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शाहरुख खान और काजोल की जोड़ी को बाॅलीवुड की नंबर वन जोड़ी के तौर पर देखा जाता है. उन्होंने कभी भी सिल्वर स्क्रीन पर एक-दूसरे को किस तक नहीं किया, बावजूद इसके, उनकी जोड़ी बाॅलीवुड की सबसे रोमांटिक जोड़ी है.
पर ऐसा होने के पीछे कुछ कारण तो होंगे ही. वास्तविक जिन्दगी में उनका रिश्ता और कैमरे के प्रति दोनों की सहजता ही उन्हें पर्दे पर खूबसूरत बनाती है. उनकी ये जोड़ी सालों से एक मिसाल है और बाॅलीवुड में शायद ही कोई दूसरी ऐसी जोड़ी होगी, जिसे लोग इतना पसंद करते होंगे.
पर इन सारी बातों के अलावा एक सच्चाई ये भी है कि समय बहुत तेजी से बदल रहा है. ऐसे में ये जरूरी है कि हर चीज उसके अनुसार ही आगे बढ़े. शाहरुख और काजोल की जोड़ी को भी अब अपनी इस केमिस्ट्री में कुछ नए रंग भरने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि आने वाले बरसों में भी वो बाॅलीवुड की बेस्ट रोमांटिक जोड़ी बने रहें.
उनके सिग्नेचर स्टेप्स किसे याद नहीं होंगे? शर्माना, मुस्कुराना, साड़ी लहराना और फिर बांहें फैलाना. डीडीएलजे का ये खुमार निश्चित रूप से बेहतरीन था और दो दशकों तक लोगों ने ये सब कुछ पसंद भी किया पर, क्या अब आगे बढ़ने का वक्त नहीं?
वैसे तो दोनों खुद ही मंझे हुए कलाकार हैं, पर दर्शक अब उनसे कुछ और चाहता है. तो कैसे रहेंगे ये किरदार, जिनमें हमने शाहरुख और काजोल को अब तक नहीं देखा. शायद कुछ ऐसे किरदार निभाने के बाद दोनों बेस्ट रोमांटिक जोड़ी के साथ ही सदाबहार जोड़ी बन जाएं.
हालांकि दोनों ने 1993 में आई फिल्म ‘बाजीगर’ में कुछ ऐसा ही किरदार निभाया है और उस फिल्म में दोनों के प्रदर्शन को देखकर हम ये भी कह सकते हैं कि अगर उन्होंने भविष्य में कोई ऐसी स्क्रिप्ट पर काम किया, तो उसे भी दर्शकों का भरपूर प्यार मिलेगा. बस उस फिल्म में बेकार के गाने, नाच और ड्रामा न हो. शुद्ध थ्रिलर हो.
दोस्तो! शाहरुख और काजोल को किसी पीरियड फिल्म में देखना कैसा रहेगा? हालांकि शाहरुख के खाते में 2001 में आई फिल्म ‘अशोका’ पहले से ही दर्ज है, लेकिन वो चाहें तो कुछ और पीरियड फिल्मों में अपना कमाल दिखा सकते हैं. वैसे भी यही वो सही समय है जब शाहरुख वो कुछ नए प्रयोग कर सकते हैं. काजोल भी खूबसूरत योद्धा के किरदार में बहुत सी अलग नजर आएंगी.
2011 में आई फिल्म ‘रा-वन’ बड़े पर्दे पर कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा सकी थी और न ही इस किरदार को ही बहुत अघिक शोहरत मिली. ऐसे में शाहरुख के पास भी एकबार फिर किसी ऐसे किरदार को निभाने की साफ वजह है. वहीं काजोल ने तो कभी ऐसा कोई किरदार निभाया ही नहीं है. पर यहां दोनों के बीच प्यार नहीं होना चाहिए.
सोचिए, दोनों एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते हुए कितने अलग नजर आएंगे. काजोल चाहें तो जेसिका जोन्स से प्रेरणा ले सकती हैं और शाहरुख के लिए मार्वेल से बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता. यकीन कीजिए जिस तरह उनकी फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ने युवाओं को प्यार करना सिखा दिया था, उसी तरह उनके ये किरदार भी उन्हें दर्शकों के बीच एक नई पहचान दिलाने का काम करेंगे.
फिल्म दिलवाले ‘दुल्हनिया ले जाएंगे’ में कुछ दृश्य ऐसे थे जो आज भी लोगों के मन में बसे हुए हैं. पर अब बस. माना कि उन दृश्यों ने ही काजोल को काजोल और शाहरुख को शाहरुख बनाया, पर हर चीज एक तय समय तक ही अच्छी लगती है. आज का दर्शक उन्हें नए अवतार में देखना चाहता है. 20 साल पहले उन्होंने कुछ नया करके जिस तरह लोगों को अपना दीवाना बना दिया था, उसी तरह कुछ नया करने की अब जरूरत आन पड़ी है.
इस बात में कोई शक नहीं है कि 2010 में आई फिल्म ‘माई नेम इज खान’ शाहरुख-काजोल और करण जौहर का एक बेहद प्रशंसनीय कदम था. एक सच्ची बात को करण की इस फिल्म में शाहरुख और काजोल ने बहुत ही खूबसूरती से निभाया था.
पर फिर फिल्म में कुछ जगहों पर सहजता नहीं थी. शाहरुख और काजोल को अब कुछ ऐसी फिल्में करनी चाहिए, जो सच्ची घटनाओं पर आधारित हों, लोगों के संघर्ष पर हों और उसमें नाटकीयता न हो. दोनों का किसी आम कहानी में आम लोगों के जैसे अभिनय करता देखना वाकई एक अनूठा अनुभव होगा.
हो सकता है इन तमाम बातों और सलाह से शाहरुख और काजोल के प्रशंसकों को बुरा लगा हो या फिर उन्हें ये सब बेकार की बातें लग रही हों, पर सच्चाई से मुंह तो वो भी नहीं मोड़ सकते. दोनों की हाल में आई फिल्म ‘दिलवाले’ ने कोई रिकाॅर्ड नहीं तोड़ा. ऐसे में ये साफ है कि बाॅलीवुड की हाॅट जोड़ी बनने के लिए अब दोनों को कुछ नया ट्राई करने की जरूरत है.
Published: 08 Jan 2016,11:01 PM IST