Members Only
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हरियाणा चुनाव IN, राम रहीम OUT: बलात्कार के दोषी की पैरोल की टाइमिंग संयोग या राजनीतिक प्रयोग?

हरियाणा चुनाव IN, राम रहीम OUT: बलात्कार के दोषी की पैरोल की टाइमिंग संयोग या राजनीतिक प्रयोग?

राम रहीम पिछले 4 सालों में 10 बार जेल से बाहर आया है और अधिकतर बार हरियाणा और आस-पास के राज्यों में किसी तरह का चुनाव हो रहा होता है.

आशुतोष कुमार सिंह
राजनीति
Published:
<div class="paragraphs"><p>Gurmeet Ram Rahim Singh Out of Jail</p></div>
i

Gurmeet Ram Rahim Singh Out of Jail

(फोटो- अल्टर्ड बाई क्विंट)

advertisement

हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Election 2024) होने में बमुश्किल से दो महीने बचे हैं, और बलात्कार का दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह (Gurmeet Ram Rahim Singh) एक बार फिर से बाहर आ गया है. साल 2017 में राम रहीम को 20 साल जेल की सजा मिली थी और उसे इस बार 21 दिन का फरलो मिला है. उसे मंगलवार, 13 अगस्त की सुबह रोहतक की सुनारिया जेल से रिहा किया गया और फिर वह उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित बरनावा आश्रम पहुंचा.

राम रहीम पिछले 4 सालों में 10 बार जेल से बाहर आया है और खास बात यह है कि अधिकतर बार वह उसी वक्त बाहर आया है जब हरियाणा-पंजाब और आस-पास के राज्यों में किसी न किसी तरह का चुनाव हो रहा होता है.

सवाल है कि क्या बलात्कार के इस दोषी को मिलने वाले पैरोल और फरलो का कोई राजनीतिक कनेक्शन है? क्या वह बाहर आने के बाद अपने समर्थकों को राजनीतिक रूप से इंफ्लूएंस करता है?

पहले बताते हैं कि राम रहीम पिछले 4 सालों में कब-कब जेल से छूटा और उस समय कौन से चुनाव हो रहे थे.

चुनाव IN, राम रहीम OUT

25 अगस्त, 2017 से राम रहीम दो महिला फॉलोअर्स के बलात्कार के आरोप में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है. इसके साथ-साथ उस दो आजीवन कारावास की सजा दी गई: जनवरी 2019 को पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या में और अक्टूबर 2021 में पूर्व डेरा मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या में.

इसी साल मई में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उसे दूसरे मामले (रणजीत सिंह मर्डर) में बरी कर दिया था.

2020 से अब तक राम रहीम 255 दिन पैरोल या फरलो पर बाहर है.

26 अक्टूबर 2020 को राम रहीम एक दिन के पैरोल पर बाहर आया. तब उसे उसकी बीमार मां से मिलने के लिए राहत दी गई थी जिनका गुरग्राम के हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. फिर उसे 21 मई 2021 को भी बीमार मां से मिलने के लिए एक दिन का पैरोल मिला.

2022 में राम रहीम कुल 91 दिन जेल से बाहर रहा. फरवरी में 21 दिन के लिए उस फरलो मिला और यह पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले हुआ. उसी साल जून में 30 दिन के लिए पैरोल मिला और इस बार हरियाणा नगर निकाय चुनाव के आस-पास. फिर उस साल अक्टूबर में वह 40 दिन के पैरोल पर जेल के बाहर आया. इस बार हरियाणा के आदमपुर सीट पर विधानसभा उपचुनाव और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव थे.

2023 में भी कुल 91 दिन जेल से बाहर रहा. जनवरी 2023 में उसे 40 दिन का पैरोल मिला जिसमें वह पूर्व डेरा चीफ और अपने गुरू शाह सतनाम सिंह की जयंती में शामिल हुआ. फिर जुलाई 2023 में हरियाणा पंचायत चुनाव के पहले उसे 30 दिन का पैरोल दिया गया. उसी साल नवंबर में उसे 21 दिन का पैरोल जब राजास्थान में विधानसभा के चुनाव थे.

अगर 2024 की बात करें तो लोकसभा चुनाव और राम मंदिर उद्धाटन से पहले राम रहीम को जनवरी में 50 दिन का पैरोल दिया गया. यह उसको मिली अबतक की सबसे अधिक दिनों की राहत थी. फिर उसे अब हरियाणा चुनाव से दो महीने पहले 21 दिन का फरलो मिला है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हाई कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद हरियाणा सरकार ने दी राहत

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) की याचिका पर सुनवाई के दौरान 29 फरवरी 2024 में कहा था कि हरियाणा सरकार राम रहीम सिंह को कोर्ट की अनुमति के बिना कोई और पैरोल नहीं देगी. फिर राम रहीम ने इस साल जून में हाई कोर्ट का रुख किया और उसे 21 दिन के फरलो का निर्देश देने की मांग की जबकि SGPC की मांग थी कि ऐसी कोई राहत न दी जाए.

