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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने द क्विंट के शादाब मोइज़ी के साथ एक बेबाक बातचीत में आरएसएस के साथ संबंधों से लेकर मुसलमानों के सामने आने वाली चुनौतियों, ज्ञानवापी-मथुरा विवाद और अपनी राजनीतिक भूमिका जैसे, हर मुद्दे पर खुलकर बात की. मदनी ने स्पष्ट किया कि आरएसएस से उनके मतभेद तो हैं, लेकिन वे बातचीत के खिलाफ नहीं हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 28 अगस्त को कहा, "आंदोलन में संघ जाता नहीं. एकमात्र आंदोलन राम मंदिर था, जिसमें हम जुड़े. जुड़े इसलिए, उसको आखिर तक ले गए. अब बाकी आंदोलन में संघ जाएगा नहीं." लेकिन इसके बाद जो उन्होंने कहा वो कई सवाल खड़े करते हैं. भागवत ने कहा,
मोहन भागवत के इस बयान पर महमूद मदनी ने कहा कि आरएसएस के साथ उनके मतभेद हैं, लेकिन वे 'संवाद के हमेशा से समर्थक' रहे हैं.
उन्होंने कहा कि लोग इसे समर्थन या सहयोग कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन उनका स्टैंड यही है. जब उनसे ज्ञानवापी और मथुरा विवाद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मथुरा का मामला तो पहले ही आपसी सहमति और अदालत के फैसले से सुलझ चुका है. वहां किसी और बातचीत की जरूरत नहीं है.
मदनी ने स्पष्ट किया कि मथुरा या ज्ञानवापी जैसे मुद्दों पर बातचीत करने का अधिकार उन्हें नहीं, बल्कि उन कमेटियों को है जो केस लड़ रही हैं. उन्होंने कहा, "मैं कौन होता हूं इस बारे में बात करने वाला? यह अधिकार मेरे पास नहीं है. हम सिर्फ यह कह सकते हैं कि उन लोगों को आपस में बात करनी चाहिए".
मदनी राजनीति से जुड़े रहे हैं और उनके पिता भी कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा सांसद रहे. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने राजनीति क्यों छोड़ी, क्या वे उन दिनों को याद करते हैं या उन्हें अफसोस होता है कि राजनीति में नहीं जाना चाहिए था? उन्होंने बताया कि विकासशील देशों में समाज सेवा और शिक्षा के लिए भी राजनीतिक समर्थन की जरूरत होती है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह दोबारा राजनीति में आना चाहेंगे, मदनी ने कहा,
मुस्लिमों की एक अलग राजनीतिक पार्टी के मुद्दे पर मदनी ने कहा कि यह कोई अच्छा विचार नहीं है. उन्होंने कहा,
बातचीत के दौरान जब जिहाद का जिक्र आया तो महमूद मदनी ने इस शब्द के गलत इस्तेमाल पर अपनी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा,
मदनी ने कहा कि अगर कोई मुसलमान जिहाद का इनकार करता है तो वह मुसलमान ही नहीं रहेगा, क्योंकि जिहाद एक जरूरी चीज है. उन्होंने कहा कि जिहाद को इस्लाम को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. यह एक साजिश है. उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसी बात कर रहे हैं, वह मुसलमानों के दुश्मन हैं और देश के गद्दार हैं.
महमूद मदनी अभी कुछ दिन पहले असम गए हुए थे. वहां के सीएम हेमंता बिस्वा सर्मा ने महमूद मदनी को जेल भेजने से लेकर बेकार इंसान तक कहा. इसपर मदनी कहते हैं,
मुस्लिम समुदाय की समस्याओं के बारे में बात करते हुए मदनी ने कहा कि मुसलमानों की सबसे बड़ी कमी शिक्षा से दूरी है. उन्होंने कहा कि अगर मुसलमानों को आगे बढ़ना है तो उन्हें अपनी शिक्षा पर ध्यान देना होगा. "सूखी-रूखी रोटी खाएंगे, एक वक्त भूखे सो जाएंगे, लेकिन अपनी शिक्षा पर कोई समझौता नहीं करेंगे."
उन्होंने कहा कि
मदनी ने कहा कि इस्लाम में अपडेशन की जरूरत नहीं, बल्कि मुसलमानों को अपने रवैये में बदलाव करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मुसलमानों को अपनी औरतों के साथ, बच्चों के साथ, अपने खर्चों के साथ, अपने दिखावे के साथ सब कुछ नए सिरे से सोचने की जरूरत है. हमें दिखावे से बचना चाहिए और जमीन से जुड़कर मेहनत करनी चाहिए."