बोल कि मुझको दे आजादी
बोल कि मुझको दे आजादी
झूठे नेताओं के भाषणों से
भ्रष्ट सरकारों के वादों से
इन खोखले नारों से
और छोटी सोच वालों के बयानों से
बोल कि मुझको दे आजादी
धर्म के ठेकेदारों से
जाति के नाम पर लकीरें खीचनें वालों से
आरक्षण को बढ़ावा देने वालों से
असमानता पैदा करने वालों से
बोल कि मुझको दे आजादी
भक्षक जैसे इंसानों से
महिलाओं को छोटा समझने वालों से
अपहरण जैसी घिनौनी हरकत करने वालों से
फिर उस पर परदा डालने वालों से
बोल कि मुझको दे आजादी
अन्न उपजाने वालों की मजबूरी से
किसानों का दुख न देखने वालों से
लोगों की जमीनें हड़पने वालों से
और उनको बेघर बनाने वालों से
बोल कि मुझको दे आजादी
भारत को लौटानी है आज उसकी आजादी
लोगों के चैन से रह पाने की आजादी
आज हिन्दुस्तान है पुकारता
"बोल कि मुझको दे आजादी"
परिधि जैन के 'बोल'
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