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Nakul Dubey: मायावती के खास रहे- अब कांग्रेस के साथ, पार्टी को कितना फायदा होगा?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने नकुल दुबे को पार्टी से निष्कासित कर दिया था.

मोहन कुमार
राजनीति
Published:
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कभी मायावती (Mayawati) के खास रहे और बीएसपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नकुल दुबे (Nakul Dubey) ने 'हाथी' की सवारी छोड़ कांग्रेस (Congress) का 'हाथ' थाम लिया है. गुरुवार को दिल्ली में नकुल दुबे कांग्रेस में शामिल हुए. उत्तर प्रदेश की सियासत में नकुल दुबे बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने 2007 में ब्राह्मण- दलित गठजोड़ के चलते सत्ता में काबिज हुई थीं. पेशे से वकील नकुल दुबे की उत्तर प्रदेश के प्रबुद्ध जनों के बीच गहरी पैठ है.

नकुल दुबे के कांग्रेस में जाने से बीएसपी को बड़ा झटका लगा है. ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्या वजह रही की नकुल दुबे ने बीएसपी का साथ छोड़ दिया.

मायावती ने किया था नकुल दुबे को पार्टी से निष्कासित

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने नकुल दुबे को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण ये कदम उठाया गया था. मायावती ने दुबे के निष्कासन की घोषणा अपने ट्विटर हैंडल से की थी.

निष्कासन के बाद से ही नकुल दुबे के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी. जानकारी के मुताबिक कुछ दिनों पहले नकुल दुबे ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से दिल्ली में मुलाकात की थी. प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद गुरुवार को नकुल दुबे ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है.

बीएसपी में बड़ा ब्राह्मण चेहरा थे नकुल दुबे

बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के बाद नकुल दुबे पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाते थे. उत्तर प्रदेश में भाईचारा कमेटियों का संयोजन कर मायावती को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. इस जीत का सेहरा उनके सिर भी बंधा और मायावती ने उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा था.

2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने उन्हें प्रमुख ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश किया था. लेकिन पार्टी चुनाव में कोई कमाल नहीं दिखा सकी, बल्कि अपने सबसे खराब दौर में पहुंच गई.

पिछले कुछ चुनावों में कैसा परफॉर्मेस रहा?

पहली बार 2007 में बीएसपी ने उत्तर प्रदेश में बहुमत हासिल किया तो लखनऊ की महोना सीट से नकुल दुबे भी विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद उन्हें कभी जीत नसीब नहीं हुई. 2014 के लोकसभ चुनाव में भी नकुल दुबे ने भाग्य आजमाया, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे. 2019 के आम चुनाव में उन्होंने सीतापुर सीट से एसपी-बीएसपी गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

कौन हैं नकुल दुबे ?

नकुल दुबे पेशे से वकील हैं. उन्होंने लखनऊ से पढ़ाई की है. 1984 में लखनऊ के विद्यांत हिंदू डिग्री कॉलेज से बीए किया. 1987 में उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से एलएलबी पास किया. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में वकालत शुरू की. वह सतीश चंद्र मिश्रा के काफी करीबी माने जाते हैं.

क्या यूपी कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं ?

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू (Ajay Kumar Lallu) से इस्तीफा ले लिया गया था. पार्टी की ओर से मिल रहे संकेतों से ब्राह्मण या दलित कोटे से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी है. ऐसे में माना जा रहा है कि ब्राह्मण चेहरे के रूप में नकुल दुबे को मौका मिल सकता है. हालांकि, पार्टी को यह भी देखना होगा कि जिस चेहरे पर मुहर लगती है, वह विवादों में न फंस जाए.

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