मी लॉर्ड, चिदंबरम केस में ‘ये’ कौन घुस आया?

15 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी

Radhika Chitkara & Vikas Kumar
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15 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी
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15 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी
(फाइल फोटो: PTI)

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देश के नए चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने 18 नवंबर को पद की शपथ ली. CJI बनने के बाद शायद अपने पहले फैसले में जस्टिस बोबडे में माना कि सुप्रीम कोर्ट एक काफी हटके अपील सुनने वाला है. ये अपील 19 या 20 नवंबर को सुनी जा सकती है.

अपील असल में पी चिदंबरम की है जो उन्होंने 15 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट से अपनी जमानत याचिका खारिज होने के बाद दायर की थी. INX मीडिया केस के ED मामले में हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी.

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अपील हटके क्यों है?

इसके लिए जानना होगा कि हाई कोर्ट ने क्या कहा था. याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि पी चिदंबरम के खिलाफ INX मीडिया केस में आरोप काफी गंभीर हैं और अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो 'लोग क्या कहेंगे, समाज में क्या संदेश जाएगा.' हाई कोर्ट ने बताया था कि जमानत देने के तीन आधार होते हैं. पहला कि आरोपी देश से भाग न जाए, दूसरा वो गवाहों या सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करें. कोर्ट के मुताबिक, इन दोनों आधारों पर कोई दिक्कत नहीं, लेकिन तीसरा आधार कि आरोपी के खिलाफ 'prima facie' आरोप गंभीर न हो. हाई कोर्ट ने तीसरे वाले आधार को ही ध्यान में रखकर चिदंबरम को जमानत नहीं दी.

दिल्ली हाई कोर्ट का ये कहना कि जमानत की कंडीशन है लेकिन 'समाज क्या कहेगा' ही काफी विवादास्पद था.

अब पता चला है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जिन जस्टिस ने फैसला लिखा था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने 'रोहित टंडन फैसले' से तथ्य और लाइनें 'कॉपी-पेस्ट' कर दिया था. जो तथ्य उठाए गए थे उनका चिदंबरम के केस से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था. इससे लगता है कि जब जज ने फैसला लिखा तो उनका ध्यान वहां नहीं था और ये अपील करने का एक आधार होता है. पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट में इसी आधार पर अपील करने का मौका मिल गया है.

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