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बिहार: मुश्किल दौर से गुजर रहा लहठी उद्योग, चुनाव लौटा पाएगा चमक?

जिला प्रशासन से लेकर बैंक तक की बेरुखी, GST, नोटबंदी ने कमर तोड़ी

शादाब मोइज़ी
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 दरभंगा का लहठी  उद्योग अब मुश्किल दौर से गुजर रहा है.  
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दरभंगा का लहठी उद्योग अब मुश्किल दौर से गुजर रहा है.  
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

लहठी शादी, पूजा, त्योहार जैसे खास मौकों पर पहना जाता है. बिहार के दरभंगा जिले के लहेरियसराय की लहठी देशभर में अपनी चमक बिखेर चुका है. लेकिन ये उद्योग अब मुश्किल दौर से गुजर रहा है.

ये कॉटेज इंडस्ट्री महिलाओं-पुरुष दोनों को रोजगार देता है. खास ‘लेहरी’ समुदाय के लोग इसे परंपरागत रोजगार मानते हैं और इससे जुड़े हुए हैं. वे अपने घरों में हाथों से लहठी बनाते हैं, लेकिन सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं हैं.

चुनावी कवरेज के दौरान क्विंट ने लहेरियसराय में इस काम से जुड़े लोगों से बात की. लहठी कारीगरों का कहना है कि उनके लिए इस परंपरागत बिजनेस को बड़ा बनाने और इसकी पहचान मजबूत करने के लिए बैंक से लोन लेना भी मुश्किल का काम है.

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लहठी उद्योग में लगे कारोबारी-कारीगर जिला प्रशासन से लेकर बैंक तक की बेरुखी से नाराज हैं. साथ ही राज्य सरकार की ओर से किसी तरह की मदद नहीं मिलने की शिकायत भी है.

GST और नोटबंदी ने परेशानी बढ़ा दी है. लहठी बनाने वाले संजय कुमार शाह कहते हैं,

जीएसटी और नोटबंदी के नुकसान से हम लोग नहीं उबर पाए हैं. जीएसटी के बाद हर सामान महंगा हो गया है और बिक्री कम. छोटे उद्योग को सरकार बर्बाद करना चाहती है ताकि बड़ा व्यापारी राज कर सकें.

क्या 2019 का चुनाव इस उद्योग की चमक-खनक लौटा पाएगा?

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