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UP पुलिस: अलग धर्म, अलग नियम? पैगंबर मोहम्मद का नाम लिया तो SI आफाक पर एक्शन?

क्या अफाक खान ने UP पुलिस के सोशल मीडिया पॉलिसी के खिलाफ काम किया है?

Shadab Moizee
जनाब ऐसे कैसे
Published:
<div class="paragraphs"><p><strong>यूपी पुलिस के ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर आफ़ाक खान को लाइन हाजिर कर दिया गया. आरोप ये कि उन्होंने वर्दी में रहते हुए </strong><em><strong>“मोहम्मद साहब और बेटियों को रहमत”</strong></em><strong> कहा और </strong><em><strong>“सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम”</strong></em><strong> का जिक्र किया.</strong></p></div>
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यूपी पुलिस के ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर आफ़ाक खान को लाइन हाजिर कर दिया गया. आरोप ये कि उन्होंने वर्दी में रहते हुए “मोहम्मद साहब और बेटियों को रहमत” कहा और “सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम” का जिक्र किया.

स्रोत: ग्राफिक टीम द क्विंट

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क्या पुलिस का कोई धर्म यानी रिलिजन होता है? यह सवाल अचानक नहीं उठा है. इसे समझने के लिए आज आपको उत्तर प्रदेश ले चलते हैं. यहां यूपी पुलिस की तीन अलग-अलग तस्वीरें सामने आई हैं, जो इस बहस को जन्म दे रही हैं.

  1. यूपी पुलिस के ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर आफाक खान को लाइन हाजिर किया गया है.
    आरोप ये कि उन्होंने वर्दी में रहते हुए ट्रैफिक पर जागरूक करते हुए “बेटियों को रहमत” कहा और “पैगंबर मोहम्मद साहब” का जिक्र किया. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ और उसके बाद उनपर कार्रवाई हुई. सवाल ये उठा कि क्या धार्मिक बातों का इस्तेमाल करना वर्दी में अपराध है?

  2. बहराइच में कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. वीडियो और तस्वीरें सामने आईं, जिनमें पुलिसकर्मी पूरे सम्मान के साथ उन्हें सलामी देते दिखे.

  3. कांवड़ यात्रा के दौरान यूपी पुलिस के कई दृश्य सामने आए. कांवड़ियों पर फूल बरसाती पुलिस, भजन गाती पुलिस, कांवड़ियों के पैरों में मलहम लगाती पुलिस, और होली खेलती पुलिस.

ये यूपी पुलिस की अलग-अलग तस्वीरें हैं, जिनमें भजन गाती, होली खेलती और कांवड़ियों पर फूल बरसाती पुलिस देखी जा सकती है.

स्रोत: X / Kushinagar Police / ABP / Bhaskar आदि

अब सवाल ये है कि क्या अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग नियम होते हैं? क्या धर्म के आधार पर पुलिसिया नियम बनाए जाते हैं?

जनाब ऐसे कैसे के इस एपिसोड में हम आपको पैगंबर मोहम्मद का नाम लेकर बेटियों को रहमत कहने वाले कन्नौज के ट्रैफिक पुलिस के खिलाफ एक्शन की पूरी कहानी बताएंगे, साथ ही ये भी देखेंगे कि क्या अफाक खान ने किसी नियम का उल्लंघन किया है? पुलिस वालों के लिए सोशल मीडिया से जुड़े नियम क्या हैं? फिर आप भी पूछिएगा कि जनाब ऐसे कैसे?

कन्नौज में पोस्टेड ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर आफाक खान सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. इंस्टग्राम पर 9 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स, यूट्यूब पर 85 हजार से ज्यादा सब्स्क्राइबर. ट्रैफिक जागरुकता पर सैकड़ों वीडियो. लेकिन एक वीडियो ने लाइन हाजिर करवा दिया. कहा गया कि अफाक खान वर्दी में धार्मिक उपदेश दे रहे हैं.  

अफाक खान ने ऐसा क्या बोला है वो आप भी पढ़िए. फिर सोचिए कि क्या जो हुआ वो सही था या नहीं.

अरब देशों में पहले बेटियों को मार दिया जाता था. उनकी कोई शादी नहीं करता था। शादी को तौहीन समझा जाता था. मोहम्मद साहब आए और उन्होंने बेटियों को बचाने के लिए कोशिशें कीं। मोहम्मद साहब ने बेटियों को सुरक्षा दी. जिस घर में बेटी पैदा होती है उसे घर में रहमत बरसती है. बेटियां जिस घर में होती हैं वह घर स्वर्ग होता. तो ये बेटियों की जिम्मेदारी है कि पापा को बिना हेलमेट के गाड़ी ना ले जाने दें. पापा को कितने कितनी बेटियां कहेंगी कि पापा बिना हेलमेट के गाड़ी नहीं चलानी है.

