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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में वोटर्स की लिस्ट का एक स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' के आरोप के बाद ये स्क्रीनशॉट इंटरनेट पर शेयर होने लगा.
स्क्रीनशॉट में क्या है ? : ये लिस्ट वाराणसी के भेलूपुर क्षेत्र की वोटर लिस्ट है, जिसमें अलग-अलग उम्र के 50 वोटर्स हैं. इनमें से सभी के पिता के रूप में 'रामकमल दास' का नाम दर्ज है.
दावा: इस लिस्ट को वाराणसी के फर्जी वोटर्स की लिस्ट बताकर शेयर किया जा रहा है. कुछ यूजर्स का दावा है कि चुनाव आयोग ने फर्जी वोटरों की लिस्ट तैयार की है.
लेकिन...?: यहां मामले को अधूरे संदर्भ में शेयर किया जा रहा है.
जिन लोगों ने रामकमल दास का नाम अपने पिता के रूप में दर्ज किया है, वो सभी एक आश्रम के अनुयायी हैं, जिन्होंने परंपरा का पालन करते हुए अपने पिता की जगह अपने गुरु का नाम दर्ज किया है.
हमें कैसे पता चली सच्चाई ? : सबसे पहले, हमने दावे में दी गई जानकारी के जरिये उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग की वेबसाइट पर असली लिस्ट को ढूंढा.
हमने पाया कि लिस्ट असली थी और दावा करने के लिए उसे एडिट नहीं किया गया था.
दावे के साथ वायरल हो रही लिस्ट असली है
लिस्ट पर और जानकारी जुटाने के लिए हमने 'रामकमल दास 50 बच्चे यूपी' शब्दों से कीवर्ड सर्च किया.
इससे हमें जागरण की 2023 में पब्लिश हुई एक न्यूज रिपोर्ट मिली.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट
इसके मुताबिक, ये समस्या पहली बार 2023 में वाराणसी में हुए नगर निगम चुनावों के दौरान सामने आई थी, जब लिस्ट में भेलुपुर वार्ड के 48 वोटर्स के पिता का नाम एक ही था.
इसमें लिखा है, "स्वामी रामकमल दास वेदांती, रामजानकी मठ के महंत हैं." रिपोर्ट में कहा गया है कि मठ के मैनेजर, रामभरत शास्त्री ने लिस्ट को वेरिफाई किया है.
शास्त्री ने जागरण को बताया कि मठ में गुरु-शिष्य की परंपरा का पालन किया जाता है, जिसकी वजह से स्वामी रामकमल दास के सभी शिष्यों ने अपने पिता की जगह पर उनका नाम दर्ज किया है.
उन्होंने बताया कि पहले इस तरह से करीब 150 लोगों का नाम वोटर्स के तौर पर रजिस्टर था, लेकिन 2023 में ये संख्या घटकर 48 रह गई.
हमें इसी तरह की जानकारी ETV भारत की रिपोर्ट में भी मिली.
अधिकारियों ने दी सफाई: उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने अब वायरल हो रहे दावे का संदर्भ 12 मार्च 2025 को अपने आधिकारिक X अकाउंट पर शेयर किया था.
उन्होंने बताया कि ये लिस्ट शहरी स्थानीय निकाय चुनावों की मतदाता सूची थी और इसे चुनाव आयोग ने तैयार नहीं किया था.
चुनाव आयोग ने लिस्ट के संदर्भ में बताया कि, "धार्मिक मठ/आश्रम में रह रहे लोगों/संन्यासियों की पहचान उनके पिता के नाम की जगह गुरु के नाम से होती है."
निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 50 वोटर्स के पिता का नाम एक ही होने वाले वायरल दावे से संदर्भ गायब है. चुनाव आयोग ने इसे लेकर सफाई भी जारी की थी.
(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9540511818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं.? )