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जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में एक बार फिर आतंक का खेल जारी है. आम लोगों के साथ-साथ सेना के जवानों को आतंकवादी निशाना बना रहे हैं. 25 फरवरी 2021 को पाकिस्तान और भारत के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद ऐसा लग रहा था कि दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा, लेकिन पिछले कुछ महीनों से सीमा पार से आतंकी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं.
पाकिस्तान ने POK में LOC के पास कई आतंकी ट्रेंनिंग कैंप बना रखे हैं, मुजफ्फराबाद, बालाकोट, बिंबर, कोटली, मंगला में कई सारे ट्रेनिंग कैंप हैं, जिनमें 100 से 200 आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा सकती है. लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल के ज्यादातर कैंप मुजफ्फराबाद और कोटली में हैं. जबकि बालाकोट जैश का मुख्य ट्रेनिंग कैंप है.
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सीजफायर के बाद ये उम्मीद की जा रही थी कि पाकिस्तान आतंकी ट्रेनिंग कैंप बंद कर देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, सूत्रों के मुताबिक इन कैंप में ट्रेनिंग लगातार जारी रही. सीजफायर का पूरा फायदा उठाते हुए इस दौरान इन कैंपों से ट्रेंड आंतकियों को LOC पर मौजूद लॉन्च पैंड पर भेजा जाता रहा, जहां पाकिस्तान आर्मी की मदद से आतंकियों ने कश्मीर में घुसपैठ की. मुजफ्फराबाद इलाके में स्थित कैंप से आतंकवादी कश्मीर वैली में घुसपैठ करते हैं और कोटली, मंगला, बिंबर कैंप से पुंछ, राजौरी और अखनूर में भी घुसपैठ होती है.
घुसपैठ करने के बाद इन इलाकों में मौजूद स्लिपर सेल की मदद से आतंकवादी यहां अपने मंंसूबों को अंजाम देते हैं.
इकनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान हवाला फंडिग, ड्रग्स और हथियारों की सप्लाई कर कश्मीर के लोकल युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल कर रहा है. पिछले कुछ महीनों में ड्रोन्स की मदद से हथियारों की सप्लाई के कई मामले सामने आए हैं. कश्मीर में पिछले महीने आम लोगों की हत्या हुई है, खासतौर पर बाहरी लोग जो कश्मीर में काम कर रहे हैं, इसमें उन आतंकियों का हाथ है, जो कि पाकिस्तान के इशारे पर इसे अंजाम दे रहे हैं. इसका मकसद कश्मीर में रहने वाले हिंदुओं और बाहरी लोगों में खौफ पैदा करना है और साथ ही आर्मी और सरकार के समर्थकों को टारगेट करना है.
सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान गल्फ देशों के जरिए बी घाटी में टेरर फंडिंग कर रहा है. छोटी रकम होने की वजह से ये रकम सिक्योरिटी एजेंसी के रडार पर नहीं आती. इस साल जम्मू-कश्मीर में कई ऐसे लोग पकड़े गए हैं, जो गल्फ से टेरर फंडिग में शामिल थे.
सुरक्षा एजेंसियों के सामने आने वाली बड़ी चुनौती हो सकती है तालिबान के आतंकियों का कश्मीर में आना. हाल में ही पाकिस्तान के पूर्व ISI चीफ फैज हमीद ने काबुल में तालिबान सरकार से मुलाकात की, इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी तालिबान सरकार से मीटिंग की.
तालिबान से पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए सही नहीं हैं. POK में स्थित सभी आतंकवादी ग्रुप्स ISI के इशारे पर काम करते हैं और कश्मीर में हवाला फंडिग से लेकर आंतकी गतिविधियां सबकुछ ISI की देखरेख में होता है.
भविष्य में ISI तालिबानी आतंकियों को कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है, तालिबान के पास कई ट्रेन्ड फाइटर है, जिन्हें फंडिग और इस्लाम के नाम पर ISI कश्मीर की लड़ाई में शामिल करा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो भारत के सामने एक और बड़ी चुनौती हो सकती है.
Published: 29 Oct 2021,02:41 PM IST