दरअसल, TSI आफाक खान, ठठिया के आदर्श नगर इंटर कॉलेज गए थे. वहां उन्होंने छात्राओं को ट्रैफिक पर नसीहतें दी. बेटियों की अहमियत बताई. बेटिया अपने पिता को हेलमेट पहनने के लिए कैसे जागरुक कर सकती हैं, उसके संदेश दिए गए. लेकिन इन सबके बीच मोहम्मद साहब का नाम ले लिया. ये बात हिंदू संगठन के लोगों को चुभ गई. और शिकायत करने एसपी के पास पहुंच गए. अब कन्नौज के एडिशनल एसपी मामले की जांच कर रहे हैं.

हमने अफाक खान के पुराने वीडियो देखे. जिसमें ट्रैफिक नियम और रोड सेफ्टी को बताने के लिए यमराज के कैरेक्टर का सहारा लिया जात है. यमराज हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु के देवता हैं. हां, अच्छी बात ये है कि इस वीडियो के लिए कोई एक्शन नहीं हुआ.

अफाक खान ने ट्रैफिक नियम और रोड सेफ्टी को बताने के लिए यमराज के कैरेक्टर का सहारा लिया

स्रोत:YT/Afaqkhan

ऐसे और भी वीडियो है जहां अफाक खान धार्मिक यात्राओं में जा रहे श्रद्धालुओं के साथ रोड सेफ्टी की बात करते हैं.

एक अहम बात. अफाक खान के सोशल मीडिया पर मौजूदगी की जानकारी डिपार्टमेंट से लेकर कन्नौज और बाकी लोगों को भी है. अगर सोशल मीडिया पॉलिसी का उल्लंघन हो रहा था तो पुलिस ने कोई एक्शन पहले क्यों नहीं लिया?

कन्नौज पुलिस ने सोशल मीडिया पर लिखा है-  सोशल मीडिया पॉलिसी के खिलाफ काम करने को देखते हुए लाइ हाजिर किया गया है. अब सवाल है कि कौन सी पॉलिसी का उल्लंघन हुआ?

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कन्नौज के एसपी ने क्या कहा?

इस मामले पर क्विंट की टीम ने कन्नौज के एसपी अजय कुमार से बात की.  एसपी ने कहा-

वर्दी में सोशल मीडिया का वायलेशन का मामला है. आगे वो कहते हैं कि जो भी जांच हुई है उससे जुड़ी जानकारी लेने के लिए लिखित में प्रतिआवेदन दे दीजिए.

जब क्विंट ने उनसे कहा कि क्या हम इस जानकारी के लिए मेल कर सकते हैं तो उन्होंने कहा- नहीं, आप जन सूचना विभाग से मांग लीजिएगा तो हम पूरी जानकारी दे देंगे.

हमने इस पूरे मामले को जानने के लिए अखलाक खान से भी संपर्क किया. उन्होंने कहा कि

जांच चल रही है तो मैं इस मामले पर कुछ नहीं कह सकता हूं. "हां, बस इतना ही कहूंगा कि मैंने कोई वायलेशन नहीं किया है. मैं हमेशा से सदभावना की बात करता हूं. मेरा मकसद लोगों को ट्रैफिक और रोड सेफ्टी के प्रति जागरूक करना है. लाखों लोग हर साल रोड एक्सिडेंट में मरते हैं. हमें उसपर ध्यान देना है."

हमने इस मामले पर कार्यक्रम में मौजूद लोगों से भी बात की. नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक शख्स ने बताया कि

अफाक खान ने कॉलेज में पिता और बेटी के बीच के प्रेम के रिश्ते और ट्रैफिक नियम को लेकर बात की थी. साथ ही उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की बेटियों से जुड़ी स्कीम और अभियानों की भी तारीफ की थी. उन्होंने ये कहा था कि जिस घर में बेटियां होती हैं वो घर स्वर्ग होता है.

यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी की राय

हमने अफाक खान के खिलाफ एक्शन को समझने के लिए यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी डॉक्टर विक्रम सिंह से बात की. उन्होंने क्या कहा-

इस अधिकारी को निलंबित किया गया क्योंकि उन्होंने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में बात की. जबकि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हमारे लिए भी एक सम्माननीय व्यक्तित्व हैं. वर्दी में रहते हुए धार्मिक बातों से परहेज की सलाह दी जा सकती थी, लेकिन यह कोई अपराध या गंभीर अनुशासनहीनता नहीं थी. सिर्फ काउंसलिंग काफी होती. सरकार की अनुमति या स्पष्ट आदेश के बिना की गई कार्रवाई सोशल मीडिया पॉलिसी के उल्लंघन की श्रेणी में आती है.

क्या अफाक खान ने सोशल मीडिया पॉलिसी के खिलाफ काम किया है?

हमें रिसर्च के दौरान यूपी पुलिस सोशल मीडिया पॉलिसी-2023 मिला. इसमें लिखा है- "पुलिस कार्मिकों द्वारा अपने कार्य सरकार को प्रभावित किये बिना, कर्तव्य निर्वहन, जन-सहायता, जनसेवा, मानवतापूर्ण कार्यों एवं व्यक्तिगत उपलब्धि से सम्बंधित पोस्ट, फोटो/ वीडियो को अपने व्यतिगत सोशल मीडिया एकाउन्ट से साझा किया जा सकता है."

सोशल मीडिया पॉलिसी में आगे लिखा है-

"पुलिस कार्मिक द्वारा कार्य सरकार को प्रभावित किये बिना अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया एकाउंट से पुलिस के सराहनीय कार्यों से सम्बन्धित पोस्ट को री-ट्वीट /शेयर / लाईक /कमेन्ट किया जा सकता है."

यूपी पुलिस सोशल मीडिया पॉलिसी- 2023

स्रोत:Up police

अफाक खान ने कौन सा नियम तोड़ा है?

चलिए मान भी लिया जाए कि अफाक खान ने सोशल मीडिया पॉलिसी के खिलाफ काम किया है तो फिर भारत में एक नहीं दर्जनों पुलिस वाले सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं. IAS और आईपीएस के रील्स की होर लगी है.

उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो पुलिसकर्मियों की सोशल मीडिया पर बड़ी मौजूदगी भी देखने को मिलती है.

  • बलिया के ट्रैफिक पुलिस TSI रुद्र प्रताप मल्ल के यूट्यूब चैनल पर 4.17 मिलियन सब्सक्राइबर हैं, जहां जागरूकता से जुड़े सैकड़ों वीडियो मौजूद हैं.

  • DSP संतोष पटेल के आधिकारिक हैंडल @dspsantoshpatelofficial पर 3.49 मिलियन सब्सक्राइबर हैं.

  • PK Mast (@PK_Mast_) के नाम से सक्रिय अकाउंट पर 2.42 मिलियन सब्सक्राइबर हैं.

  • वहीं, विवेकानंद तिवारी ‘द ट्रैफिक कॉप’ के हैंडल @vandanavivekanand पर सबसे ज्यादा, करीब 8.56 मिलियन सब्सक्राइबर जुड़े हुए हैं.

कई पुलिस वाले सोशल मीडिया पर अपने काम को दिखाते हैं, काफी एक्टिव हैं. तो इनपर एक्शन भी होगा क्या? मैं यही कहूंगा अगर रील के जरिए लोग जागरुक हो रहे हैं तो इसमें गलती नहीं है.

अब अगर किसी धर्म गुरू या धर्म की टीचिंग के जरिए जागरूकता फैलाना अपराध है तो फिर यूपी पुलिस बताए कि बहराइच में कथावाचक पुंडरीक गोस्‍वामी को पुलिस वाले क्यों सैलूट मार रहे थे? गार्ड ऑफ ऑनर किस बात के लिए?

पुलिस विभाग बताए कि कांवड़ यात्रा पर पुष्प वर्षा से लेकर होली पर रंग और वर्दी में भजन गाने पर कितने पुलिस वाले को लाइन हाजिर किया गया? देश के कई पुलिस स्टेशनों में मंदिर है, तो क्या वहां पुलिस वाले नहीं जाते हैं?

साल 2019 में बरेली जिले के भमोरा थाना के एसएचओ जावेद खान ने शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की थी, क्योंकि वहाँ दशकों पुरानी परंपरा है कि स्थानीय पुलिस ही पूजा की शुरुआत करती है. तब जावेद खान पर एक्शन नहीं बल्कि तारीफ हुई थी.

पुलिस को पक्षपात नहीं न्याय के साथ काम करना होगा. आम लोग, सभी धर्म, समाज, वर्ग, जाति को एक नजर से देखना होगा. और निष्ठा, ईमानदारी और निष्पक्षता के शपथ को याद रखना होगा. नहीं तो हम पूछते रहेंगे जनाब ऐसे कैसे?

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