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EXCLUSIVE: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR के बाद वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट रोल जारी हो गया है. राज्य भर में कुल 42 लाख 74 हजार 160 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं.
23 दिसंबर को संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राम प्रताप सिंह जादौन ने बताया कि 27 अक्टूबर 2025 तक प्रदेश में 5 करोड़ 74 लाख 06 हजार 143 मतदाता थे. आज की तारीख में 5 करोड़ 31 लाख 31 हजार 983 मतदाता हैं.
ड्राफ्ट रोल से 23,63,850 लाख महिला वोटरों के नाम हटाए गए हैं, जबकि 19,08,541 लाख पुरुष वोटरों के नाम कटे हैं.
SIR के पहले चरण के बाद 31.51 लाख मतदाता (5.49%) ऐसे मिले जो या तो शिफ्ट हो चुके हैं या फिर अनुपस्थिति थे. जबकि 8.46 लाख (1.47%) मतदाताओं की मृत्यु हो गई है. वहीं, 2.77 लाख (0.48%) मतदाता एक से अधिक जगह एनरोल पाए गए.
SIR ड्राफ्ट रोल के विश्लेषण से पता चलता है कि ग्रामीण और अनुसूचित जनजातियों (ST) के आरक्षित विधानसभा सीटों पर महिलाओं के नाम कटने की दर पुरुषों की तुलना में 13-110% तक ज्यादा है. औसतन पुरुष वोटर्स का डिलीशन लगभग 4,000–7,000 के बीच है, जबकि महिला वोटर्स का औसतन डिलीशन लगभग 7000-12000 है.
उदाहरण के तौर पर:
बड़वारा (कटनी): यहां पुरुषों के 4,351 के मुकाबले 9,165 महिलाओं के नाम हटाए गए हैं, जो दोगुने से भी अधिक है. महिलाओं का डिलीशन पुरुषों से 110% ज्यादा है.
घोड़ाडोंगरी (बैतूल): ड्राफ्ट रोल में 3,599 पुरुष वोटर्स के मुकाबले 6,699 महिलाओं के नाम काटे गए हैं, जो कि 86% ज्यादा है.
भैंसदेही (बैतूल): यहां पर पुरुषों के मुकाबले करीब 84 फीसदी ज्यादा महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं. 3,216 पुरुष और 5,901 महिलाओं का डिलीशन हुआ है.
चितरंगी (सिंगरौली): यहां 7,236 पुरुषों के मुकाबले 12,545 महिलाओं के नाम लिस्ट से हटाए गए हैं, जो 1.73 गुना है.
भीकनगांव (खरगोन): 7,653 पुरुषों के मुकाबले 12,376 महिलाओं के नाम लिस्ट से हटाए गए हैं, जो कि करीब 62 फीसदी ज्यादा है.
अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीटों पर भी महिला वोटर्स का डिलीशन, पुरुषों की तुलना में लगातार और स्पष्ट रूप से ज्यादा है, लेकिन यह अंतर ST सीटों से कम है. टॉप 10 सीटों की बात करें तो महिलाओं का डिलीशन पुरुषों से 30% से 70% तक ज्यादा है.
ड्राफ्ट रोल में SC सीटों पर औसत 3,000-5000 पुरुष वोटर्स के नाम हटाए गए हैं, जबकि महिला वोटर्स के नाम हटाने का औसत 5,000-8000 है.
उदाहरण:
आष्टा (सीहोर): यहां पर 2,534 पुरुषों के मुकाबले 5,047 महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं, जो कि 99% ज्यादा है.
सारंगपुर (राजगढ़): इस सीट पर पुरुषों (3,296) की तुलना में 93 फीसदी अधिक महिलाओं (6,376) के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं.
चांदला (छतरपुर): 4,394 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 7,838 महिलाओं के नाम ड्राफ्ट रोल में नहीं है, जो कि 78% ज्यादा है.
दिमनी (मुरैना): यहां पुरुषों के 3,812 के मुकाबले महिलाओं के 6,678 वोट कटे हैं, जो कि लगभग 1.75 गुना है.
अंबाह (मुरैना): 3,104 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 5,351 महिलाओं के नाम लिस्ट से हटाए गए हैं, जो कि 72 फीसदी ज्यादा है.
