Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मॉब लिंचिग के खिलाफ दिल्ली, लखनऊ समेत देशभर में विरोध प्रदर्शन

मॉब लिंचिग के खिलाफ दिल्ली, लखनऊ समेत देशभर में विरोध प्रदर्शन

मॉब लिंचिंग को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

विक्रांत दुबे & ऐश्वर्या एस अय्यर
वीडियो
Published:
मॉब लिंचिंग को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं
i
मॉब लिंचिंग को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं
(फोटो: क्विंट)

advertisement

वीडियो प्रोड्यूसर: हेरा खान

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

मॉब लिंचिंग को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. झारखंड में हुई लिंचिंग की घटना से लोगों में गुस्सा है.लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर मॉब लिंचिंग की घटनाएं क्यों बढ़ती जा रही हैं.

23 जून को झारखंड में 24 साल के तबरेज अंसारी की मौत के बाद लोगों ने लिंचिंग के खिलाफ 26 जून को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया. लखनऊ में भी लोग घंटाघर के पास एकत्रित हुए. लोग यहां मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए जमा हुए थे.

लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे एक शख्स ने सवाल किया “ इंसान को बेदर्दी से मारा जा रहा है. उससे कहलवाया जा रहा है- ‘जय श्री राम, जय हनुमान’.  क्या श्री राम या हनुमान ये चाहते हैं? प्रदर्शनकारी ने आगे कहा-

कौन सा खुदा, कौन सी ऐसी किताब है, जो ये कह रही है कि डंडे की चोट पर इबादत कराओ. जो भी इबादत होती है, जिस भी धर्म में इबादत होती है, दिल से होती है. ये सरासर ज्यादती हो रही है.   
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

जंतर- मंतर के पास प्रदर्शन कर रहे 76 साल के मनीष मनोज पाकिस्तान के मुल्तान में पैदा हुए थे. विभाजन के वक्त का खून-खराबा उन्होंने बहुत करीब से देखा है. मनोज का कहना है कि उन्होंने अंतरात्मा कि आवाज पर इस प्रदर्शन में भाग लिया है.

हम इंसान हैं और पैदा होने के बाद हम हिंदू और मुस्लिम नहीं होते, हम इंसान होते हैं ऐसे कोई भी किसी भी भगवान को पूज सकता है. इस तरह से नहीं होना चाहिए.  
मनीष मनोज, प्रदर्शनकारी

लखनऊ के एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि “जब गोडसे के आदर्शों को फैलाने वाले निकल रहे हैं तो
ये बहुत जरूरी है कि गांधी के आदर्शों को जिंदा रखने वाले भी आगे आएं. जब मनुस्मृति को संविधान मानने वाले सत्ता के सिरमौर बनकर बैठे हैं तो संविधान को मानने वाले भी बाहर आकर अपनी आवाज को बुलंद करें ताकि संविधान जीवित रहे इसलिए बाहर निकलना बहुत जरूरी है.”

क्विंट के रिकॉर्ड के मुताबिक देश में 2015 से करीब 95 लोग मॉब लिंचिंग के शिकार हुए हैं

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT