Women's Day: सुनिए साहिर लुधियानवी की नज्म 'औरत'

जमाने बदल गए, सरकारें बदल गईं, लेकिन नहीं बदली तो 'औरत' की किस्मत.

Akanksha Singh, अतहर राथर & माज़ हसन
वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>साहिर लुधियानवी की नज्म 'औरत'</p></div>
i

साहिर लुधियानवी की नज्म 'औरत'

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

"औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया...

जब जी चाहा मसला, कुचला, जब जी चाहा धुत्कार दिया..."

दशकों पहले साहिर लुधियानवी की लिखी ये नज्म आज भी समाज को आइना दिखाती है. जमाने बदल गए, सरकारें बदल गईं, लेकिन नहीं बदली तो औरत की किस्मत. सदियों से पितृसत्ता की जलाई आग में झुलसती आ रही औरतों की बदहाली आज भी वैसी ही है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, सुनिए साहिर लुधियानवी की नज्म 'औरत'.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा कि बात करें, तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कुल 4,28,278 मामले दर्ज किए गए. इसमें रेप के 31,677 मामले, खुदकुशी से मौत के 23,178 मामले, पति या रिश्तेदारों की हिंसा के 1,36,234 मामले, किडनैपिंग के 75,369 मामले और पॉक्सो एक्ट के तहत केस के 52,836 मामले दर्ज हुए थे.

वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम

कैमरापर्सन: शिव कुमार मौर्य, अतहर राथर, कुलदीप

Published: 25 Nov 2022,01:21 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT