Members Only
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बोलने वाली ऋचा सिंह को निकाल SP क्या संदेश दे रही?

स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बोलने वाली ऋचा सिंह को निकाल SP क्या संदेश दे रही?

Samajwadi Party expelled Richa Singh: समाजवादी पार्टी 85 फीसदी की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार?

Upendra Kumar
राजनीति
Published:
<div class="paragraphs"><p>स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बोलने वाली ऋचा सिंह को निकाल SP क्या संदेश दे रही?</p></div>
i

स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बोलने वाली ऋचा सिंह को निकाल SP क्या संदेश दे रही?

(फोटोः क्विंट हिंदी)

advertisement

समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह और पार्टी की नेता रोली तिवारी को अनुशासनहिनता के आरोप में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. जानकारों का मानना है कि पार्टी ने दोनों नेताओं पर कार्रवाई कर भविष्य की राजनीति के लिए नया संदेश दिया है. ऐसे में सवाल है कि क्या समाजवादी पार्टी अब खुलकर 85 फीसदी जनता की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो गई है या इन नेताओं पर कार्रवाई की वजह कुछ और है?

समाजवादी पार्टी से निष्कासन पर ऋचा सिंह ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि "पार्टी ने निष्कासन तो कर दिया है, लेकिन इसकी वजह नहीं बताई है कि मैंने क्या अनुशासनहिनता की है. मुझे किसी भी प्रकार का पत्र तक नहीं मिला है. मैंने पार्टी में 10 साल सेवा दी. कई मुकदमे झेल रही हूं और मुझे बिना किसी करण पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. समाजवाद की बात करने वाली पार्टी में अब लोकतंत्र कहां है. कोई भी पार्टी अपने नेता को निकालने से पहले नोटिस भेजती है, उसका पक्ष मांगती है, लेकिन मेरे संबंध में सीधे ट्वीट कर बता दिया गया कि मुझे पार्टी से निकाल दिया गया है."

"क्या मुझे स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बोलने की सजा दी गई है, जो रामचरितमानस के खिलाफ लगातार बोल रहे हैं. समाजवादी पार्टी के संविधान में है कि आप किसी धर्म को लेकर टार्गेट नहीं कर सकते. सभी धर्मों को सम्मान करना है. क्या स्वामी प्रसाद मौर्य ये कर रहे हैं? उनको निकालने के बजाय मुझे ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. फिलहाल, मैं किसी भी पार्टी में जाने वाली नहीं हूं ना कोई पार्टी ज्वाइन करूंगी. मैं यहीं रहकर अपनी लड़ाई लड़ूंगी. मैंने अपने दम पर अपनी लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ती रहूंगी."
ऋचा सिंह, पूर्व एसपी नेता

दोनों नेताओं के निष्कासन पर समाजवादी पार्टी ने क्या कहा?

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनिल सिंह यादव ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि...

"दोनों नेताओं ने पार्टी के संविधान में विश्वास नहीं दिखाया. वो लगातार पार्टी के विचारों पर आघात करते रहे. अगर उन्हें किसी बात या किसी व्यक्ति से दिक्कत थी, तो पार्टी फोरम पर अपनी बात रखते. ऋचा सिंह को पार्टी ने बहुत कुछ दिया, लेकिन उन्होंने पार्टी का सम्मान नहीं किया. वो लगातार पार्टी के खिलाफ ही ट्वीट करती रहीं. यही हाल रोली तिवारी का भी था. वो भी पार्टी से इतर जाकर पार्टी के खिलाफ सोशल मीडिया पर बात करती रहीं. लिहाजा, पार्टी ने उनपर अनुशासनहिनता में कार्रवाई की और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया."
सुनिल सिंह यादव, एसपी प्रवक्ता
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऋचा सिंह पर कार्रवाई अनुशासनहिनता या कुछ और?

जानकारों का कहना है कि ऋचा सिंह पर कार्रवाई सिर्फ अनुशासनहिनता के लिए ही नहीं हुई बल्कि स्वामी प्रसाद मौर्य पर लगातार हमले की वजह से की गई है. ये पहली बार नहीं है, जब ऋचा सिंह ने पार्टी की लाइन के खिलाफ जाकर बोला हो. वो पिछले कई महीनों से पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बोल रहीं थीं, तब तो पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन जब वो स्वामी प्रसाद मौर्य को टार्गेट कर बोलने लगीं तो उन्हें तुरंत पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

क्या एसपी में स्वामी प्रसाद मौर्य का कद बढ़ गया है?

जानकारों का मानना है कि अब पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्य का कद ज्यादा बढ़ गया है. हालांकि, पार्टी पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य को एक एसेट के रूप में लेकर आई थी, लेकिन वो ज्यादा कमाल नहीं दिखा सके. लेकिन, अब पार्टी स्वामी प्रसाद को तवज्जो देकर पिछड़ों को बताना चाहती है कि हम आपके हकों को लड़ने के लिए आपके नेताओं के साथ हैं. अभी पिछले दिनों ही स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया जो बताता है कि मौर्य पार्टी में कितनी बड़ी ताकत रखते हैं.

समाजवादी पार्टी की आगे की राह क्या?

पिछले 4-5 चुनावों से लगातार मिल रही हार से पार्टी ने ये सीख ली है कि अगर बीजेपी से लड़ना है तो पिछड़ों की आवाज बनना होगा. समाजवादी पार्टी को समाजिक न्याय का मुद्दा ही आगे बढ़ा सकता है. जानकारों का मानना है कि अब अखिलेश यादव पूरी तरह से 85 फीसदी हिस्से की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो गए हैं. इसके लिए उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को आगे भी कर दिया है. अब एसपी पिछड़े-दलित और आदिवासियों को बताने में लग गई है कि वो उनके हकों को लड़ने के लिए तैयार है. इसके पीछे की वजह बीजेपी से पिछड़ों की नाराजगी है.

पिछड़ों में बीजेपी के खिलाफ नाराजगी का असर चुनावी राजनीति में भी देखने को मिला है. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य विधानसभा चुनावों 2022 में हार गये. केशव बीजेपी का ओबीसी चेहरा माने जाते हैं. इसके अलावा उप-चुनावों में "जाट बाहुल्य" खतौली विधानसभा सीट पर भी बीजेपी उम्मीदवार राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार से हार गये.

इधर कुछ समय से देखा गया है कि ओबीसी में बीजेपी को लेकर नाराजगी है. इसके कई कारण हैं जैसे निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताये गये अनिवार्य "ट्रिपल टेस्ट" को अनदेखा करने का प्रयास करना है. जिससे बीजेपी के खिलाफ एक माहौल बना है कि वो पिछड़ों के हितों की रक्षा करने में असफल है और आरक्षण को खत्म करना चाहती है. अब इसी खाली जगह को भरने के लिए समाजवादी पार्टी ने तैयारी कर ली है.

Become a Member to unlock
  • Access to all paywalled content on site
  • Ad-free experience across The Quint
  • Early previews of our Special Projects
Continue

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT