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"आपको अवैध बांग्लादेशियों पर कार्रवाई करनी है, कीजिए. लेकिन हम लोग तो इस देश के नागरिक हैं, हमें क्यों परेशान किया जा रहा है? बिहार भी तो इसी देश में है, न?"
यह सवाल है 38 वर्षीय नजीरुल का, जिन्हें 26 अप्रैल को गुजरात पुलिस ने 'अवैध बांग्लादेशी' होने के शक में हिरासत में लिया था. नजीरुल पिछले 20 वर्षों से गुजरात के अहमदाबाद में रहकर कढ़ाई का काम कर रहे हैं. नजीरुल मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी जिले के निवासी हैं.
26 अप्रैल की सुबह, गुजरात पुलिस ने नजीरुल समेत 1,000 से अधिक 'संदिग्ध व्यक्तियों' को हिरासत में लिया. हालांकि, हिरासत में लिए गए अधिकांश लोग अंतर-राज्यीय प्रवासी थे, जिनमें से ज्यादातर मुस्लिम समुदाय से थे. ये लोग मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और कुछ स्थानीय गुजराती थे. इनमें से अधिकांश को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद छोड़ दिया गया.
पुलिस की इस कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में द क्विंट ने हिरासत में लिए गए कुछ लोगों से बातचीत की.
26 अप्रैल की सुबह 2 बजे गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया. पुलिस के मुताबिक, अहमदाबाद में चंडोला तालाब के आसपास के इलाकों समेत अन्य जगहों से लगभग 890 संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया. अहमदाबाद के अलावा, पुलिस ने सूरत, राजकोट और वडोदरा में भी कथित रूप से 'गैर-कानूनी तरीके से रह रहे विदेशियों' को गिरफ्तार किया है.
नजीरुल ने द क्विंट को बताया,
नजीरुल ने आगे बताया कि हिरासत में लिए लोगों को सबसे पहले कांकरिया के एक फुटबॉल मैदान में ले जाया गया. फिर वहां से फिर पैदाल जमालपुर क्षेत्र के गायकवाड़ हवेली स्थित क्राइम ब्रांच ऑफिस ले जाया गया. दोनों के बीच लगभग 4 किलोमीटर की दूरी है.
हिरासत में लिए गए लोगों को कांकरिया फुटबॉल मैदान से क्राइम ब्रांच ऑफिस ले जाते हुए पुलिस
फोटो- द क्विंट द्वारा प्राप्त
हिरासत में लिए गए लोगों में 12 लोग बिहार के सीतामढ़ी से
हिरासत में लिए गए 'संदिग्ध लोगों' में 12 से अधिक लोग बिहार के सीतामढ़ी जिले स्थित परिहार प्रखण्ड से हैं. ग्राम कचहरी बाया के सरपंच रुही खातून के पति इरशाद अहमद ने द क्विंट को बताया, "हमारे पंचायत के 10 लोगों को गुजरात पुलिस ने बांग्लादेशी होने के शक में हिरासत में लिया था, जिसके बाद उनके परिजनों के कहने पर हमने लेटर हेड पर सभी लोगों के फोटो के साथ सत्यापन करके भेज दिया है."
वहीं पड़ोसी पंचायत के नौशाद ने बताया कि "सुबह 3 बजे हम सो रहे थे, तभी अहमदाबाद पुलिस आई और कहा कि वेरिफिकेशन करना है. उन्होंने मुझे अपने साथ ले लिया. हमारे ग्रुप में कुल 80 लोग थे, जिनमें से लगभग 50 लोगों को रात 11 बजे पुलिस ने वेरिफिकेशन के बाद यह कहते हुए छोड़ दिया कि जब भी बुलाया जाएगा, आना होगा."
"दोस्त के यहां गए थे, पुलिस उठा कर ले गई"
एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद समीम ने द क्विंट को बताया, "मैं चंडोला में अपने दोस्त के यहां गया था, सुबह में पुलिस आई और मुझे भी उठा के ले गई. मुझे लगभग 22 घंटा हिरासत में रखा गया. वोटर कार्ड दिखने के बाद एक पहचानवाले के विहाफ पर मुझे छोड़ा गया." मिल्लत नगर में रहने वाले समीम मूलरूप से सीतामढ़ी से है, पिछले 6 वर्षों से अहमदाबाद में रहकर सिलाई का काम करते हैं.
26-27 अप्रैल को बड़ी संख्या में हिरासत में लिए गए लोगों के परिजन क्राइम ब्रांच के मुख्य द्वार के बाहर एकत्र हो गए, इनमें ज्यादातर लोग अंतर-राज्यीय प्रवासी जिनमें से अधिकतर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और कुछ स्थानीय गुजराती भी हैं.
उन्होंने आगे कहा, "2008 में यहां आग लगी थी जिसमें मेरी बीबी की सारी डॉक्युमेंट्स जल गई. जिसके बाद मैंने उसका आधार कार्ड, पेन कार्ड और वोटर कार्ड बनवा दिया था लेकिन जन्मप्रमाण यहां से नहीं बन पाया था. अब मैं क्या करूं?"
मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले मोहम्मद निसार ने कहते हैं, "मेरे बाप-दादा यहीं अहमदाबाद में पैदा हुए और हम लोग यहीं रहकर कव्वाली का कम करते हैं, मेरे छोटे भाई को बिना वजह उठा कर ले आई है पुलिस."
