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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिस एक बौद्ध भिक्षु को सड़क पर पीटती दिख रही है. दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो भारत का है और बोधगया में हो रहे विरोध प्रदर्शन से जुड़ा है.
क्या दावा सच है?: नहीं, यह दावा झूठा है.
यह वीडियो नेपाल के काठमांडू का है, जहां अप्रैल 2024 में पुलिस और नेशनल लिबरेशन मूवमेंट के सदस्यों के बीच झड़प हुई थी.
वीडियो का इस साल शुरू हुए बोधगया विरोध प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है.
हमें क्या मिला: सबसे पहले हमने वायरल वीडियो को कई स्क्रीनशॉट में बांट दिया और उनमें से कुछ पर Google रिवर्स इमेज सर्च का इस्तेमाल किया.
हमें अप्रैल 2024 की Kathmandu Today की यह रिपोर्ट मिली. इसमें वायरल वीडियो जैसा ही एक फ्रेम था.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि काठमांडू में पुलिस ने सड़क पर चल रहे दो बौद्ध भिक्षुओं पर लाठी-डंडों से हमला किया था.
यह घटना राजेंद्र महतो के नेतृत्व में राष्ट्रीय क्रांति अभियान द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई थी.
बाद में, पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, जिसमें कहा गया कि अगर जिम्मेदार व्यक्ति दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
इसी तरह हमें YouTube पर सागरमाथा टीवी का एक वीडियो मिला, जिसमें यही वीडियो था और घटना का जिक्र था.
द प्रिंट ने अप्रैल 2024 में नेपाल में हुए विरोध प्रदर्शनों पर भी रिपोर्ट की थी. इसमें बताया गया था कि यह प्रदर्शन तब हिंसक हो गया जब प्रदर्शकारियों ने प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को नीचे धकेल दिया था.
बोधगया में क्या हो रहा है?: द क्विंट ने बोधगया में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा चल रहे विरोध प्रदर्शन के बारे में यह रिपोर्ट की थी. इसमें बताया गया कि महाबोधि मंदिर के नियंत्रण से ब्राह्मणों और गैर-बौद्धों को हटाने की मांग की गई है.
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि महाबोधि मंदिर का "ब्राह्मणीकरण" किया जा रहा है और मंदिर पर हिंदू रीति-रिवाज और प्रथाएं थोपी जा रही हैं, जिसे वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का उल्लंघन मानते हैं.
प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 (The Bodh Gaya Temple Act, 1949) को समाप्त किया जाए और मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह से बौद्धों को सौंप दिया जाए.
बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि इस समिति में वर्तमान में बौद्ध सदस्यों की संख्या ज्यादा है और "ब्राह्मणीकरण" के दावे झूठे हैं.
निष्कर्ष: नेपाल के एक वीडियो को जिसमें पुलिस एक भिक्षु को पीटती हुई दिखाई दे रही है, उसे बोधगया में चल रहे विरोध प्रदर्शन से गलत तरीके से जोड़ कर शेयर किया जा रहा है.
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