Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Kashmir में तीन दशक के बाद खुले थियेटर, क्या कहते हैं कश्मीर के फिल्म मेकर्स

Kashmir में तीन दशक के बाद खुले थियेटर, क्या कहते हैं कश्मीर के फिल्म मेकर्स

Kashmir Multiplex खुलने से कश्मीर के आर्टिस्ट और फिल्ममेकर काफी उत्साहित हैं.

स्मिता चंद
वीडियो
Published:
<div class="paragraphs"><p>(कश्मीर में खुले थियेटर)</p></div>
i

(कश्मीर में खुले थियेटर)

null

advertisement

कश्मीर (Jammu-Kashmir) में करीब तीन दशक के बाद सिनेमा हॉल खुल गए हैं. एक दौर था जब बॉलीवुड का फेवरेट लोकेशन होता था कश्मीर. राजकपूर से लेकर रणबीर कपूर तक हर बॉलीवुड स्टार ने यहां की खूबसूरत वादियों में फिल्मों की शूटिंग की, लेकिन कश्मीर में ये फिल्में दिखाने के लिए थियेटर तक नहीं थे, आतंक के साए में कश्मीर में हालात ऐसे बिगड़े की यहां के सिनेमा हॉल विरान हो गए, लेकिन एक बार फिर करीब 30 सालों के बाद यहां के थियेटर गुलजार होंगे.

सिनेमा हॉल खुलने से कश्मीर के आर्टिस्ट और फिल्ममेकर काफी उत्साहित हैं, अब तक उन लोगों को यही परेशानी रहती थी कि वो अपनी फिल्में दिखाए कहां.

कश्मीर के आर्टिस्टों के लिए बहुत खुशी की बात है कि करीब 33 सालों के बाद यहां थियेटर खुला है. यही नहीं यहां के युवा थियेटर खुलने से काफी खुश है, जिन्हें फिल्में देखना पसंद है. यूथ की बड़ी तादाद इस फैसले से बेहद उत्साहित है.

मुस्ताक बताते हैं कि 80 के दशक में बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग यहां हुआ करती थी, डल लेक, मुगल गार्डन फिल्ममेकर्स की पसंदीदा जगह हुआ करती थी, जहां गानों की शूटिंग हुआ करती थी, लोग खुद लोकेशन पर जाकर शूटिंग देखा करते थे, शूटिंग देखने के लिए युवा कॉलेज बंक करते थे. अब थियेटर खुलने से एक बार फिर यहां फिल्मी माहौल बनेगा.

अब कश्मीर में फर फिल्में शूट होगी और यहां के टेक्नीशियंस को कलाकारों को काम करने का मौका मिलेगा. कश्मीर में ऐसे सैकड़ों नौजवान हैं, जिन्होंने सिनेमा हॉल में फिल्में नहीं देखीं उनके लिए नया अनुभव होगा.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कश्मीर के मशहूर एक्टर, डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर गुल रियाज 2 दशक से कश्मीर की कला संस्कृति अपने सीरियल और शॉर्ट फिल्म के जरिए लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. कश्मीर में दूरदर्शन के सीरियल्स में उन्होंने लीड रोल भी किए हैं. गुल रियाज कहते हैं कि कश्मीर में थियेटर खुलने से यहां के रिजनल सिनेमा के लिए बेहद फायदेमंद होगा.

हमारी फिल्मों के लिए यहां के थिएटर में स्लॉट मिलेगा तो हमें भी फायदा होगा.अभी हम लोग अपना पैसा लगाकर फिल्में बनाते हैं, लेकिन उसे दिखाने का मौका नहीं मिलता. हमारी फिल्मों को फेस्टिवल में भेजा जाता है, कई फिल्मों को अवॉर्ड भी मिलता है, लेकिन लोगों को दिखाए कहां. अगर हमें कश्मीर के थियेटर में दिखाने का मौका मिलेगा तो रिजनल सिनेमा भी आगे बढ़ेगा. हमारी अपील है कि हमें भी फिल्में दिखाने के लिए यहां स्लॉट मिले.

गुल कहते हैं कि अगर हमारी फिल्में यहां चलेगी तो आगे भी अच्छा करेंगी.

90 के दशक में आतंकवाद ने कश्मीर को चपेट में लिया और यहां के सभी सिनेमाहॉल बंद हो गए. ऐसे में यहां के फिल्म मेकर्स के सामने ये मुश्किल खड़ी हो गई कि फिल्में बनाने के बाद आखिर उसे दिखाएंगे कहां?  यहां के कई फिल्म मेकर्स अपने पैसे लगाकर शौक के लिए फिल्में और डाक्यूमेंट्री बनाते हैं. लेकिन उनको दिखाने का मौका नहीं मिलता.

कश्मीर घाटी में कब खुला था पहला सिनेमा हॉल?

1932 में जब कश्मीर में राजा हरिसिंह राजा हुआ करते थे, उस दौर में कश्मीर के लालचौक में कश्मीर टॉकीज नाम का एक सिनेमा हॉल खोला गया.1947 में जब देश आजाद हुआ तब इस सिनेमा हॉल को कश्मीरी नेशलिस्ट पार्टी का हेडक्वॉर्डर बना दिया गया.

1964 में लाल चौक से थोड़ी दूरी पर सिराज नाम का एक सिनेमा हॉल खोला गया. जहां पर पहली रिलीज होने वाली पहली फिल्म राज कपूर की 'संगम' थी. धीरे-धीरे लोगों की फिल्मों के प्रति दीवानगी बढ़ी तो कई सिनेमा हॉल खुलने लगे.

श्रीनगर में ही करीब 9 थिएटर खुल गए, लेकिन 90 के दशक में कश्मीर में आतंक का राज आया तो तो धीरे-धीरे माहौल बिगड़ने लगा. यहां तक कि सिनेमा हॉल को बंद करने की धमकियां दी जाने लगीं, तो थियेटर बंद करने पड़े.

रीगल सिनेमा ब्लास्ट में एक शख्स की हुई थी मौत

1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने दोबारा सिनेमा हॉल खोलने की पहल की, रीगल सिनेमा में अनिल कपूर की फिल्म 'हम आपके दिल में रहते हैं' रिलीज की गई. लेकिन फिल्म के पहले ही शो के दौरान आतंकी हमला हुआ और एक शख्स की जान चली और कई लोग घायल हो गए, जिसके बाद फिर घाटी में थियेटर बंद करने पड़े.

वक्त गुजरता गया और यहां के थियेटर खंडहरों में तब्दील होते गए, यहां तक कि कुछ एक जरूरत के हिसाब से थियेटर में CRPF ने अपनी चौकी भी बना ली. लगातार 30 सालों तक दोबारा यहां सिनेमा हॉल नहीं खोले गए, यहां के लोग फिल्में देखने का अपना शौक पूरा करने के लिए वीसीआर और डीवीडी का सहारा लेते.

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT