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प्रधानमंंत्री जवाहरलाल नेहरू (JawaharLal Nehru) की एडिटेड फोटो से लेकर इंस्टाग्राम (Instagram) पर बैन से जुड़े झूठे दावे तक. इसके अलावा, दाऊद इब्राहिम और एक पत्रकार की फोटो शेयर कर ये झूठा दावा भी किया गया कि फोटो में दिख रही महिला कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत हैं. इस हफ्ते सोशल मीडिया पर वायरल ऐसे कई फेक दावों की वेबकूफ टीम ने पड़ताल की है और सच आपको बताया. ऐसे झूठे दावों का सच आपको यहां मिलेगा.
पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की गई, जिसमें उन्हें दो महिलाओं के साथ एक पहाड़ी वाले रास्ते में चलते देखा जा सकता है. तस्वीर में नेहरू के हाथ में लोटे जैसा कोई बर्तन दिख रहा है. दावा किया गया कि नेहरू, एडविना माउंटबेटन के साथ हाथ में लोटा लेकर जा रहे हैं.
पड़ताल में हमने पाया कि वायरल तस्वीर एडिटेड है. असली तस्वीर साल 1948 की है, जब वो शिमला छुट्टियां बिताने गए थे.
बाएं वायरल फोटो, दाएं Alamy फोटो
(फोटो: Altered by The Quint)
ऊपर दोनों तस्वीरों में तुलना करने पर साफ पता चल रहा है कि नेहरू की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई है.
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न्यूज वेबसाइट First India News का कथित स्क्रीनशॉट शेयर किया गया. दावा किया गया कि भारत में Instagram एप्लिकेशन पर केंद्र सरकार ने बैन लगा दिया है.
इसमें ये भी लिखा है कि सरकार ने ये फैसला सरकार ने इसलिए लिया है, क्योंकि इस एप पर 'गलत कंटेंट' की वजह से 18 साल से कम उम्र के लोगों को नुकसान हो रहा है.
पड़ताल में हमने पाया कि भारत सरकार की ओर से ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है और न ही कोई आदेश जारी किया गया है. ये ऐप्लिकेशन अभी भी iOS और Android जैसे एप्लिकेशन स्टोर पर उपलब्ध है.
इसके अलावा, First India News ने भी पुष्टि की है कि वायरल स्क्रीनशॉट छेड़छाड़ करके बनाया गया है.
साफ है कि इंस्टाग्राम पर बैन से जुड़ा दावा गलत है.
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दाऊद इब्राहिम के साथ ऑफिस में बैठी एक महिला की फोटो शेयर कर दावा किया गया कि फोटो में दाऊद के साथ कांग्रेस स्पोक्सपर्सन और पूर्व पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत हैं.
पड़ताल में हमने पाया कि दाऊद के साथ फोटो में दिख रही महिला सुप्रिया श्रीनेत नहीं, बल्कि पत्रकार शीला भट्ट हैं. शीला भट्ट ने ट्वीट कर बताया है कि वायरल तस्वीर में वो ही हैं. उन्होंने ये भी लिखा कि ये तस्वीर साल 1987 की है.
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पिघली हुई ट्रैफिक लाइट की फोटो शेयर कर ये दावा किया गया कि तेज गर्मी की वजह से लखनऊ के एक चौराहे में ट्रैफिक लाइट पिघल गई.
पड़ताल में हमने पाया कि वायरल तस्वीर न तो हाल की है और न ही लखनऊ की. ये तस्वीर साल 2022 की है और इटली के मिलान शहर की है. तब एक स्कूटर में आग लग जाने की वजह से ट्रैफिक लाइट पिघल गई थी.
इटली की एक फैक्ट चेकिंग वेबसाइट में स्थानीय पुलिस और सिटी फायर डिपार्टमेंट के हवाले से लिखा गया था कि ये घटना 25 जुलाई 2022 को एक स्कूटर में आग लगने की वजह से हुई थी.
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न्यूज चैनल UP Tak के आर्टिकल का एक कथित स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया गया कि उत्तर प्रदेश के बाबतपुर (वाराणसी जिला) में एक दलित युवती ने 6 मुस्लिम युवकों के सिर काट दिए, क्योंकि वो महिला को रेप और धर्मांतरण की धमकी दे रहे थे.
पड़ताल में ये दावा झूठा निकला. वाराणसी पुलिस के डीसीपी गोमती जोन के अकाउंट से ट्वीट कर भी बताया गया है कि शेयर किया जा रहा दावा ''पूरी तरह से झूठ'' है. ऐसी कोई घटना नहीं हुई है.
इसके अलावा, Tak चैनल के क्लस्टर हेड नीरज गुप्ता ने क्विंट को बताया कि UP Tak ने इस स्टोरी को ''किसी भी रूप में'' पब्लिश नहीं किया है.
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(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)