अब 9 अगस्त को, हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि राम रहीम सिंह की अस्थायी रिहाई की याचिका पर हरियाणा सरकार बिना किसी 'मनमानेपन या पक्षपात' के विचार करे. इस फैसले के 4 दिन के अंदर राम रहीम जेल से बाहर आ गया.

वरिष्ठ पत्रकार और हरियाणा की राजनीति को नजर रखने वाले हेमंत अत्री ने क्विंट हिंदी से बातचित में कहा, कमाल देखिए साधारण कैदी की पैरोल की एप्लिकेशन महीने-दो महीन यूं ही पड़ी रहती है लेकिन राम रहीम को हाई कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद 21 दिन का फरलो मिल जाता है. आप सोच सकते हैं कि कितनी पैठ है उसकी.

"हाई कोर्ट को अगर हरियाणा सरकार के हाथ में ही राम रहीम के पैरोल/फरलो की शक्ति देनी थी तो 6 महीने पहले फरवरी के आखिर में वो अनुमति के बिना पैरोल नहीं देने वाला आदेश क्यों सुनाया था. राम रहीम हरियाणा चुनाव के बीच फिर बाहर आएगा. अगर हाई कोर्ट का 29 फरवरी वाला आदेश नहीं आता तो वह लोकसभा चुनाव के बीच भी बाहर आता."
हेमंत अत्री, वरिष्ठ पत्रकार

राम रहीम का चुनाव के बीच बाहर आना संयोग या राजनीतिक प्रयोग?

हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में राम रहीम की फॉलोइंग बड़ी है. ऐसे में हरियाणा या आस-पास के राज्यों में चुनाव से पहले राम रहीम के जेल से बाहर आने को केवल संयोग समझा जाए या कोई राजनीतिक प्रयोग?

राम रहीम का चुनावी मौसम में जेल से बाहर आने पर हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र भाटिया ने क्विंट हिंदी कहा, राम रहीम का हरियाणा के अलावा पंजाब, राजस्थान सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीटों पर प्रभाव दिखता है. जेल से बाहर आने के बाद अपने अनुयायियों से संपर्क करना और प्रवचन के जरिए वोटर को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है. इनका सेंट एमएसजी नाम से एक यूट्यूब चैनल है. राम रहीम जब भी जेल से बाहर आता है, वह इस चैनल के जरिए अपने फॉलोअर्स तक अपनी बात पहुंचाता है और उसके सत्संग में कई नेता भी खुले रूप से शामिल होते हैं.

अक्टूबर 2022 में जब राम रहीम 40 दिनों की पैरोल पर जेल से बाहर आकर ऑनलाइन सत्संग की तो उसमें राम रहीम ने करनाल की मेयर रेणु गुप्ता ने वीडियो कॉलिंग के जरिए आशीर्वाद भी दिया था. कार्यक्रम में हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष रहे रणवीर गंगवार भी दिखे थे. 

वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं, "इन पैरोल का 100% राजनीतिक कनेक्शन है. हरियाणा, पंजाब और राजस्थान, मुख्य रूप से इन तीन राज्यों के अंदर पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक, राम रहीम जब बाहर आता है कोई न कोई चुनाव होता है."

राम रहीम का अपना एक पूरा काडर और डेरे का राजनीतिक विंग भी है. ये किसी राजनीतिक दल को खुले तौर पर समर्थन नहीं देते हैं. लेकिन पर्दे के पीछे एक दूसरे को मौखिक रूप से बोलकर मैसेज पहुंचाया जाता है. 2014 से पहले इनके डेरे पर कौन-कौन गया था, यह सबको याद है. हरियाणा कैबिनेट डेरे में जाकर इनके सामने खड़ा हो गया था.
हेमंत अत्री, वरिष्ठ पत्रकार

दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अक्टूबर 2014 में हरियाणा में बीजेपी के कैंपेन इंचार्ज रहे कैलाश विजयवर्गीय 90 में से 44 बीजेपी उम्मीदवारों को लेकर राम रहीम के पास आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे थे. इसके बाद जब पहली बार सूबे में बीजेपी सरकार बनी तो हरियाणा कैबिनेट के कुछ मंत्रियों और जीते विधायकों के साथ भी विजयवर्गीय राम रहीम से पहुंचकर आशिर्वाद लिए. उस समय तक राम रहीम दोषी करार नहीं हुआ था.

बीबीसी की मई 2019 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2007 में पंजाब में राम रहीम ने कांग्रेस को भी समर्थन दिया था. उसी साल डेरा सच्चा सौदा ने एक राजनीतिक विंग शुरू की थी, जिसका काम डेरे के लिए राजनीतिक फैसले लेना था.

सीधे तौर पर राम रहीम चाहे किसी राजनीतिक पार्टी को समर्थन देने की बात नहीं करता, लेकिन जेल से बाहर आने की तारीखें और उसके बाद की उसकी एक्टिविटी खुद ब खुद राजनीतिक कनेक्शन की कहानी बयां करती हैं.

Become a Member to unlock
  • Access to all paywalled content on site
  • Ad-free experience across The Quint
  • Early previews of our Special Projects
Continue

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT