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आम की मिठास पर भारी कोरोना की कड़वाहट,अल्फांसो का एक्सपोर्ट बंद है

कोरोना का सबसे ज्यादा असर इस वक्त महाराष्ट्र पर है,इकनॉमी, एग्रीकल्चर के साथ मेंगो इंडस्ट्री भी इसे लेकर चिंतित है.

रौनक कुकड़े
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(फोटोःtwitter)
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मई का महीना आते-आते देश के तमाम हिस्सों में एक इंतजार शुरु होता है. वो इंतजार है- फलों के राजा आम का. लेकिन इस बार इस इंतजार में एक आशंका भी है. और उस आशंका की वजह है कोरोना की वजह से लगा लॉकडाउन. कोरोना के कहर का सबसे ज्यादा असर इस वक्त महाराष्ट्र पर है,और महाराष्ट्र की आम जिंदगी, इंफ्रास्ट्रक्चर, इकनॉमी, एग्रीकल्चर के साथ मेंगो इंडस्ट्री भी इसे लेकर चिंतित है.

यूं तो आम की कई किस्म बाजार में आती हैं लेकिन महाराष्ट्र के कोकण इलाके के अलफांसो आम की बात जरा कुछ और है. ना सिर्फ देश में बल्कि विदेश तक अल्फांसो भारी डिमांड में रहता है.

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एक्सपोर्ट पर असर

भारत में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट अल्फांसो यानी हापुस आम का होता है अल्फांसो मार्च में तैयार होता है अप्रैल और मई के महीने में बाज़ार में आ जाता है. जानकारी के मुताबिक दुबई, सिंगापुर और यूरोप के कई देशों में हर साल ये आम निर्यात किया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से एक भी export का सौदा नहीं हो सका है

हालांकि कोरोना वायरस की वजह से निर्यात भले ही ना हो पा रहा हो लेकिन राहत की बात है कि देश के भीतर इसकी स्प्लाई हो पा रही है. आइये समझते हैं कैसे-

अप्रैल और मई के दो महीनों में आम की डिमांड अच्छी खासी होती है. आम के पकने के दौरान ही लॉकडाउन की घोषणा से आम उत्पादक किसान की चिंता जरूर बढ़ी हुई थी. लेकिन तसल्ली इस बात की है कि इस बार प्रोडक्शन के मुकाबले आम की डिमांड ज्यादा है. जिसकी वजह से किसानों का माल बिकने में कोई परेशानी नहीं आ रही है.

किसानों के मुताबिक ,खास तौर पर प्राईवेट सोसाइटी हाउसिंग कॉम्प्लेक्स से ज्यादा डिमांड आ रही है और रेट भी 1200 से 1500 रूपये प्रति पेटी के हिसाब से मिल रहा है.

मुंबई की वाशी मंडी में भी आम का अच्छा-खासा ट्रांसपोर्ट हो रहा है. इस मंडी से माल देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता है. हालांकि कुछ दिन वाशी मंडी बंद होने का असर स्पलाई पर पड़ा था लेकिन कुछ स्थानीय नेताओं की मदद से सिंधदुर्ग और रत्नागिरी के आम उत्पादक अपना माल बिग बाज़ार और मेरा किसान शॉप्स को सप्लाई कर रहे हैं.

बिग बाजार के जरिये आम की स्पलाई मुंबई, पुणे,कोल्हापुर, गोवा, बंगलुरू तक हो रही है. महाराष्ट्र में लगभग 12 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है. सिधदुर्ग के आम उत्पादक अमोल तेली ने द क्विंट को बताया कि बिग बाजार हर दो दिन बाद आम की ख़रीद किसानों से कर रहा है. अमोल अब तक 25 टन माल बिग बाजार और मेरा किसान शॉप को बेच चुके हैं.

कोकण रेलवे ने किया निराश?

कोकण रेलवे ने संकट के इस दौर मे किसानों की मदद के बजाए अब तक उन्हें निराश ही किया है. रेलवे विभाग ने केवल 40 पेटी आम की सप्लाई महाराष्ट्र के रत्नागिरी से बेंगलुरु तक की है.हालांकि, इंडियन पोस्ट विभाग मेंगो एसोसिएशन के साथ हाथ मिलाकर आम की स्पलाई को बढ़ाने की कोशिश की है लेकिन लेकिन कोरोना की कड़वाहट आम की मिठास से दूर हो सके इसके लिए किसानों को लॉकडाउन की पाबंदियां हटने का इंतजार है.

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