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Titanic मलबा देखने गए पनडुब्बी का मलबा मिला,5 लोगों के लिए एडवेंचर कैसे बनी मौत?

Titan crew died: पनडुब्बी के 'विनाशकारी विस्फोट' के बाद पांचों यात्रियों की मौत- यूएस कोस्ट गार्ड

साक़िब मज़ीद
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<div class="paragraphs"><p>Titanic मलबा देखने गई लापता पनडुब्बी कितनी ताकतवर? कितना खतरनाक समंदर का पानी?</p></div>
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Titanic मलबा देखने गई लापता पनडुब्बी कितनी ताकतवर? कितना खतरनाक समंदर का पानी?

(फोटो- Altered by Quint Hindi)

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दुनिया में सबसे ज्यादा मशहूर जहाज, टाइटैनिक (Titanic) के मलबे को देखने के लिए गए पांचों पनडुब्बी सवारों की मौत हो गयी है. पिछले 4 दिनों से लापता 'टाइटन' पनडुब्बी को ढूंढने के असफल कोशिश के बाद अमेरिकी तटरक्षक अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उसमें सवार पांच यात्रियों की मौत हो गई है. यह पनडुब्बी जहाज रविवार को गायब हो गया था.

आइए जानते हैं कि कहां खो गई पनडुब्बी? कब टूटा संपर्क? जान गंवाने वाले पांच लोग कौन हैं? Titanic टूरिस्ट पनडुब्बी कितनी बड़ी थी और इसकी क्या क्षमता थी? लापता पनडुब्बी की तलाश कौन-कौन कर रहा था? Titanic के मलबे तक पहुंचने में कितना खर्च आता है? कितना खतरनाक है समंदर का पानी?

कहां खो गई पनडुब्बी? कब टूटा संपर्क?

22 फुट की पनडुब्बी और उसका सहायक जहाज शुक्रवार को सेंट जॉन्स, न्यू फाउंडलैंड से रवाना हुआ.

USA Today की रिपोर्ट के मुताबिक US कोस्ट गार्ड ने कहा कि रविवार सुबह पनडुब्बी पांच लोगों के साथ डूब गई. इसकी निगरानी कर रहे कनाडाई जहाज का करीब एक घंटे 45 मिनट बाद संपर्क टूट गया.

समंदर में लापता पनडुब्बी

(फोटो- oceangate.com)

पनडुब्बी से संपर्क टूटने के बाद यह अनुमान लगाया गया था कि अंदर मौजूद पांच लोगों के पास लगभग 96 घंटे की ऑक्सीजन थी.

अमेरिकी कोस्ट गार्ड के रियर एडमिरल माउगर ने पुष्टि की कि टाइटैनिक के कुछ हिस्से टाइटैनिक के मलबे से लगभग 1600 फीट की दूरी पर पाए गए हैं.

जान गंवाने वाले पांच लोग कौन हैं?

टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने के लिए गई पनडुब्बी में कुल पांच लोग सवार थे, जिनकी मौत की अब पुष्टि हो गयी है.

1.स्टॉकन रश (Stockton Rush)

स्टॉकन रश, पनडुब्बी के पायलट थे. वे OceanGate कंपनी के संस्थापक और सीईओ भी थे. इसी कंपनी की पनडुब्बी इस अभियान में गई थी. यह एक प्राइवेट रिसर्च और पर्यटन कंपनी है, जिसके द्वारा 2010 से अब तक पानी के अंदर लगभग एक दर्जन से ज्यादा अभियान चलाए जा चुके हैं. यह कंपनी 2009 में बनाई गई थी और इसने इससे पहले भी टाइटैनिक के मलबे के लिए जहाज भेजे थे.

OceanGate वेबसाइट के मुताबिक स्कॉटन रश की उम्र 61 साल थी, जिनके पास दुनिया के सबसे कम उम्र के पायलट बनने का रिकॉर्ड था.

उन्होंने 1984 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय (Princeton University) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की और 1989 में यूसी-बर्कले हास स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया था.

(फोटो- oceangate.com)

2. हामिश हार्डिंग (Hamish Harding)

हामिश हार्डिंग (50) एक ब्रिटिश विमानन व्यवसायी और पायलट थे, जिन्होंने गहरे समुद्र में यात्रा करने और हवाई जहाज के जरिए पृथ्वी की परिक्रमा करने के कई विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं.

हार्डिंग ने इस सफर से पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि वह टाइटन पर टाइटैनिक के मलबे की यात्रा करने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा था कि यह मिशन 2023 में टाइटैनिक का पहला और एकमात्र मानवयुक्त मिशन होने की संभावना है.

