Members Only
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019यूपी में बच्चे बोर्ड एग्जाम से गायब, सरकार इसके लिए शाबाशी ना ले

यूपी में बच्चे बोर्ड एग्जाम से गायब, सरकार इसके लिए शाबाशी ना ले

बच्चों का परीक्षा छोड़ना कहां की उपलब्धि है, जहां कमजोरी है वहां सख्ती जरूरी है

अंशुल तिवारी
नजरिया
Published:
फिरोजाबाद के एक परीक्षा केंद्र पर गिनती के परीक्षार्थी और चैकिंग करते पुलिस अधीक्षक
i
फिरोजाबाद के एक परीक्षा केंद्र पर गिनती के परीक्षार्थी और चैकिंग करते पुलिस अधीक्षक
(फोटोः @firozabadpolice)

advertisement

उत्तर प्रदेश के अखबारों में इन दिनों इस तरह की हेडलाइंस आम हो चली हैं. परीक्षा के प्रश्न पत्र जैसे-जैसे कम होते जा रहे हैं, परीक्षा छोड़ने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इस सबके बीच सरकार यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रही है कि सूबे में सरकार ने नकल पर नकेल कसी है. यही वजह है कि दसवीं-बारहवीं के छात्र प्रशासनिक सख्ती की वजह से परीक्षा छोड़ रहे हैं. यानी सूबे के परीक्षार्थी बन गए ‘विलेन’ और सरकार बन गई ‘हीरो’.

सरकार इस मामले को इस तरह भी प्रचारित कर रही है कि पिछली समाजवादी पार्टी सरकार स्वकेंद्र परीक्षा प्रणाली लाई. पैसे लेकर परीक्षा केंद्र बनाए गए, जिसकी वजह से नकल को बढ़ावा मिला और बच्चों को भविष्य गड़बड़ा गया. लेकिन अब ये संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि योगी सरकार ने नकल पर सख्ती की है, यानी कि अब स्कूलों से ‘क्रीम’ निकलेगी, मतलब जो पढ़ेगा, वही आगे बढ़ेगा.

परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी से हो रही निगरानी(फोटोः Noida Police)

लेकिन ये वो तस्वीर है जो सरकार दिखाना चाहती है. असल, तस्वीर इससे अलग है और उस तस्वीर में ‘विलेन’ बच्चे नहीं, बल्कि सरकार है, जिन्होंने अगर नकल पर सख्ती करने से पहले स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था पर सख्ती की होती तो न बच्चे परीक्षा छोड़ते और न प्रशासन को नकल रोकने के लिए इतनी मशक्कत करनी पड़ती.

परीक्षा केंद्र पर चेकिंग करतीं जिलाधिकारी(फोटोः @firozabadpolice)

परीक्षा से पहले पढ़ाई पर देना था ध्यान

नकल विहीन परीक्षा अच्छा फैसला है. प्रदेश के बच्चे पढ़ें, आगे बढ़ें. डिग्रियों में 80 फीसदी लेकर भी उन्हें नौकरियों के लिए मशक्कत न करनी पड़े. राज्य से बाहर जाने पर प्रतियोगिता में असफलता का मुंह न देखना पड़े. लेकिन इसके लिए परीक्षा से पहले पढ़ाई पर ध्यान देना जरूरी था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

मार्च महीने में सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई. तमाम तरह के वादे किए गए, इनमें बदहाल शिक्षा की सूरत संवारने के वादे भी शामिल थे. लेकिन तमाम वादों की तरह ये वादा भी कोरा वादा ही रह गया और तब तक आ गई बोर्ड परीक्षा.

अब जब शिक्षा में सुधार नहीं हो पाया तो सरकार ‘धूल-में-लट्ठ’ मारने में जुट गई. योगी सरकार भी ‘कल्याण सिंह सरकार’ की तर्ज पर झूठी वाह वाही हासिल करने में जुट गई और पढ़ाई पर ध्यान न देकर सीधे परीक्षा पर ध्यान केंद्रित किया.

यूपी में कल्याण सिंह सरकार के दौरान पहली बार नकल पर इस कदर सख्ती की गई थी कि हाई स्कूल पास करने वाले कुल परीक्षार्थियों की संख्या केवल 14% रह गई थी. हालांकि, समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद स्वकेंद्र परीक्षा प्रणाली लागू की गई. इस दौरान रिजल्ट 80% के आसपास रहा. वहीं 2007 से 2012 तक मायावती की सरकार रहने के दौरान, पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत एक बार फिर गिर गया था. लेकिन 2012 में अखिलेश सरकार आने के बाद पास होने वालों का प्रतिशत फिर बढ़ गया.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
परीक्षा केंद्र पर चैकिंग करती जिलाधिकारी(फोटोः @firozabadpolice)

छात्रों ने परीक्षा छोड़ी तो पीठ न थपथपाए, चिंतन करे सरकार

परीक्षा केंद्रों से परीक्षार्थी गायब हैं, तो ये सरकार के लिए खुद की पीठ थपथपाने का वक्त तो कतई नहीं है. अखबारों में छात्रों के परीक्षा छोड़ने की सुर्खियां सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए.

सरकार को सोचना चाहिए कि आखिर क्यों लाखों की संख्या में परीक्षार्थी बोर्ड जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा से किनारा कर रहे हैं? लाखों की संख्या में परीक्षा छोड़ने वाले इन छात्रों का भविष्य क्या होगा?

सरकार को सोचना चाहिए कि अगर प्रदेश में पूरे साल पढ़ाई तो हुई होती तो बच्चें परीक्षा न छोड़ते. अब जब पूरे साल स्कूल ही नहीं खुले, पढ़ाई ही नहीं हुई, तो बच्चे परीक्षा में लिखें तो लिखें क्या? अगर सरकार पढ़ाई के वक्त सख्ती करती, स्कूलों में शिक्षक सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देते तो इतने बच्चे परीक्षाओं से गायब नहीं होते.

Become a Member to unlock
  • Access to all paywalled content on site
  • Ad-free experience across The Quint
  • Early previews of our Special Projects
Continue

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT