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महाराष्ट्र चुनाव में BJP की महायुति के मुस्लिम उम्मीदवारों का क्या हुआ?

अजित पवार गुट की एनसीपी के एक मुस्लिम उम्मीदवार के नाम पर बीजेपी ने कड़ा ऐतराज जताया था.

शादाब मोइज़ी
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<div class="paragraphs"><p>बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था</p></div>
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बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था

(फोटो - क्विंट हिंदी)

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Maharashtra Election Results 2024: क्या बीजेपी ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की तरह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया था? बीजेपी की साथी पार्टी या कहें महायुति से कितने मुसलमान उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे? अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने हैं और इन सवालों के जवाब भी.

पहले तो बता दें कि बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था, हालांकि अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया और उसमें से कई को जीत भी नसीब हुई है.

महाराष्ट्र में महायुति की पार्टियों ने कुल 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था. अजित पवार की एनसीपी से 5 और शिवसेना से एक मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में थे. इन 6 में से एक कैंडिडेट को महायुति का संयुक्त उम्मीदवार नहीं माना गया बल्कि वो सिर्फ एनसीपी के उम्मीदवार थे.

महाराष्ट्र में महायुति ने बंपर जीत हासिल की है और दोबारा सरकार बनाने जा रही है. महायुति को करीब 230 से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं. अब वापस उसी सवाल पर आते हैं कि एनडीए के कितने मुस्लिम उम्मीदवारों की चुनाव में जीत हुई है.

एक मुस्लिम उम्मीदवार के नाम पर बीजेपी-एनसीपी में जब ठन गई थी

डिटेल बताने से पहले ये जान लीजिए कि जब एनसीपी ने मानखुर्द-शिवाजी सीट से पूर्व मंत्री नवाब मलिक की उम्मीदवारी का ऐलान किया था तब बीजेपी ने नाराजगी जाहिर की थी. तब मुंबई बीजेपी अध्यक्ष और विधायक आशीष शेलार ने यहां तक कहा था कि बीजेपी सहयोगी एनसीपी के नवाब मलिक के लिए प्रचार भी नहीं करेगी. तब बीजेपी ने कहा था, "विषय सिर्फ एनसीपी द्वारा नवाब मलिक को उम्मीदवार बनाये जाने का है. हमारा रुख दाऊद और दाऊद के मामले से जुड़े व्यक्ति को बढ़ावा देना नहीं है. हम अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़े किसी व्यक्ति को टिकट देना स्वीकार नहीं करेंगे."

फिलहाल 39 हजार वोटों से नवाब मलिक अपनी सीट हार गए हैं. हारे ही नहीं हैं बल्कि चौथे नंबर पर रहे हैं. यहां समाजवादी पार्टी के अबु आजमी ने जीत दर्ज की है. हालांकि इस सीट पर एक और खास बात देखने को मिली. यहां से एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था. सुरेश (बुलेट) पाटिल को नवाब मलिक से ज्यादा वोट मिले हैं और वो तीसरे नंबर पर हैं.

आइए जानते हैं एनडीए के बाकी मुस्लिम उम्मीदवारों का क्या हुआ?

  • अणुशक्ति नगर सीट- यहां से अजित पवार ने नवाब मलिक की बेटी सना मलिक को टिकट दिया था, सना का मुकाबला NCP (शरद पवार) गुट के फहद अहमद से था, जो अभिनेत्री स्वरा भास्कर के पति हैं. सना मलिक ने करीब 3 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. हालांकि फहद अहमद और स्वरा भास्कर ने यहां ईवीएम को लेकर सवाल उठाए हैं.

  • मुंब्रा विधानसभा सीट- अजित पवार ने नजीब मुल्ला को टिकट दिया था, लेकिन एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता और पूर्व मंत्री जितेंद्र अव्हाण ने चौथी बार यहां से जीत दर्ज की है. नजीब मुल्ला 96228 वोटों से चुनाव हार गए.

  • कागल सीट- एनसीपी अजित गुट ने यहां से मुशरिफ हसन को टिकट दिया था और उन्हें जीत भी हासिल हुई है. मुशरिफ ने NCP (शरद पवार) के घाटगे समरजीत सिंह विक्रम सिंह को मात दी है.

  • बांद्रा ईस्ट विधानसभा सीट- NCP अजित गुट ने पूर्व कांग्रेसी नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी को टिकट दिया था, जीशान पहले इसी सीट से कांग्रेस विधायक थे लेकिन 25 अक्टूबर को वह NCP (अजित गुट) में शामिल हो गए थे. जीशान सिद्दीकी इस सीट से चुनाव हार गए हैं, उन्हें उद्धव ठाकरे गुट के वरुण सतीश सरदेसाई ने करीब 11 हजार वोटों से मात दी है.

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शिवसेना के एक मुस्लिम उम्मीदवार जीते

महायुति में शिवसेना शिंदे गुट ने सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया था. सिलोड विधानसभा सीट से शिंदे गुट के उम्मीदवार अब्दुल सत्तार चुनाव जीत गए हैं, शिवसेना उद्धव गुट के बंकर सुरेश पांडुरंग को उन्होंने 2420 वोटों से हराया है.

सत्तार ने 2009 और 2014 में सिल्लोड विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. हालांकि, बाद में वह अविभाजित शिवसेना में शामिल हो गए और सेना के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी हुए. पार्टी में टूट के बाद वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए और महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री बने, जिसमें बीजेपी और डिप्टी सीएम अजीत पवार की एनसीपी भी शामिल है.

कुल मिलाकर महाराष्ट्र में एनडीए के 6 में से 3 मुस्लिम उम्मीवारों की जीत हुई है.

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