हार्डिंग, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की कंपनी एक्शन एविएशन (Action Aviation) के संस्थापक और अध्यक्ष थे, जो एयरक्राफ्ट खरीदती और बेचती है.

3. पॉल-हेनरी नार्गोलेट (Paul-Henri Nargeolet)

पॉल-हेनरी फ्रांस की नौसेना से रिटायर्ड कमांडर थे, जो एक मीडिया और प्रदर्शनी कंपनी के लिए अंडरवॉटर रिसर्च के डायरेक्टर हैं, जो RMS Titanic से साथ एफ्लिएटेड है.

The Washington Post की रिपोर्ट के मुताबिक टाइटैनिक इंटरनेशनल सोसाइटी के ट्रस्टी ब्रैंडन व्हाइटेड ने कहा कि नार्गोलेट के पास मलबे के बारे में अहम जानकारी थी. उन्होंने 1990 के दशक में नार्गोलेट के साथ साइट की यात्रा की थी. व्हाइट ने कहा कि नार्गोलेट जहाज के स्टर्न के टुकड़ों की पहचान कर सकते थे, जो समुद्र की सतह पर बेहद बुरी स्थिति में है.

नार्गोलेट का जन्म फ्रांस के शैमॉनिक्स में हुआ था और वह अपने परिवार के साथ 13 वर्षों तक अफ्रीका में रहे. उनकी Linkedin प्रोफाइल के मुताबिक उन्होंने फ्रांसीसी नौसेना में अपने दो दशकों के दौरान पनडुब्बी पायलट, जहाज कप्तान और गहरे गोताखोर के रूप में काम किया है.

4.शहजादा दाउद (Shahzada Dawood)

शहजादा दाउद (48), ब्रिटिश पाकिस्तानी बिजनेसमैन थे. वो पाकिस्तान के सबसे प्रमुख व्यापारिक परिवारों में से एक थे. शहजादा दाऊद पाकिस्तानी समूह Engro Corp. के उपाध्यक्ष थे. यह दाऊद हरक्यूलिस के परिवार के स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जिसके मुखिया उनके पिता हुसैन हैं.

दाऊद अपने परिवार के Dawood Foundation को भी डायरेक्ट करते थे. शहजादा दाऊद के पास दोहरी ब्रिटिश-पाकिस्तानी नागरिकता थी.

5.सुलेमान दाउद (Suleman Dawood)

सुलेमान दाऊद टाइटैनिक अभियान के सबसे कम उम्र के सदस्य थे. वे शहजादा दाउद के बेटे थे. वह लंदन के बाहर सरे (Surrey) के लॉन्ग डिटन के हरे-भरे गांव में अपने पिता और मां क्रिस्टीन के साथ पले-बढ़े. उन्होंने पाकिस्तान के पंजाब इलाके में जैविक कृषि व्यवसाय चलाया है. इसके अलावा वो Dawood Foundation के बोर्ड में भी बैठते थे.

The Washington Post की रिपोर्ट के मुताबिक उनके परिवार ने एक बयान में कहा कि सुलेमान, साइंस फिक्शन किताबों को पढ़ने, रूबिक्स क्यूब्स को हल करने और वॉलीबॉल खेलने के शौकीन हैं. उन्होंने हाल ही में एसीएस इंटरनेशनल स्कूल कोबम (ACS International School Cobham) से ग्रेजुएशन पूरा किया था.

Titanic टूरिस्ट पनडुब्बी कितनी बड़ी थी और इसकी क्या क्षमता थी?

Titanic टूरिस्ट पनडुब्बी

(फोटो- oceangate.com)

OceanGate Inc द्वारा बनाई गई पनडुब्बी को साइट सर्वे और निरीक्षण, अनुसंधान और डेटा कलेक्शन के लिए पांच लोगों को 13,124 फीट की गहराई तक ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है. पनडुब्बी का वजन करीब 11340 किलोग्राम है और इसमें एक टाइटेनियम क्रू कम्पार्टमेंट है. इस तरह की पनडुब्बियों में सीमित बिजली होती है, इसलिए इन्हें एक सपोर्ट की शिप की जरूरत होती है, जो इन्हें लॉन्च करने और वापस आने पर रिसीव करने में मदद कर सके.

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Titanic जहाज का मलबा कितनी गहराई में है?

समंदर की सतह पर टाइटैनिक जहाज का मलबा

(फोटो- oceangate.com)

टाइटैनिक कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से लगभग 370 मील यानी लगभग 12,500 फीट की गहराई पर है. साइट पर उतरने के लिए आम तौर पर दो घंटे का वक्त लगता है. इनती ज्यादा गहराई में कुछ जहाज ही दबाव झेल पाते हैं.

लापता पनडुब्बी की तलाश कौन कर रहा था?

समंदर में गायब हुई पनडुब्बी की खोजबीन में कई जहाज और एक सी-130 विमान लगे हुए थे. बचावकर्मियों ने पानी के ऊपर और नीचे एक बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया. इस पनडुब्बी की तलाश करने के लिए अमेरिकी और कनाडा के बचाव दल लगाए गए. यूएस कोस्ट गार्ड, अमेरिकी नौसेना और कनाडाई सेना इस बचाव ऑपरेशन में लगे.

सर्च ऑपरेशन में लगी जहाजें

डीप एनर्जी (Deep Energy): यह दो आरओवी (Remotely Operated Vehicle) वाला एक ऐसा कॉमर्शियल जहाज है, जो केबल बिछाने के काम में लाया जाता है. यह 3,000 मीटर यानी 10,000 फीट गहराई तक काम कर सकता है.

अटलांटिक मर्लिन (Atlantic Merlin): यह कनाडा की एक 4,000 चरखी सिस्टम वाली जहाज है. इसमें भी ROV होते हैं.

स्कैंडी विनलैंड (Skandi Vinland): यह पोत समुद्री सहायता के काम में लाया जाता है, जिसमें दो आरओवी होते हैं.

एल'अटालेंटे (L'Atalante): यह एक फ्रांसीसी जहाज है, जो एक आरओवी के साथ पनडुब्बी को खोजने के लिए काम पर लगाया गया है. यह टाइटैनिक के मलबे की गहराई तक काम कर सकता है.

होराइजन आर्कटिक (Horizon Arctic): यह एक सपोर्टिव इक्विपमेंट से लदा कॉमर्शियल जहाज है, जो लापता पनडुब्बी की खोज में लगाया गया है.

ग्लास बे (Glace Bay): यह कनाडाई नौसैना का जहाज है, जो डीकंप्रेसन चैंबर के साथ सर्च ऑपरेशन में लगाया गया है. इसको खास तौर पर चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए लगाया गया है.

जॉन कैबोट (John Cabot): यह एक साइंटिफिक रिसर्च जहाज है, जो कनाडियन कोस्ट गार्ड द्वारा ऑपरेट किया जा रहा है.

Titanic के मलबे तक पहुंचने में कितना खर्च आता है?

14 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक जहाज बर्फ की चट्टानों से टकराने के बाद डूबता हुआ

(फोटो- oceangate.com)

टाइटैनिक जहाज के मलबे को दिखाने के लिए OceanGate की पनडुब्बी समंदर में भेजी गई थी. OceanGate टाइटैनिक अभियान की लागत प्रति व्यक्ति 250,000 डॉलर यानी दो करोड़ रूपए से ज्यादा है. जिसमें सेंट जॉन्स, न्यूफाउंडलैंड से आने-जाने का खर्च नहीं शामिल किया गया है. OceanGate वेबसाइट के मुताबिक इसमें मलबे पर आठ दिनों का अभियान शामिल था.

कितना खतरनाक है समंदर का पानी?

टाइटैनिक के मलबे तक पहुंचने के लिए निकली पनडुब्बी के टूट जाने और उसपर सवार सभी यात्रियों की मौत होने के बाद यह सवाल खड़ा हुआ है कि गहराई तक ऐसे अभियान में किस तरह के जोखिम शामिल हैं.

क्योंकि टाइटैनिक जहाज का मलबा अटलांटिक महासागर में चार किलोमीटर नीचे मौजूद है और यहां का पानी बहुत ही ठंडा होता है. इसके अलावा समंदर की सतह पर ऊपर की तुलना में 390 गुना ज्यादा प्रेशर होता है.

(फोटो- oceangate.com)

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक अटलांटिक महासागर में जिस जगह पर टाइटैनिक जहाज डूबा था, उस जगह के आस-पास का पानी बहुत ही खतरनाक माना जाता है. इसकी एक वजह ये भी है कि वहां बहुत ज्यादा अंधेरा होता है क्योंकि उस जगह पर सूरज की रोशनी पहुंचना भी नामुमकिन है. इस क्षेत्र को 'मिडनाइट ज़ोन' भी कहा जाता है.

ऐसे में मामला तब और ज्यादा जोखिम भरा हो जाता है, जब पनडुब्बी की लाइटें इलाके में ना काम कर सके क्योंकि इसकी रोशनी कुछ मीटर तक की जगह को ही कवर कर पाती है.

Published: 22 Jun 2023,07:30 PM IST

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