क्राइम ब्रांच के बाहर खड़े कमरुद्दीन
फोटो- द क्विंट द्वारा प्राप्त
इसी तरह यूपी की रहने वाली परवीन खातून के पिता और भाई को हिरासत में लिया गया. प्रवीण कहती हैं, "हमारे पास सारे डॉक्यूमेंट्स है,लेकिन पुलिस ने हिरासत में लेने से पहले कोई जांच-पड़ताल नहीं की. पुलिस को ऐसे सभी को नहीं उठाना चाहिए था."
महाराष्ट्र के अकोला रहने वाले एक व्यक्ति के दो बेटे और पत्नी, कोलकाता के एक महिला की दामाद समेत अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया.
"90 साल पुराना डॉक्यूमेंट्स मांग रहे"
बिहार के नजीरुल ने आगे द क्विंट को बताया, "हमसे 90 साल पुराने दादा-परदादा के डॉक्यूमेंट्स दिखाने को कहा गया. सभी दस्तावेज होने के बावजूद मुझे 28 अप्रैल को छोड़ा गया."
असोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) के गुजरात सचिव मिर्जा इकराम बेग ने क्राइम ब्रांच के बाहर जाकर कुछ लोगों से मुलाकात की. उन्होंने द क्विंट को बताया,
28 अप्रैल को अहमदाबाद के कमिश्नर जीएस मलिक ने कहा, "26 अप्रैल को क्राइम ब्रांच की निगरानी में एक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया. कार्रवाई के दौरान हमने 800 से ज्यादा लोगों को पकड़ा. वह एक जाना-माना इलाका है, जहां अवैध बांग्लादेशी रहते हैं और वे उस इलाके में कुछ अवैध निर्माण भी करते हैं, और उसके बाद, वे कुछ वैध गतिविधियों में भी शामिल पाए जाते हैं. अब तक हमने 140 लोगों की पुष्टि की है. अगर यह पुष्टि हो जाती है कि वे बांग्लादेशी हैं, तो हम उनके डेपोर्टेशन के लिए कार्रवाई करेंगे."
उन्होंने कहा, "काफी लोगों के पास आधार कार्ड मिला है, लेकिन आधार कार्ड होने का मतलब यह नहीं है कि वे बांग्लादेशी नहीं हैं. गुजरात पुलिस राज्य के हर कोने में ऐसे और अधिक अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की तलाश के लिए प्रयास जारी रखेगी."
26 अप्रैल को गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने बताया कि देर रात से चल रहे इस ऑपरेशन में अब तक कुल एक हजार से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें अहमदाबाद से 890 और सूरत से 134 शामिल हैं. उन्होंने कहा, "गुजरात पुलिस का यह अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है."
गुजरात के विभिन्न जिलों से लगभग 6,500 लोगों को बांग्लादेशी होने के शक में हिरासत में लिया गया. 28 अप्रैल को गुजरात के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विकास सहाय ने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान इनमें से अब तक 450 लोगों के अवैध रूप से रहने की पुष्टि हुई है.
अहमदाबाद में 29 अप्रैल को चंडोला तालाब इलाके में कथित बांग्लादेशियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है. वहां बड़े पैमाने पर डिमोलिशन ड्राइव चलाई गई है. जिसमें लगभग 2,000 मकानों और अन्य संपत्तियों को ध्वस्त किया गया. हिरासत में लिए गए अधिकांश लोग चंदोला तलाब के पास के इलाकों में रहते थे.
दानिलिमडा क्षेत्र में स्थित यह झील लगभग 1200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. जब भी शहर में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों, खासकर बांग्लादेशियों, की बात होती है, तो चंदोला झील के आसपास की बस्तियों का जिक्र जरूर होता है.
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त शरद सिंघल ने बताया, "अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने सियासतनगर बंगाल वास में घरों का सर्वे किया था. इस सर्वे में पाया गया कि उनमें से कुछ घर तालाब में मिट्टी डालकर बनाए गए हैं."
फोटो: X/@dgpgujarat
अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर ज्ञानेंद्र सिंह मलिक ने बताया,
उन्होंने कहा, "हमने एक एफआईआर भी दर्ज की है, जिसमें लल्लू बिहारी नाम के एक व्यक्ति और उसके कुछ लोगों के नाम हैं. वह फर्जी रेंट एग्रीमेंट बनाता था, ताकि आधार बनवाया जा सके. उसने यहां एक बड़ा फार्महाउस बनाया था. उसका घर, जो उसने अवैध रूप से बनाया था, उसे ध्वस्त कर दिया गया है और अभी भी तोड़फोड़ की प्रक्रिया चल रही है. हमें पता चला है कि कुछ लोगों ने अवैध रूप से पासपोर्ट भी बनवा लिए हैं, इसलिए हमने लल्लू बिहारी और उसके गिरोह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और पुलिस निश्चित रूप से जांच करेगी."
APCR के गुजरात सेक्रेटरी मिर्जा इकराम बेग कहते हैं, "चंडोला तलाब के पास एक बस्ती है, जहां पश्चिम बंगाल से आए मजदूर लोग रहना शुरू किए इसलिए उसका नाम बंगाली वास पड़ गया. हिरासत में लिए गए 90 फीसदी भारतीय थे, बाकी संदिग्ध लोगों की जांच बाकी है. लेकिन प्रशासन इस पूरे मुद्दे को बांग्लादेशी रंग देने के लिए अपना पूरा एनर्जी बर्बाद किया. और जिस तरह से उनके साथ पेश आए यह बिल्कुल अमानवीय बर्ताव है."
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