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"हम खामोशी से गए. नमाज अदा की और लौट आए. हमने बाजू पर काली पट्टी बांधी थी क्योंकि पर्सनल लॉ बोर्ड ने आह्वान किया था. अब पुलिस ने हमें नोटिस थमा दिया. 2-2 लाख रुपए का बॉन्ड भी भरना है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि हमने ऐसी कौन सी गलती कर दी. हम तो शांति से वक्फ बिल के खिलाफ अपना विरोध जता रहे थे."
ये कहना है मुजफ्फरनगर के सरवट के रहने वाले मौलाना शिबली का. इनकी तरह ही 300 से अधिक मुसलमानों को मुजफ्फरनगर के सिटी मजिस्ट्रेट ने नोटिस जारी किया, जिसमें लिखा है जुमे की नमाज के दौरान बाजुओं पर काली पट्टी बांधकर वक्फ बिल का विरोध किया. ये लोग शांति व्यवस्था भंग करा सकते हैं. 2 लाख रुपए का मुचलका पाबंद (बॉन्ड) भी किया गया है. मुजफ्फरनगर के अलावा लखनऊ में भी कुछ लोगों को ऐसे नोटिस जारी किए गए.
पहले जान लें नोटिस में क्या लिखा है?
नोटिस BNSS के सेक्शन 126, 130 के तहत जारी की गई है. लिखा है सरकार बनाम मौलाना शिबली आदि. इसमें मौलाना शिबली सहित 5 लोगों के नाम लिखे हैं. नोटिस के मुताबिक,
नोटिस में नीचे लिखा है 16 अप्रैल को नगर मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित होकर कारण बताएं कि एक साल तक शांति बनाए रखने के लिए 2 लाख रुपए का एक बॉन्ड क्यों न भरवाया जाए.
यही नोटिस जारी किया गया है
एक अन्य नोटिस में लिखा है कि सूचीबद्ध लोग दबंग, झगड़ालू और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं, जो वक्फ बिल को लेकर गलत धारणा फैलाकर भोले-भाले लोगों को भटका सकते हैं और शांति भंग कर सकते हैं."
इस नोटिस में लताफत सिद्दीकी, मौलाना मुकर्रम, सुहैल, सावेज और याक़ूब प्रधान के नाम दर्ज हैं. द क्विंट ने ऐसे लोगों से बात की जिन्हें नोटिस जारी किया गया है.
एक अन्य नोटिस की तस्वीर
नोटिस मिलने पर मौलाना शिबली ने द क्विंट से कहा, "हमने वक्फ बिल के विरोध में बाजू पर काली पट्टी बांधी थी, क्योंकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से ऐसा करने का आह्वान किया गया था. अब हम 16 अप्रैल को कोर्ट में जाकर अपनी बात रखेंगे. हमने कोई अपराध नहीं किया है."
तस्वीर में लेफ्ट में दिख रहे मौलाना शिबली हैं और उनके बगल में फखरुद्दीन हैं.
"मेरे ऊपर कोई केस नहीं, फिर ऐसा नोटिस क्यों?"
फखरुद्दीन वार्ड मेंबर है. उन्हें भी प्रशासन ने नोटिस जारी किया है. उन्होंने बताया,
जमीयत उलेमा ए हिंद के जिला अध्यक्ष मौलाना मुकर्रम कासमी को भी नोटिस मिला है. उन्होंने कहा, "प्रशासन चाहता है कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर कोई धरना या विरोध प्रदर्शन न हो, इसलिए डरा-धमका कर नोटिस दिए जा रहे हैं. धरना-प्रदर्शन करना तो संवैधानिक अधिकार है, लेकिन यहां तो प्रदर्शन हुआ ही नहीं, फिर भी लोगों को नोटिस दिए जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा,
जमीयत उलेमा ए हिंद के जिला अध्यक्ष मौलाना मुकर्रम कासमी हैं
"मैं तो शहर में था ही नहीं, फिर भी नोटिस मिला"
सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के अफजाल को भी नोटिस मिला है, जबकि उनका दावा है कि उस दिन वो शहर में मौजूद ही नहीं थे. अफजाल ने द क्विंट को बताया,
ऐसा ही एक और केस है. गुड्डू नाम के शख्स को भी नोटिस जारी किया गया है. जबकि मौलाना शिबली का दावा है कि वो इस समय दिल्ली में काम करता है और वहीं रहता है. द क्विंट गुड्डू से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है बात होने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा.
नोटिस में शांतिभंग करने की संभावना से जुड़े आरोपों पर सवाल तो उठ ही रहे हैं. साथ ही ये भी पूछा जा रहा है कि किस आधार पर पुलिस-प्रशासन ने 300 लोगों की पहचान की. क्योंकि कुछ लोगों का दावा है कि वह वो उस दिन शहर में थे ही नहीं.
इस संबंध में द क्विंट ने मुजफ्फरनगर के सिटी एसपी सत्यनारायण प्रजापत से बात की. उन्होंने बताया,
लखनऊ पुलिस ने समाजवादी पार्टी की नेता सुमैया राणा और सोशल एक्टिविस्ट उजमा परवीन को 10 लाख रुपये के बॉन्ड और इतनी ही राशि के दो जमानतदार देने का नोटिस जारी किया है. सुमैया राणा को जारी गए नोटिस में कहा गया है कि वह शांति भंग कर सकती हैं या शांति भंग करने वाला कोई दोषपूर्ण कार्य कर सकती हैं. नोटिस में लिखा है,
सुमैया राणा ने वीडियो जारी कर कहा, "यह सरकार और पुलिस की तानाशाही है. मैं अदालत में अपील करूंगी और हर गलत कदम के खिलाफ आवाज उठाऊंगी."
उजमा परवीन ने सोशल मीडिया पर नोटिस पोस्ट करते हुए लिखा, "मेरा कुसूर सिर्फ इतना है मैंने वक्फ संसोधन बिल और ज़ुल्म के खिलाफ आवाज उठाई. इसलिए मुझे नोटिस थमाया गया वाह रे इंसाफ!"
(इनपुट- अमित कुमार सैनी)
Published: 08 Apr 2025,12:54 PM IST