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यूपी में आफत का बुखार, नदारद सरकार बागपत से ग्राउंड रिपोर्ट

यूपी में स्क्रब टाइफस और डेंगू ने मिलाकर कम से कम 100 लोगों की जान ले ली है.

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<div class="paragraphs"><p>UP: बागपत में स्क्रब टाइफस न पसारे पैर</p></div>
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UP: बागपत में स्क्रब टाइफस न पसारे पैर

(फोटो: कनिष्क दांगी/क्विंट हिंदी)

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पश्चिम यूपी के बागपत (Baghpat, UP) में 28 अगस्त को 1 वर्षीय दक्ष को बुखार होने के बाद, परिवार ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने से पहले कई डॉक्टरों के पास ले गए. निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने परिवार को आश्वासन दिया कि वो दो दिनों में बेहतर हो जाएगा, लेकिन पांच दिन बाद परिवार को उसे कहीं और भर्ती करने के लिए कहा गया. चार दिन बाद, दक्ष को स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) रोग का पता चला.

स्क्रब टाइफस, जिसे बुश टाइफस भी कहा जाता है, एक जीवाणु रोग है जो संक्रमित लार्वा माइट्स के काटने से लोगों में फैलता है. द क्विंट को बताया गया कि बागपत में कई सालों से स्क्रब टाइफस का मामला नहीं देखा गया है, लेकिन इस साल बारिश में वृद्धि के कारण पश्चिम यूपी के इस हिस्से में प्रसार हुआ होगा. मथुरा, फिरोजाबाद, आगरा, मैनपुरी और एटा के बाद, बागपत बीमारी की रिपोर्ट करने वाला दूसरा जिला है. राज्य में स्क्रब टाइफस और डेंगू ने मिलाकर कम से कम 100 लोगों की जान ले ली है.

गांव में उनके पड़ोसियों और परिवार के सदस्यों ने द क्विंट को बताया कि प्रशासन और ग्राम प्रधान दिनेश त्यागी ने बीमारी को रोकने के लिए कोई आवश्यक कदम नहीं उठाए.

दक्ष की मां, 26 वर्षीय ज्योति कुमार ने कहा कि वह मुख्य रूप से घर पर खेलता था, इसलिए उसे पता नहीं था कि उसे कहां या कब किसी कीड़े ने काट लिया. ज्योति ने कहा-

हम चिंतित हैं. परिवार में हमारे चार और बच्चे हैं. मेरे बेटे का बागपत में ऐसा पहला मामला है.

ज्योति कुमारी अपने बेटे की तबीयत को लेकर डरी हुई हैं. वह घर के अन्य बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंतित रहती है.

फोटो -ऐश्वर्या एस अय्यर/द क्विंट 

डॉक्टर का कहना है कि रोकथाम जरूरी है

दक्ष को आस्था अस्पताल लाए जाने के बाद, बाल रोग और नवजात विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ तोमर ने कहा कि उन्होंने 4 सितंबर की सुबह ही बागपत के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सूचित किया. तोमर ने कहा, "फिर मैंने 6 सितंबर को कार्यालय को सूचित किया, जब हमें मेरठ की एक निजी प्रयोगशाला से पुष्टिकृत परीक्षण के परिणाम मिले."

डॉ तोमर ने बताया प्रशासन की प्रतिक्रिया में तत्परता की कमी थी."जिस प्रक्रिया का पालन किया जाना है वह यह है कि आपको प्रशासन और सीएमओ कार्यालय को सूचित करना होगा. स्क्रब एक कीट के काटने से फैलता है. एक लार्वा जो झाड़ियों में पाया जाता है, और यह उस कीड़े के काटने के माध्यम से फैलता है. इसलिए यदि कोई सदस्य परिवार झाड़ियों या घास में जाता है, उन्हें वहां कीड़ों ने काट लिया है.

ये कीड़ा जब किसी को काटता है तो किसी को पता नहीं चलता है. लक्षण 4-5 दिन बाद दिखने लगते हैं. इनमें बुखार, शरीर में दर्द शामिल है. इसलिए पहचान करना स्थानीयता अत्यंत महत्वपूर्ण है. कीटनाशक का छिड़काव करना महत्वपूर्ण है.

तोमर का कहना है कि स्क्रब टाइफस को फैलने से रोकना बेहद जरूरी है.

फोटो -ऐश्वर्या एस अय्यर/द क्विंट 

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साथ ही एक और रिपोर्ट पीजीआई लखनऊ के लिए भेजी गई. उन्होंने समझाया कि सीएमओ का कार्यालय एक सरकारी प्रयोगशाला से परीक्षण पर जोर देता है जो निवारक कदम उठाने में देरी में योगदान देता है.

डॉ तोमर ने रोकथाम के महत्व के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा, "यदि संख्या बढ़ती है और हम इसे प्रशासन स्तर पर नियंत्रित नहीं करते हैं, तो यह समस्याएं पैदा कर सकता है. चूंकि यहां सामान्य से अधिक बारिश हुई, स्वाभाविक रूप से अधिक घास और झाड़ियां बढ़ीं यही कारण है कि यह कीट यहां अधिक प्रजनन कर रहा है, अन्यथा यह इस क्षेत्र में दिखाई नहीं देगा. क्षेत्र में स्क्रब नया है. बागपत में कई वर्षों में यह पहला मामला दर्ज किया गया है.

यह बागपत के बाम गांव में दक्ष का घर है. अस्पताल में इलाज कराने के दौरान स्थानीय लोग और परिवार के सदस्य उसके स्वास्थ्य के बारे में पूछने के लिए इकट्ठा होते हैं.

फोटो -ऐश्वर्या एस अय्यर/द क्विंट 

प्रशासन को क्या करना चाहिए था

ग्रामीणों का कहना है कि दक्ष के बीमार होने के बाद से 7 सितंबर तक प्रशासन, क्षेत्र की सफाई या छिड़काव के लिए नहीं आया. जब वे आए, तो उनका काम संतोषजनक नहीं रहा. उन्होंने बताया कि 8 सितंबर की सुबह 2 आशा कार्यकर्ता आईं और कुछ ही घरों में जाकर पूछा कि क्या किसी को बुखार या खांसी है.

बागपत के मुख्य चिकित्सा अधिकारी दिनेश कुमार ने मच्छर से संबंधित बीमारियों में वृद्धि से निपटने के लिए राज्य क्या कर रहा है, इसकी एक विस्तृत योजना की रूपरेखा तैयार की थी. उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी या आशा से दो-दो लोगों की 464 टीमें बनाई गई थीं, और जिले भर में 7 से 18 सितंबर के बीच हर दिन पचास घरों का दौरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

चिकित्सा अधिकारी बोले-  हर घर से चार प्रश्न पूछने थे

  • बुखार, खांसी वाले लोगों से अपनी पहचान बताने को कहा जा रहा है.

  • जिन लोगों को लंबे समय से खांसी है, उन्हें संभवत: टीबी होने की पहचान की जा रही है.

  • 2 साल से कम उम्र के और पूरी तरह से टीकाकरण (नियमित) नहीं किए गए बच्चों की सूची बनाई जा रही है.

  • 45 से ऊपर के ऐसे लोगों की सूची भी तैयार की जा रही है, जिन्हें कोविड वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं मिली है.

द क्विंट ने दक्ष के पड़ोसियों से पूछा कि क्या प्रशासन के दो कर्मचारियों ने उनसे चार सवाल पूछे हैं. जबकि कुछ घरों में उन्होंने पूछा कि क्या किसी बच्चे को खांसी या बुखार है, उन्होंने दक्ष के घर के पास के कई घरों को छोड़ दिया. उन्होंने किसी भी घर में चार प्रश्न नहीं पूछे.

एक अन्य व्यक्ति सुशील कुमार ने कहा कि वे घर आए थे लेकिन केवल यह पूछा कि क्या परिवार में किसी को खांसी या बुखार है और चला गया. पास में रहने वाली 32 वर्षीय प्रियंका ने कहा-

वे मुश्किल से दो मिनट रुके और बाहर निकल रहे थे. उन्होंने किसी को खांसी या बुखार होने के बारे में पूछा और फिर चले गए. उन्होंने मेरा फोन नंबर भी ले लिया.

इसी तरह, एक अन्य पड़ोसी सीमा ने कहा कि वे आए थे और वही प्रश्न पूछे जो उन्होंने प्रियंका से किए और चले गए. दक्ष के घर में भी सिर्फ इतना ही पूछा कि क्या कोई अस्वस्थ है.

दक्ष के परिवार व पड़ोसियों ने घास काटने व घास व झाड़ियों पर कीटनाशक के छिड़काव को लेकर कहा कि अभी तक सफाई नहीं हुई है. जब हमने सीएमओ से इन सवालों का सामना किया तो उन्होंने कहा कि छिड़काव और कटिंग कराना गांव के प्रधान का काम है. दिनेश कुमार ने कहा, हमने उन्हें बता दिया है. यह नगर पंचायत के अधीन है, हमारा काम नहीं.

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