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Rampur में कैसे ढहा आजम का किला? कम वोट,धांधली के आरोप, 2017 से ही लिखी गई पटकथा

Rampur Byelections : मतदान से लेकर मतगणना तक समाजवादी पार्टी ने लगाए गड़बड़ी के आरोप

पियूष राय
राजनीति
Published:
<div class="paragraphs"><p>Rampur Election Result: बीजेपी ने कैसे कब्जा किया "आजम" का "गढ़"</p></div>
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Rampur Election Result: बीजेपी ने कैसे कब्जा किया "आजम" का "गढ़"

(फोटो- क्विंट)

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रामपुर में समाजवादी पार्टी और आजम खान (Azam Khan) के वर्चस्व को खत्म करने का संकल्प जो बीजेपी ने लिया है उसमें एक आहुति 8 दिसंबर को और दी गई. आजम खान को हेट स्पीच मामले में सजा सुनाए जाने के बाद रामपुर सदर सीट से खत्म हुई विधानसभा सदस्यता के बाद इस सीट पर उपचुनाव (Rampur Bypolls)  का ऐलान हुआ था. जिस सीट पर 50% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता है और जहां आजम खां की तूती बोलती है, उस सीट पर बीजेपी ने कैसे कब्जा किया?

इसकी पटकथा इस चुनाव में नहीं लिखी गई थी. इसकी शुरुआत तब हो गई थी जब 2017 में सत्ता परिवर्तन हुआ और आजम खान पर एक के बाद एक मुकदमे होने शुरू हो गए.

जैसे-जैसे समय बीतता गया इन मुकदमों की संख्या और आजम खां की फजीहत बढ़ती ही गई. अब तक उनके खिलाफ 87 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके हैं और इसमें कई मुकदमे इनके चिर प्रतिद्वंदी बीजेपी के आकाश सक्सेना "हनी" ने करवाए हैं. गिरती सेहत के बीच आजम खान ने दो साल से ज्यादा का वक्त जेल में गुजारा है. तकरीबन 27 महीने जेल में काटने के बाद वह इसी साल मई में सर्वोच्च न्यायालय के दखल के बाद रिहा हुए थे.

वही रामपुर में आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी भी जांच के घेरे में आ गई. एक के बाद एक हो रही प्रशासनिक कार्यवाही से आजम खान के अभेद्य दुर्ग में धीरे-धीरे चोट पहुंचना शुरू हो गया.

जिस रामपुर में कहा जाता था कि वहां पत्ता हिलने से पहले आजम खान की इजाजत लेता है, उसी रामपुर में आजम का किला ताश के पत्तों की तरह ढहने लगा. समाजवादी पार्टी और आजम खान के कमजोर पड़ते वर्चस्व की बानगी इसी साल रामपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव में देखने को भी मिली, जहां बीजेपी के प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी ने जीत दर्ज की थी. समाजवादी पार्टी नेताओं ने तब आरोप लगाए थे सत्ता पक्ष ने प्रशासन के दम पर उनके वोटरों को धमकाया गया.

फिर से बीजेपी ने गढ़ भेद दिया 

अभी साल बीता ही नहीं था कि रामपुर एक बार फिर कुरुक्षेत्र बन गया. आजम खान की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद रामपुर में चुनाव की घोषणा हुई और इस बार फिर समाजवादी पार्टी ने आजम खान के करीबी असीम राजा पर अपना दांव खेला.

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चुनाव प्रचार के दौरान आजम खान ने अपने भाषणों में बीजेपी और प्रशासन के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला. अपने ऊपर हुए अत्याचार को उन्होंने लोगों के सामने खुलकर रखा और कई मौकों पर तो वह स्थानीय पुलिस पर भी तंज कसते नजर आए. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने भी पूरी ताकत झोंक दी थी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत प्रदेश के दर्जनों स्टार कैंपेनर मैदान में उतारे गए.

50 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाता इस विधानसभा सीट पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं. हालांकि मतगणना के दिन पासा पलटा हुआ नजर आया. मतगणना के 20 राउंड तक सपा के असीम रजा अपने प्रतिद्वंदी आकाश सक्सेना पर बढ़त बनाए हुए थे. 21 वे राउंड की शुरुआत में सपा ने ट्वीट कर आरोप लगाए कि मतगणना स्थल पर जानकारी मिलनी बंद हो गई है.

21 राउंड से धीरे-धीरे पासा पलटना शुरू हुआ और भाजपा के बीजेपी के आकाश सक्सेना ने बढ़त बनाई. यह बढ़त अंतिम राउंड तक बनी रही और बीजेपी ने यह मुकाबला 34 हजार से ज्यादा मतों से जीत लिया. उतार-चढ़ाव से भरे इस मुकाबले में समाजवादी पार्टी ने प्रशासन पर कुछ गंभीर आरोप लगाए.

वोटिंग के दिन स्थानीय पुलिस के एक आला अधिकारी द्वारा कथित तौर पर मुस्लिम मतदाताओं को बूथ से वापस भेजने का वीडियो काफी चर्चा में रहा. समाजवादी पार्टी ने वीडियो को ट्वीट कर आरोप लगाया था क्या अधिकारी द्वारा मुस्लिम मतदाताओं को बिना वोटिंग के वापस भेजा जा रहा है.

आरोप लगे कि पुलिस ने मतदाताओं के साथ बदसलूकी की और उन्हें डरा धमका कर वोटिंग से दूर रखा गया. ऐसे ही कुछ पीड़ित मतदाताओं के पक्ष में पुलिस से जवाब तलब करते हैं अब्दुल्लाह आजम खान और कुछ पत्रकारों का वीडियो भी सामने आया था जहां पर पुलिस अधिकारी द्वारा एक स्थानीय पत्रकार से भी बदसलूकी की गई थी.

बाद में एक स्थानीय की तहरीर पर अब्दुल्लाह आजम खां और तीन पत्रकारों समेत अज्ञात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया था. आरोप है कि अब्दुल्लाह आजम खां अपने समर्थकों और पत्रकारों के साथ मिलकर फर्जी मतदान करा रहे थे. वहां पर पुलिस कर्मी जो मतदाताओं के पहचान पत्र चेक कर रहे थे, उनके कार्य में बाधा डाली.

26 साल में रामपुर में अबकी बार सबसे कम वोटिंग हुई. मार्च में ही उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव हुआ था, जिसमें रामपुर में मतदान हुआ और 56% वोट पड़े थे, लेकिन अबकी बार हुए उपचुनाव में सिर्फ 31% ही वोट पड़े. रामपुर विधानसभा सीट पर इतनी कम वोटिंग 1993 में हुई थी. तब 30.5% वोट पड़े थे और आजम खान की जीत हुई थी. यानी 26 साल में रामपुर में अबकी बार सबसे कम वोटिंग हुई है.

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