए हमले में शामिल आतंकियों ने यहीं से ट्रेनिंग ली थी.
गुलपुर कैंप, कोटली: यह लश्कर-ए-तैयबा का बेस था, जो राजौरी और पुंछ में सक्रिय था. 20 अप्रैल 2023 को पुंछ में और 9 जून 2024 को तीर्थ यात्रियों के बस हमले में शामिल आतंकियों को यहीं से ट्रेनिंग दी गई थी.
अब बताइए, क्या पाकिस्तान ने खुद से इन कैंप को बंद किया? क्यों पाकिस्तान ने वक्त रहते अपने घरमें पनप रहे आतंकियों के खिलाफ एक्शन नहीं लिया.
एक अहम बात, पाकिस्तान को समझना होगा कि उनके यहां बिजली नहीं आती है, खाने के सामान महंगे हैं, पीने के पानी की दिक्कत है, बेरोजगारी है, सरकार स्थिर नहीं है, फिर क्या जरूरत है भारत के साथ उलझने की.
एक और अहम बात, इस अटैक ने आतंकियों समेत उन सबको जबाव दिया है कि भारत के लोग एक साथ है, भारत के लोगों को धर्म के आधार पर मत बांटो. यही वजह है कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री जब ऑपरेशन सिंदूर पर जवाब दे रहे थे तो उन्होंने कहा था कि पहलगाम हमले का मकसद कश्मीर के विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर पिछड़ा बनाए रखा जाए. हमले का यह तरीका जम्मू-कश्मीर और देश में सांप्रदायिक दंगे फैलाने कोशिश था.