भाषा जिंदा रहने के लिए रोज की खुराक है: गुलजार

लव योर भाषा- क्विंट हिंदी और गूगल के साथ मनाइए इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं का जश्न

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जिंदा रहने के लिए खुराक है भाषा: गुलजार
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जिंदा रहने के लिए खुराक है भाषा: गुलजार
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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देश में भारतीय भाषाओं को लेकर लगातार क्रेज बढ़ रहा है. इंटरनेट में अंग्रेजी का दबदबा घटता जा रहा है और भारतीय भाषाएं जैसे हिंदी, मराठी, गुजराती, तमिल और तेलुगू अब आगे निकल रही हैं.

बॉलीवुड के जाने माने डायरेक्‍टर, लेखक और गीतकार गुलजार के मुताबिक जिंदा रहने के लिए खुराक होती है भाषा.
अपनी मातृभाषा में बोलना और सुनना जिंदा रहने के लिए जरूरी है
गुलजार, मशहूर लेखक और गीतकार

Published: 14 Sep 2018,11:37 AM IST

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