विंध्य क्षेत्र के जिलों (रीवा, सतना, सीधी) और बुंदेलखंड (पन्ना, सागर, दतिया) में महिलाओं के वोट कटने का ग्राफ काफी ऊपर है.
देवतालाब (रीवा): पुरुषों के मुकाबले यहां 4,037 अधिक महिलाओं के नाम कटे हैं.
चुरहट (सीधी): 7,828 पुरुषों की तुलना में 12,624 महिलाओं के वोट कटे.
अमरपाटन (सतना): इस सीट पुरुषों की तुलना में 3,394 महिलाओं के नाम हटाए गए हैं.
गुन्नौर (पन्ना): 4,229 पुरुषों के मुकाबले 7,415 महिलाओं के नाम कटे हैं.
सुरखी (सागर): यहां 14,073 महिला वोटर्स के नाम कटे हैं, जो पुरुषों की तुलना में 3,317 अधिक है.
राजगढ़ और सीहोर (मध्य क्षेत्र) में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के ज्यादा नाम कटे हैं.
हालांकि, प्रदेश के शहरी विधानसभा सीटों पर नजर डालें तो ड्राफ्ट रोल से नाम हटाने का पैटर्न ST/SC/ग्रामीण सीटों से बिल्कुल बदल जाता है या उलट जाता है. शहरी सीटों पर महिला मतदाताओं के मुकाबले पुरुष मतदाताओं के नाम 16% तक ज्यादा हटाए गए हैं.
उदाहरण:
भोपाल दक्षिण-पश्चिम (भोपाल): इस सीट पर 34,081 पुरुषों के नाम हटाए गए हैं, जबकि 29,346 महिलाओं के नाम ड्राफ्ट रोल से बाहर हुए हैं. पुरुषों का डिलीशन महिलाओं से 16% ज्यादा है.
गोविंदपुरा (भोपाल): 50,974 पुरुष वोटर्स के मुकाबले 44,960 महिलाओं के नाम काटे गए. यहां पुरुष डिलीशन रेट 13.4% अधिक है.
ग्वालियर पूर्व (ग्वालियर): इस सीट पर पुरुषों का डिलीशन महिलाओं से 12.8% ज्यादा है. यहां 40,178 पुरुष वोटर्स और 35,607 महिला वोटर्स के नाम कटे हैं.
नरेला (भोपाल): यहां 38,179 महिलाओं के मुकाबले 43,051 पुरुषों के नाम कटे हैं, जो कि 12.8% ज्यादा है.
ग्वालियर (ग्वालियर): महिलाओं के मुकाबले यहां पुरुषों का 10.2% ज्यादा डिलीशन हुआ है.
इंदौर-1, इंदौर-2 और उज्जैन जैसी शहरी सीटों में भी पुरुष डिलीशन की संख्या महिलाओं से अधिक है.
प्रदेश में मेल-फिमेल डिलीशन में सबसे बड़ा अंतर सिंगरौली की चितरंगी सीट पर 5,309 है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मध्य प्रदेश की 42 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां 2023 चुनाव के हार-जीत का मार्जिन, पुरुष और महिला मतदाताओं के डिलीशन के अंतर से कम है.
उदाहरण:
शाजापुर (शाजापुर): बीजेपी ने सिर्फ 28 वोट के अंतर से ये सीट जीती थी. यहां मेल-फिमेल डिलीशन का अंतर 1,454 है.
महिदपुर (उज्जैन): कांग्रेस के खाते में ये सीट 290 वोट के मार्जिन से गई थी. अब डिलीशन का अंतर 1,886 है.
धरमपुरी (धार): बीजेपी ने इस सीट पर 356 वोटों से जीत हासिल की थी. यहां पुरुष-महिला डिलीशन में 3,603 का अंतर है.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुष और महिला- दोनों ही मतदाताओं का रुझान कांग्रेस की तुलना में बीजेपी की ओर अधिक रहा. आंकड़ों के मुताबिक, 43 प्रतिशत महिलाओं ने कांग्रेस को वोट दिया, जबकि 47 प्रतिशत महिलाओं ने बीजेपी का समर्थन किया.
दिलचस्प बात ये रही की कांग्रेस को पुरुषों की तुलना में महिलाओं का ज्यादा समर्थन मिला, वहीं बीजेपी को पुरुष मतदाताओं से महिलाओं के मुकाबले अधिक वोट मिले.