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"हमारा स्कूल मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित है, जहां 80 प्रतिशत बच्चे मुस्लिम समुदाय से हैं. कुछ अभिभावक केवल उर्दू पढ़ सकते हैं. इसलिए, उनकी सुविधा के लिए उर्दू में नाम लिखना कोई गलत बात नहीं है." यह कहना है निलंबित शिक्षिका रफत खान का.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के प्राथमिक विद्यालय साहनपुर द्वितीय की प्रधानाचार्या रफत खान को 2 जून 2025 को निलंबित कर दिया गया. उनका निलंबन विद्यालय की दीवार पर उर्दू में नाम लिखे जाने के मामले में हुआ. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) योगेंद्र कुमार ने उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए उन पर ‘राष्ट्रीय भावना का अनादर’ सहित कई अन्य आरोप लगाए और निलंबन के साथ-साथ जांच के आदेश भी जारी किए. हालांकि, 25 दिन बीतने के बाद भी अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है.
बीएसए ने निलंबन के आदेश में कहा कि यह मामला 2 मई 2025 को दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से संज्ञान में आया. आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि स्कूल का नाम केवल उर्दू में लिखा गया था, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई.
बीएसए कार्यालय द्वारा रफत खान के निलंबन का आदेश
(फोटो: क्विंट हिंदी)
हालांकि, रफत खान ने इस कार्रवाई को अनुचित बताया. उन्होंने कहा,
जांच में रही देरी को लेकर रफत खान कहती हैं, "मैं खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपी गई जांच के परिणाम का इंतजार कर रही हूं. संभावना है कि मामला इसी जांच के बाद सुलझ जाएगा."
रफत खान की जांच बिजनौर मुख्यालय के खंड शिक्षा अधिकारी चरण सिंह को सौपी गई है. चरण सिंह ने द क्विंट को बताया कि निलंबित शिक्षिका रफत खान को आरोप पत्र दिया गया था, जिसका जवाब उन्होंने सौंप दिया है.
उन्होंने कहा, "मैंने मामले की जांच शुरू कर दी है. जल्द ही मैं स्कूल जाकर देखूंगा कि वहां की वास्तविक स्थिति क्या है."
क्या उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के लिए बोर्ड पर केवल हिंदी में नाम लिखना अनिवार्य है? और क्या अन्य भाषाओं (जैसे उर्दू) के प्रयोग की अनुमति है? इस सवाल को खंड शिक्षा अधिकारी चरण सिंह ने टालते हुए कहा, "यह मामला जांच का विषय है, और फिलहाल पूरी प्रक्रिया चल रही है."
रफत खान ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार को लिखित स्पष्टीकरण दिया है. उन्होंने अपने स्पष्टीकरण में कहा, “मैंने हमेशा विभागीय नियमों और निर्देशों का अनुशासनपूर्वक पालन किया है और आगे भी करती रहूंगी. दैनिक जागरण के 2 जून 2025 के अंक में प्रकाशित समाचार में यह दावा किया गया कि स्कूल के मुख्य द्वार पर उर्दू में नाम लिखा है, जो पूरी तरह तथ्यहीन है.”
उन्होंने आगे स्पष्ट करते हुए कहा, "वर्तमान में स्कूल के मुख्य द्वार पर नाम केवल हिंदी (देवनागरी लिपि) में लिखी हुई है. पहले एक अतिरिक्त कक्षा की दीवार पर उर्दू में नाम लिखा गया था, जिसे शैक्षिक सत्र 2025 की शुरुआत में पुताई के दौरान हटा दिया गया था. अब स्कूल भवन या मुख्य द्वार पर कहीं भी उर्दू में नाम नहीं लिखा है."
रफत खान द्वारा बीएसए को दिया गया स्पष्टीकरण
(फोटो: क्विंट हिंदी)
रफत खान ने द क्विंट से कहा, "कक्षा की दीवारों पर विद्यालय का नाम उर्दू में पहले से लिखा चला आ रहा था, और अधिकारी नियमित रूप से स्कूल में आते-जाते रहे हैं. कभी किसी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई. यदि कक्षा की दीवार पर उर्दू में नाम लिखा जाना गलत था, तो यह पहले से ही गलत माना जाना चाहिए था. वर्तमान समय में मेरा जो निलंबन किया गया है, वह कहीं से उचित नहीं है."
प्रधानाचार्या रफत खान कहती हैं, "स्कूल दीवारों पर क्या लिखा जाना हैं इसका निर्णय स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) की बैठक में लिया जाता हैं. एसएमसी के सदस्य तय करते हैं कि स्कूल की दीवारों या बोर्डों पर क्या लिखा जाएगा – जैसे बाल विकास या स्वच्छता से जुड़े संदेश. वायरल तस्वीर में जो दीवार दिखाई गई है, उस पर पहले एक बोर्ड लगा था जिसमें हिंदी लिखा था."
नगर पंचायत अध्यक्ष खुर्शीद मंसूरी ने भी इस कार्रवाई पर सवाल उठाए. उन्होंने बीएसए पर बीजेपी और आरएसएस के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा,
शैक्षिक सत्र 2025 की शुरुआत में रंग-रोगन के बाद प्राथमिक विद्यालय का मुख्य द्वार
(फोटो: क्विंट हिंदी)
बिजनौर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने निलंबन की कार्रवाई पर द क्विंट को बताया, "वायरल तस्वीर की पुष्टि के बाद की गई."
उन्होंने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी राजमोहन द्वारा जांच में तस्वीर को सही पाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया. फिलहाल पूरे मामले की जांच जारी है.