दिल्ली के जैतपुर का फैसला- AAP या NOTA

दिल्ली में ‘ओ-जोन’ के अंतर्गत आती हैं करीब 70 कॉलोनियां

Akanksha Kumar, Arpita Raj & Vikram Venkateswaran
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2008 में ‘ओ-जोन’ घोषित किए जाने के बाद से जैतपुर में निर्माण कार्य प्रतिबंधित है
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2008 में ‘ओ-जोन’ घोषित किए जाने के बाद से जैतपुर में निर्माण कार्य प्रतिबंधित है
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

कैमरापर्सन: आकांक्षा कुमार

“पानी की कमी है. कैन खरीदते हैं जिसकी कीमत 15 रुपये पड़ती है" दक्षिण दिल्ली के जैतपुर एक्सटेंशन की रहने वाली रीना कहती हैं.

करीब 60 साल की रीना पिछले 20 सालों से इस इलाके में रह रही हैं और वो बताती हैं कि उन्हें यहां बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है. वो बताती हैं कि बाकी इलाकों की तरह यहां रहने वाले लोगों को सुविधा से वंचित इसलिए रहना पड़ रहा है क्योंकि ये डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) के मुताबिक एक 'अवैध कॉलोनी' है.

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राजधानी में बसी 70 कॉलोनियों में से एक जैतपुर का ये इलाका यमुना नदी के पास 60 के दशक में बसा था.

2008 में डीडीए ने इस क्षेत्र को ‘ओ-जोन’ के तहत चिन्हित किया था और निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि इसे एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है.

लेकिन लोगों का मानना है कि ये क्षेत्र नदी के 300 मीटर के अंदर भी नहीं आता. ‘ओ-जोन’ के तहत चिन्हित होने की वजह से यहां एक अधूरी स्कूल की इमारत अब तक पूरी नहीं हो पाई है, जिसकी नींव 2012 में रखी गई थी. 8 साल बाद भी कार्य प्रगति पर है. यहां 100 बेड का अस्पताल है लेकिन इसके लिए दी गई जमीन कचरा डालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

लोगों को भ्रष्टाचार का सामना भी करना पड़ रहा है. इस बारे में निवासी सलीम सैफी बताते हैं-

“अगर कोई कहीं भी एक घर का निर्माण कर रहा है, एमसीडी कार्रवाई करने आ जाती है और रिश्वत की मांग करती है. अगर उनकी मांगें पूरी होती हैं, तो ठीक है, नहीं तो अगर कोई गरीब व्यक्ति उनकी मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं होता, तो उसके घर को ध्वस्त कर दिया जाता है.”
सलीम सैफी, इंटीरियर डेकोरेटर  

‘ओ-जोन’ टैग हटाने के लिए कई प्रदर्शन हो चुके हैं.

2019 में संसद ने 1700 से ज्यादा कॉलोनियों को नियमित करने के लिए कानून पास किया लेकिन इसमें ‘ओ-जोन’ कॉलोनियां शामिल नहीं हैं.

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में BJP कॉलोनियों को नियमित करने की बात कर रही हैं वहीं AAP को अपने काम पर भरोसा है. रीना और कॉलोनी के कई निवासी कहते हैं कि जो पार्टी इनकी समस्याओं का निपटारा करेगी वो उस पार्टी का साथ देंगे, नहीं तो वो NOTA का इस्तेमाल करेंगे.

क्या कोई पार्टी इनकी बात सुनेगी? देखिए पूरी वीडियो रिपोर्ट.

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