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क़लम के इस्तेमाल से जिंदा होने का एहसास ही आज़ादी है 

हां! यह मेरे क़लम की दुनिया है. जो मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है…

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BOL
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हां! यह मेरे क़लम की दुनिया है. जो मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है…
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मेरी क़लम की दुनिया

कुछ बातें हैं संसार की
कुछ बातें हैं बेकार की.

कुछ फूलों के रंग हैं इसमें
कुछ तितलियों के पंख हैं इसमें.

कुछ अनकही सी बातें हैं
कुछ भूली हुई सी यादें हैं.
यह मेरे क़लम की दुनिया है

जो मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है.

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अगर अंधेरा भी है तो मंज़ूर है मुझे
यह जुगनुओं के चमकने का एहसास दिलाती है.

ढ़लती रैना भी समझो तो भी है अज़ीज़ मुझे
यह सूरज के फिर उगने का एहसास दिलाती है.

कोई छीने ना इसे मुझ से
बस यही तो मांगा है दुनिया से.

एक यही तो आसरा है
जो समाज को बदलने का हौसला दिलाती है.

हां! यह मेरे क़लम की दुनिया है
जो मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है…

Afshan Khan’s ‘Bol’

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हां! यह मेरे क़लम की दुनिया है. जो मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है…

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Topics:  India   freedom   15 August 1947 

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