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जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) की स्कॉलर और एक्टिविस्ट सफूरा जरगर को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के आपत्तिजनक पोस्ट किेए जा रहे हैं. जरगर की शादी और उनकी प्रेगनेंसी को लेकर दावा किया जा रहा है कि वो शादीशुदा हैं ही नहीं और जब वो तिहाड़ जेल में बंद थी तब ही उनकी प्रेग्नेंसी का पता चला.
ये दावे सिर्फ झूठे और निराधार ही नहीं, सोशल मीडिया के उस 'जहर' को भी दर्शाते हैं, जो जहर कई सारे एक्टिविस्ट और छात्रों के खिलाफ हर रोज ट्रोल फैला रहे हैं.
27 साल की जरगर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 10 अप्रैल को दिल्ली दंगों के मामले में UAPA के तहत गिरफ्तार किया था. अब उनके खिलाफ फेसबुक और ट्विटर पर मैसेज की भरमार है, कई पोस्ट में ऐसा दावा है कि उन्हें तिहाड़ जेल में मेडिकल जांच के बाद प्रेगनेंसी के बारे में पता चला. साथ ही प्रेग्नेंसी को शाहीन बाग प्रदर्शन से भी जोड़ रहे हैं और ऐसा लिख रहे हैं- 'शाहीन बाग के विरोध के पीछे का सच'.
नितिन त्रिपाठी बीजेपी उन्नाव केपूर्व जिला अध्यक्ष हैं.
जो दावे किए जा रहे हैं उसके दो हिस्से हैं, जिसका सच हमने जाना-
कीवर्ड “Safoora Zargar arrested” से जब हमने गूगल सर्च किया तो हमें कई ऐसे न्यूज रिपोर्ट्स मिलें जिसमें ये साफ लिखा हुआ है कि जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें गिरफ्तार किया था, तब वो गर्भवती थीं. इससे साबित होता है कि गिरफ्तारी से पहले ही सफूरा के प्रेगनेंट होने वाली बात पता थी.
हमने सफूरा की बहन समीया जरगर से बातचीत की, उन्होंने ये साफ किया कि सफूरा शादीशुदा हैं.
सफूरा के साथी कार्यकर्ता और जामिया के छात्र अजहर ने हमें बताया कि सफूरा जरगर के शादीशुदा न होने की बात निराधार है. अजहर ने सफूरा की शादी की तस्वीरें हासिल करने में भी मदद की.
हम ये अनुमान लगा रहे थे कि ऐसा होगा, यही वजह है कि हममें से कई लोग गिरफ्तारी के दिन सफूरा और उनके पति की एक साथ वीडियो रिकॉर्डिंग कराना चाहते थे लेकिन सफूरा ने मना कर दिया.
द क्विंट ने जरगर की शादी की तस्वीरें को वेरिफाई किया लेकिन उसे पब्लिश न करने का फैसला लिया है. हमें 25 जनवरी का एक वीडियो इंटरव्यू भी हासिल हुआ है जिसमें जरगर अपने पति के बारे में बात कर रही हैं.
4.17 मिनट से देखिए.
द क्विंट की फैक्ट चेकिंग टीम सफूरा जरगर के पति तक भी पहुंची लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर कोई भी कमेंट करने से इनकार कर दिया. साफ है कि सफूरा जरगर के बारे में निराधार और झूठी बातें उन्हें बदनाम करने के इरादे से फैलाई जा रही हैं.
हमने पहले भी कई ऐसे ट्रेंड देखे हैं जिसमें प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ ऑनलाइन ट्रोलिंग किया गया. JNU फीस इजाफे के खिलाफ हुए प्रदर्शन में कुछ छात्र-छात्राओं के खिलाफ ऐसी ही झूठी बातें सोशल मीडिया पर फैलाईं गईं थी ताकि उनके प्रदर्शनों की धार कम की जा सके.