Members Only
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मणिपुर, बृजभूषण और टमाटर: मोदी सरकार के लिए मुसीबत का पिटारा होगा मानसून सत्र !

मणिपुर, बृजभूषण और टमाटर: मोदी सरकार के लिए मुसीबत का पिटारा होगा मानसून सत्र !

Parliament Session में 21 नए बिल पेश किए जाएंगे. जिसमें एक दिल्ली अध्यादेश और डिजिटल पर्सनल डाटा बिल का संशोधन है.

सुनील गाताडे
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>Parliament Monsoon Session</p></div>
i

Parliament Monsoon Session

(फोटो- पीटीआई)

advertisement

Parliament Monsoon Session 2023: आसमान में छाए बादलों के बीच इस हफ्ते शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में मणिपुर (Manipur) से लेकर महाराष्ट्र, बाढ़ से लेकर भोजन तक, कई मुद्दों पर मोदी सरकार की मुसीबतें से घिरी हुई है. इस बार मुद्दों की भरमार है.

मणिपुर, बृजभूषण और टमाटर

हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर की स्थिति बड़ी चिंता की वजह है और इतने संवेदनशील मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी ने चिंता को और बढ़ा दिया है. कई विपक्षी दल मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक है.

पिछले नौ वर्षों के नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में पहली बार विपक्ष इतना एकजुट दिख रहा है. ऐसा तब है जब बीजेपी को महत्वपूर्ण मौकों पर YSRCP और बीजू जनता दल जैसी पार्टियों से मदद मिली है. कुछ पार्टियां NDA में एंट्री चाह रही हैं और वे भी सत्र में सरकार के साथ नजर आएंगी.

जरूरी चीजों विशेषकर सब्जियों की बढ़ती कीमतें आम आदमी की जिंदगी को मुश्किल बना रही हैं. टमाटर की आसमान छूती कीमतें लोगों को परेशान कर रही हैं. लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतें ऊंची हैं.

रेलवे में सुरक्षा के हालात और बालासोर ट्रेन दुर्घटना, जिसमें 300 पैसेंजर मारे गए थे, को लेकर हंगामा के आसार है. रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग भी सत्र में उठने की उम्मीद है.

विरोध कर रहे पहलवानों के साथ बदसलूकी और विवादास्पद बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का मुद्दा' संसद में उठेगा. विभिन्न राज्यों में विभिन्न राज्यपालों के आचरण का मुद्दा उठने की संभावना है. विपक्षी दल इस बात पर जोर दे रहे हैं कि राज्यपालों का व्यवहार देश के संघीय ढांचे पर हमला था.

विपक्ष, पार्टियों में तोड़फोड़ और चुनाव

महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी NCP से अजित पवार को तोड़कर BJP के साथ सरकार बनाने के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरेगी. दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का इस तरह से छोटी पार्टियों में तोड़फोड़ करने और उन्हें बांटने की BJP की नीति की जमकर आलोचना करने का मौका, इस बार विपक्ष नहीं छोड़ेगा.

पिछले साल, लगभग इसी समय एकनाथ शिंदे के हैरतंगेज विद्रोह के कारण शिवसेना विभाजित हो गई थी, जिन्होंने उद्धव ठाकरे और उनकी महाविकास अघाड़ी सरकार को उखाड़ फेंका था. यह पूरी तरह से प्रतिशोध की राजनीति थी.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के विरोधी दल और सांसद खासकर ज्यादा आक्रामक होंगे क्योंकि ये चुनावी राज्य हैं, जहां इस साल के अंत तक वोट डाले जाएंगे. संसदीय चुनाव केवल 8-9 महीने दूर हैं, लड़ाई भयंकर राजनीतिक होती जा रही है और विपक्ष अडानी मुद्दे को नहीं भूला है जिसमें उसने एक संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग की है.

चूंकि कर्नाटक चुनाव के बाद पहली बार संसद सत्र हो रहा है ऐसे में विपक्ष भी आक्रामक है. विपक्ष संसद के अंदर और बाहर एक साथ मिलकर काम करने की कोशिश कर रहा है. मानसून सत्र से पहले बेंगलुरु में एकजुटता के लिए 26 विपक्षी दलों की बैठक एक अच्छा संकेत है.

