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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बीजेपी (BJP) कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता (UCC) की वकालत करते हुए सवाल किया था कि ‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’’ उन्होंने साथ ही कहा कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार की भी बात कही.
इसके बाद विपक्ष हमलावर हो गया, कांग्रेस (Congress) समेत अन्य दलों ने "विभाजनकारी राजनीति" करने का आरोप लगाया है और कहा कि कई मोर्चों पर अपनी सरकार की विफलता से ध्यान हटाने के लिए यूसीसी का सहारा लिया जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि, “यह सभी मौजूदा मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है. मणिपुर 50 दिनों से जल रहा है और पीएम ने एक शब्द भी नहीं बोला. फिर महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी हैं. उन मुद्दों पर भी वह चुप हैं. यह (यूसीसी) केवल सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने का एक प्रयास है... उन्हें इस देश के वास्तविक सवालों का जवाब देना होगा."
आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने कहा कि, “जब आप प्रधानमंत्री को सुनते हैं...कभी-कभी आपको लगता है कि वह अवसरों की तलाश में हैं. बोलने से पहले पीएम को 21वें लॉ कमीशन की रिपोर्ट पढ़नी और अध्ययन करनी चाहिए थी. उन्हें बिना किसी मदद के यह भी अध्ययन करना चाहिए था कि संविधान सभा में क्या चर्चा और विचार-विमर्श हुआ... क्योंकि जो लोग आपकी मदद कर रहे हैं वे आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं...''
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने एक ट्वीट में कहा कि, "लगता है मोदी जी ओबामा की नसीहत को ठीक से समझ नहीं पाए. मोदी जी ये बताइए कि क्या आप 'हिन्दू अविभाजित परिवार' (HUF) को खत्म करेंगे? इसकी वजह से देश को हर साल ₹3064 करोड़ का नुकसान हो रहा है. एक तरफ आप पसमांदा मुसलमानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, और दूसरी तरफ आपके प्यादे उनकी मस्जिदों पर हमला कर रहे हैं, उनका रोजगार छीन रहे हैं, उनके घरों पर बुलडोजर चला रहे हैं, उनकी लिंचिंग के जरिए हत्या कर रहे हैं..."
डीएमके के टीके एस इलांगोवन ने कहा, "यूसीसी को सबसे पहले हिंदू धर्म में लागू किया जाना चाहिए. अनुसूचित जाति या जनजाति या उच्च जाति के लोग, हर किसी को भारत के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. इसलिए उन्हें सबसे पहले हिंदू धर्म में यूसीसी लागू करना होगा. एक वर्ग के लोगों को ही पूजा का अधिकार क्यों हैं और बाकी लोगों मंदिर के गर्भगृह में भी प्रवेश नहीं कर सकते?”
यूसीसी पर पीएम मोदी के बयान के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी देर रात इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई. करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में यूनिफार्म सिविल कोड के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई. इस बैठक में बोर्ड से जुड़े तमाम वकील मौजूद थे.
बोर्ड ने वकीलों और विशेषज्ञों द्वारा उठाए गए बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर एक मसौदा कानून आयोग को सौंपने का फैसला किया है.