चुनाव के वक्त मुस्लिम वोटों की पड़ताल करना पत्रकारों का पसंदीदा शगल होता है. हर बार उन्हें इसमें एक नया सबक मिलता है. मुस्लिम मुद्दे किसी बहुत बड़े मुद्दे या किसी असामान्य घटना पर ही एक तरफ लामबंद होते हैं, वरना भारत में अन्य जगहों की तरह यूपी में भी उनके वोट स्थानीय प्राथमिकताओं, मुस्लिम उपजातियों और समूहों में बंट जाते हैं.
फिर भी यूपी की आबादी में 19 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले मुसलमानों के वोट का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा हासिल करने के लिए हर पार्टी का रणनीतिकार उनके वोटिंग पैटर्न की पड़ताल में लग जाता है.
वह अंदाजा लगाता है कि मुस्लिम इस बार किसे वोट देंगे? इसी आधार पर चुनावी रणनीति तय होती है. यूपी में मायावती की ओर से मुसलमानों वोटरों को लुभाने की जोरदार कोशिश के तहत 97 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए गए हैं. फिर भी अखिलेश यादव और राहुल गांधी के गठबंधन को लगता है कि मुस्लिम उम्मीदवारों का गणित उनके पक्ष में रहेगा. समाजवादी पार्टी ज्यादा से ज्यादा मुसलमानों वोटरों को खींचेगी और कांग्रेस का मुस्लिम वोट इसमें और इजाफा करेगा.