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Revanth Reddy: ABVP से राजनीति की शुरुआत, TDP से विधायक, कांग्रेस से MP के बाद अब CM

Revanth Reddy: सबसे पहले ये मुद्दा AIMIM प्रमुख ओवैसी ने विधानसभा चुनाव के दैरान उठाया था, जब उन्होंने कहा था कि रेवंत भले ही कांग्रेसी हैं, लेकिन उनकी विचारधारा RSS वाली है.

Upendra Kumar
राजनीति
Published:
<div class="paragraphs"><p>Revanth Reddy को क्यों कहा जा रहा कांग्रेस का 'BJP मुख्यमंत्री'?</p></div>
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Revanth Reddy को क्यों कहा जा रहा कांग्रेस का 'BJP मुख्यमंत्री'?

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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तेलंगाना का ताज पहनने वाले रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) के बारे में सोशल मीडिया पर कांग्रेस का 'बीजेपी मुख्यमंत्री' कहकर खूब सवाल उठाए जा रहे हैं. सबसे पहले ये मुद्दा AIMIM प्रमुख ओवैसी ने विधानसभा चुनाव के दैरान उठाया था, जब उन्होंने कहा था कि रेवंत भले ही कांग्रेसी हैं, लेकिन उनकी विचारधारा RSS वाली है. इसके बाद से सोशल मीडिया पर इसको लेकर खूब बहस होने लगी.

ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर ये मुद्दा उठा कैसे? क्या वास्तव में उनके बीजेपी से संबंध हैं या ऐसे ही हवा-हवाई कहा जा रहा है. लेकिन, इसे जानने से पहले रेवंत रेड्डी के बार में जान लेते हैं...

रेवंत रेड्डी, तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं. उनका जन्म आंध्र प्रदेश के महबूबनगर जिले में साल 1969 में हुआ था. उन्होंने छात्र जीवन में ही राजनीति में कदम रखा था. उस्मानिया विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने वाले रेड्डी उस समय ABVP से जुड़े हुए थे. ABVP बीजेपी की छात्र संगठन इकाई है, इसी को लेकर रेड्डी का नाम बीजेपी के साथ जोड़ा जा रहा है. हालांकि, बाद में वो चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए.

TDP के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने साल 2009 में आंध्र प्रदेश की कोडांगल विधानसभा सीट से चुनाव भी जीता था लेकिन, आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद महबूबनगर जिला तेलंगाना का हिस्सा हो गया. इसके बाद साल 2014 में रेवंत तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता के रूप में चुने गए.

इसको लेकर भी रेवंत पर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में जब आंध्र प्रदेश में सरकार थी, उस वक्त वो NDA के हिस्सा थे. हालांकि, साल 2015 के दौरान उन्हें वोट के बदले कैश के मामले में जेल में भेज दिया गया.

उस वक्त तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR थे. कहा जाता है कि इस पूरे मामले पर चंद्रबाबू नायडू ने कोई अप्रोच नहीं किया. जिसके बाद रेवंत और चंद्रबाबू नायडू के बीच दूरियां बढ़ती गईं. दोनों के बीच मतभेद इतने बढ़ गए थे कि उनकी बात तक नहीं होती थी. इसी दौरान चंद्रबाबू नायडू ने घोषणा कर दी कि उनकी पार्टी तेलंगाना में साल 2018 में होने वाला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी.

2017 में कांग्रेस में शामिल, 18 में चुनाव हारे

इसके बाद, साल 2017 में रेवंत रेड्डी कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि, कांग्रेस में जाना उनके लिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में वो टीआरएस उम्मीदवार से हार गए.

इसके बावजदू कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताते हुए साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से टिकट दिया और उन्होंने वो सीट जीतकर कांग्रेस की झोली में डाली.

राहुल और प्रियंका से नजदीकी बढ़ी तो साल 2021 में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देकर तेलंगाना की कमान सौंपी गई. उत्तम रेड्डी को हटाकर उन्हें तेलंगाना कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. अध्यक्ष पद संभालने के बाद उन्होंने कांग्रेस संगठन को मजबूत किया और साल 2023 के विधानसभा चुनाव में नतीजे सबके सामने हैं.

तेलंगाना कांग्रेस के 'टॉर्च बियरर'

पिछले 9 साल से सत्ता पर काबिज BRS को विपक्ष में बैठने पर मजबूर कर दिया. और तेलंगाना का ताज खुद के सिर पर सजा लिया. रेवंत को टॉर्च बियरर भी बताया जाता है, यानी जो मशाल लेकर आगे चलता है. ऐसे में आने वाला वक्त ही बताएगा कि रेवंत रेड्डी कांग्रेस के लिए भविष्य में कितने टॉर्च बियरर साबित होते हैं?

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