राहुल गांधी भले ही संसद से दूर हों लेकिन विपक्ष इसे प्रतिशोधी सरकार की जादू-टोना की कवायद के रूप में पेश करने का प्रयास करेगा. राहुल गांधी भले ही संसद सदस्य की अयोग्यता को चुनौती वाली अपील गुजरात हाईकोर्ट मे हार गए हैं, लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और अब यह मामला वहां चलेगा.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

दिल्ली में बाढ़ आने से पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक सूत्रीय कार्यक्रम दिल्ली के प्रशासन पर केंद्र के अध्यादेश को रद्द कराने पर था. अब वह बाढ़ संकट में केंद्र से फौरी राहत नहीं मिलने को लेकर भी केंद्र और BJP पर निशाना साध रहे हैं. इसको लेकर BJP भी केजरीवाल पर पलटवार कर रही है. बहुत सारे आरोप-प्रत्यारोप हैं जो संसद की कार्यवाही के दौरान दिखेंगे.

ED के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को किसी भी अतिरिक्त सेवा विस्तार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का आदेश केंद्र के लिए एक बड़ा झटका है. बीजेपी के आलोचक इस धारणा से बहुत खुश हैं कि ED , CBI और आयकर विभाग सरकार के हाथों में विरोधियों के खिलाफ एक हथियार बन गए हैं. ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह का बयान कि विपक्ष को यह नहीं सोचना चाहिए कि निदेशक बदलने से ईडी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ निष्क्रिय हो जाएगा, इस मुद्दे का बहुत अधिक गर्माना तय है.

हालांकि, अभी तक इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) पर कोई विधेयक लाएगी. लेकिन जीवन के हर क्षेत्र पर इसके संभावित प्रभाव को देखते हुए विरोधी पक्ष समान नागरिक संहिता के पक्ष और विपक्ष में मुखरता से अपनी बातें रख रहे होंगे.

नई संसद में 21 नए विधेयक

सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर काफी जश्न मनाया जाएगा, जिसे ऐतिहासिक बताया जा रहा है. उनकी फ्रांस यात्रा में यह भी दिखाया जाएगा कि कैसे पीएम विश्व के प्रमुख नेता बन गए हैं.

विधायी मोर्चे पर, सरकार गुरुवार से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान 21 नए विधेयक लाने की योजना बना रही है, जिसमें एक विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश है और दूसरा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा को संशोधित करने के लिए है. कुल मिलाकर, सरकार 11 अगस्त को समाप्त होने वाले सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में 31 विधेयकों को पारित कराना चाहती है. प्रस्तावित कानून में विवादास्पद डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक को वापस लेने की मांग करने वाले विधेयक भी शामिल हैं.

जिस तरह से नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया, उससे सरकार और विपक्ष के बीच कई मतभेद पैदा हो गए. समस्या यह है कि अगर आपातकाल के दौर को छोड़ दिया जाए तो स्वतंत्र भारत के इतिहास में मोदी सरकार अपने विरोधियों की संवेदनाओं के प्रति सबसे कम संवेदनशील है. इसलिए यह बीजेपी शासन के लिए अप्रत्याशित नहीं था. विपक्ष ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन समारोह में नहीं बुलाए जाने का मुद्दा उठाने की योजना बनाई है.

संसद सूत्रों ने बताया कि दिलचस्प बात यह है कि सत्र मूल भवन यानि पुरानी संसद भवन में ही आयोजित होने वाला है. इसका मतलब यह है कि एक महीने पहले प्रधानमंत्री ने जिसका उद्घाटन किया उसमें अभी भी काम चल ही रहा था.

सत्र से पहले केंद्रीय मंत्रिपरिषद में छोटा-मोटा विस्तार और फेरबदल की बात की जा रही है. संभावित प्रमुख दावेदार के तौर पर एनसीपी (अजित गुट) के प्रफुल्ल पटेल के नाम की चर्चा है. हाल के दिनों में संसद में एक नई घटना देखने को मिल रही है.

सत्ता पक्ष के सदस्य तब हंगामा मचाते हैं जब सत्ता पक्ष के लिए हालात असहज हो जाते हैं. इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि विपक्ष सरकार पर कितना हमला कर पाएगा और उसे किस हद तक बेनकाब कर पाएगा. सत्र से ही पता चलेगा कि मोदी सरकार के मैनेजरों के पास क्या नई चालें हैं.

आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड के लिए, वे घोषणा करेंगे कि यदि अध्यक्ष बहस की अनुमति देते हैं तो वे किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. लेकिन असल में इसका मतलब होगा किसी भी सूरत में चर्चा नहीं हो.

(सुनील गाताडे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के पूर्व एसोसिएट एडिटर हैं. यह एक ओपिनियन आर्टिकल है और व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

Become a Member to unlock
  • Access to all paywalled content on site
  • Ad-free experience across The Quint
  • Early previews of our Special Projects
Continue

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT